मिलर, डब्ल्यूएलसी एवं कैप प्रबंधक की मिलीभगत से हजारों बोरी धान हुई खराब
*धान के काले कारोबार में करोड़ों का खेल, जिम्मेदार मौन, कब होगी कार्यवाही*
अनूपपुर/कोतमा
भारत सरकार द्वारा कृषि के क्षेत्र पर सुधार के नए-नए तरीके अपनाएं जिससे देश के किसानों की दशा एवं दिशा सुधरने के साथ ही देश के विकास में खाद्य सामग्री का भंडारण भी हो सके! 2021-22 में धान की खरीदी के लिए जिले में कई खरीदी केंद्र खोले गए जहां पर किसानों के द्वारा धान की अच्छी फसल खरीदी केंद्रों में खरीदी गई किंतु धान खरीदी केंद्रों के प्रभारियों द्वारा बिचौलियों के साथ मिलीभगत कर धान की गुणवत्ता विहीन धान को गो ग्रीन कैप में जमा कराया गया यहीं से धान का काला कारोबार प्रारंभ हो जाता है।
*गो ग्रीन कैप दारसागर अव्यवस्था*
मध्यप्रदेश शासन द्वारा धान के भंडारण के लिए 30000 मेट्रिक टन क्षमता की ओपन कैप शहडोल संसदीय क्षेत्र की सांसद के ससुराल गांव दारसागर में बनाया गया जिसमें जनवरी 2022 से धान की भंडारण किया जाने लगा जिसमें 15000 मेट्रिक टन धान का रखाव किया गया। विश्वस्त सूत्रों से पता चला कि इस कैब में लगभग 392000 बोरियां रखी गई। पूर्व में भी उच्च अधिकारियों से शिकायत की जा चुकी है कि धान खरीदी केंद्र के प्रभारियों द्वारा बिचौलियों से सांठगांठ कर एवं खाद्य आपूर्ति निगम की शाखा प्रबंधक के साथ मिलीभगत कर कैब मे 25 से 28 किलो की बोरियां लाकर जमा की गई। कैप में किसी भी प्रकार का धर्म कांटा ना होना यह भ्रष्टाचार को और बढ़ावा देता है।
*जानबूझकर किया गया धान खराब*
किसानों के खेत से लेकर मिलरो तक के बीच में धान से चावल बनने तक में मिलर और केप प्रबंधक, डब्ल्यूएलसी प्रबंधक इन सब की मिलीभगत से शासन को करोड़ों का चूना लगाया जाता है। विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि कैप में जानबूझकर खराब धान की मात्रा को ज्यादा दिखाने की कोशिश की जा रही है जिससे कम वजन की बोरियों का एडजस्टमेंट किया जा सके। इसकी उच्च स्तरीय जांच हो तो दूध का दूध और पानी का पानी देखा जा सकता है।
*गो ग्रीन कैप द्वारा 11 मिलर को किया जा रहा है सप्लाई*
दाल सागर में बने कैब से 11 मिलर धान का उठाव कर रहे हैं जिसमें बाल गोविंद ,अब्दुल वाहिद, नाजिम अकरम, अन्नपूर्णा, दीपेंद्र ,हीरा मोती, गणेश, राम जानकी, मां ज्वाला, महालक्ष्मी, ओम, केसरवानी मिलर द्वारा धान उठाव किया जा रहा है।
*कैप अव्यवस्थाओं से घिरा*
गो ग्रीन कैप 30 हजार मैट्रिक टन क्षमता का एवं 15 एकड़ में बना हुआ है। इतने विशाल कैब में रखरखाव एवं सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किया गया कर्मचारियों के लिए शुद्ध पानी की व्यवस्था रात में लाइट की व्यवस्था एवं बरसात होने पर चौकीदार के लिए किसी भी प्रकार के सेट की व्यवस्था ना होना कैब के संचालकों द्वारा पूरी तरह से मनमानी एवं भ्रष्टाचार को उजागर करता है साथ ही वहां ना तो धर्म कांटा है जिससे धान क बजन किया जा सके और ना ही किसी भी तरह की सीसी कैमरा लगे हुए हैं जिससे गाड़ियों के आने-जाने का रिकॉर्डिंग देखा जा सके। इतनी अव्यवस्था भी होने वाले भ्रष्टाचार को उजागर करता है।
*इनका कहना है*
धान की खरीदी भारत सरकार के दिशा निर्देश पर किया गया था उसका रखरखाव की जिम्मेदारी गो ग्रीन कैब को दी गई है जो भी घाटा होगा हम कैब के किराए से काट लेंगे।
*डी एस रघुवंशी जिला प्रबंधक एमपीडब्ल्यूएलसी अनूपपुर*