शिकायत के निराकरण में प्राचार्य ने रच दी मनगढ़ंत कहानी, प्राचार्य के खिलाफ एनएसयूआई ने सौपा ज्ञापन

शिकायत के निराकरण में प्राचार्य ने रच दी मनगढ़ंत कहानी, प्राचार्य के खिलाफ एनएसयूआई ने सौपा ज्ञापन


अनूपपुर

राजनगर शासकीय महाविद्यालय की प्राचार्या डा माया पारस ने अटेस्टेड करने का लिए थे 100 रुपए पीड़ित द्वारा शिकायत सीएम हेल्प लाईन में किया तो निराकरण में मैडम पूरे नगर के युवाओं के ऊपर इंज्जाम लगा दिया पीड़ित निराकरण से असंतुष्टी जताई कहा की मैडम भ्रष्टचार में फंस रही हैं तो कुछ भी मनगडन्त कहानियां बना रही है। 

जो लोग प्राचार्य पर पदबाव बनाकर अकरणी कार्य कराते हैं तो क्यों अभी तक उन्होंने शिकायत नहीं की आखिर पीड़ित की गुहार मारने के बाद ही प्राचार्य को यह सब क्यों सोच रहा है इसका जवाब कौन देगा एक कहावत है खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे वही हाल इस समय राजनगर शासकीय महाविद्यालय की प्राचार्य माया पारस का है अपने आप को बचाने के लिए कई प्रकार की मनगढ़ंत कहानियां रच रही सुनने में तो यह भी आ रहा है कि उनका बड़े-बड़े नेताओं से संपर्क होने के कारण वह अपनी गलती को स्वीकार नहीं कर रही हैं और पूरे नगर की युवाओं पर ही सवाल उठा दी आखिर किस नेता की शह पर किस अधिकारी की शह पर प्राचार्य नगर के युवाओं पर सवाल उठा रही है।

*एनएसयूआई प्राचार्य के खिलाफ आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग के नाम कलेक्टर को सौपा ज्ञापन*

भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) अनूपपुर जिला महासचिव सचिन पटेल के नेतृत्व में दर्जनों छात्र-छात्राएं अनूपपुर जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय जाकर कलेक्टर के द्वारा आयुक्त महोदय उच्च शिक्षा भोपाल मध्य प्रदेश के नाम शासकीय महाविद्यालय राजनगर के प्रभारी प्राचार्य डॉक्टर माया पारस के खिलाफ ज्ञापन सौंपा ज्ञापन सौंपते हुए कहा गया राजनगर महाविद्यालय के छात्र छात्राओं के काम करने के लिए प्रभारी प्राचार्य द्वारा पैसों की मांग की गई, एवं छात्रों द्वारा सीएम हेल्पलाइन शिकायत पर जिले के अग्रणी महाविद्यालय शासकीय तुलसी के प्राचार्य डॉ विक्रम सिंह जी के द्वारा महाविद्यालय के प्रोफेसर को जांच अधिकारी बनाया गया है जो कि माया पारस के काफी करीबी माने जाते हैं जो जांच को प्रभावित कर सकते हैं इसलिए वो प्रोफेसर को जांच प्रक्रिया से बाहर किए जाये एवं जब तक जांच प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती डॉक्टर माया पारस जी को प्राचार्य के पद से मुक्त किया जाए ! जिससे कि निष्पक्ष जांच हो सके।

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