करोड़ो के मनरेगा कार्य के भुगतान में कैसे होता है बंदरबांट और भ्रष्टाचार का खेल

करोड़ो के मनरेगा कार्य के भुगतान में कैसे होता है बंदरबांट और भ्रष्टाचार का खेल


अनूपपुर/पुष्पराजगढ़

केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना गरीबो के लिए  किसी वरदान से कम नही है इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों राह रहे लोगो को रोजगार मुहैय्या करना है ताकि गरीब तबके के लोगो  को आर्थिक रूप से मजबूत किया जा सके और पलायन जैसे समस्या को नियंत्रण किया जा सके। केंद्र वा राज्य सरकार की निगरानी में करोड़ों रुपयों का आवंटन ज़िला व विकास खंडों में भेजा जाता है ताकि गरीब मजदूर किसान के श्रम का पैसा उन तक पहुच सके व गरीब श्रमिक आर्थिक रूप से मजबूत हो। लेकिन इस महत्वाकांक्षी योजना का सफल संचालन अनूपपुर ज़िले के पुष्पराजगढ़ जनपद पंचायत में होता नही दिख रहा है  जनपद में बैठे सरकार के  नुमाइंदे  ही अपने जेब भरने में मशगूल हो चले है और आवंटित  हुई राशि का खुला नंगा भ्रष्टाचार का खेल कमीशन खोरी के दम पे वर्षो से चल रहा है। मनरेगा योजना अंर्तगत निर्माण कार्यो की मंजूरी से लेकर भुगतान तक के सफर में खुलकर सौदेबाजी पुष्पराजगढ़ जनपद में बैठे बड़े वील चेअर जो अपने आप को व्हाइट कालर कहते है अब कमीशन खोरी से हाथ काला कर कमीशन लाओ पेमेंट पाओ के फार्मूले को मूल मंत्र बना लिया है। अपनी दिनचर्या में मोती की तरह पिरो दिया है।

*करोड़ो की राशि मिलते ही सुरु होता है कमीशन व सेटिंग का खेल*

पुष्पराजगढ़ जनपद पंचायत में मनरेगा योजना से हुए पक्के व कच्चे कामो  के लिए जैसे है करोड़ो की राशि पहुचती है वही से शुरु हो जाता है भ्रस्टाचार का खेल जनपद भवन में बैठे मनरेगा के अधिकारी व वित्त अधिकारी  अपने अपने चहेते ठेकेदारों को रेवड़ी बाटने के लिए तत्पर रहते है। कहते है दीवारे कभी बोलती नही लेकिन कहा ये भी जाता है कि दीवारों के भी कान होते है अगर जनपद के ये दीवारे बोल सकती तो इस काले खेला की गवाही चीख़ चीख के देती खैर कोई बात नही करोड़ रूपये के भुकतान में कुछ ठेकेदारों को खाली हाथ रहना पड़ गया वजह साफ है मोटी रकम कमीशन के रूप में ना चढ़ा पाना  जो कि चर्चा का विषय  आम लोगो के बीच  बना हुआ है।

*अप्रैल माह में हुआ 9 करोड़ का झोल झाल*

पुष्पराजगढ़ जनपद पंचायत को मनरेगा योजना में  हुए निर्माण  कच्चे पक्के कार्यो के भुगतान के लिए अप्रैल माह में 9 करोड़ की राशि केन्द्र सरकार के द्वारा उपलब्ध कराया गया था एक साथ इतनी बड़ी राशि का पुष्पराजगढ़ जनपद में पहुचना मानो जैसे  मनरेगा के अधिकारी व लेखपाल के हाथ संजीवनी लग गई हो वही अधिकारियों के हरि झण्डी के इंतेजार में बैठे ठेकेदार बरसाती मेढक की तरह जनपद मुख्यालय के आस पास बने चाय व पान ठेलो में उछल कूद करते दिखने लगे गुप्त सूत्र बताते है कि जनपद में बैठे आकाओ का साफ निर्देश मिला हुआ है  की कमीशन लाओ पहले आओ और जितना चाओ भुगतान कराओ फिर  क्या आम क्या मिया  सब रेस में लग गए लेकिन मज़े की बात तो यह है कि 9 करोड़ की राशि का भुगतान कैसे हो किसको कितना भुगतान करना है यह जनपद में बैठ के नही किया जा सकता था तो सूत्र बताते है कि ठेकेदार भाइयो की जोड़ी ने लेखा अधिकारी व मनरेगा अधिकारी को ज़िले के शानदार होटल की चमचमाती रोशनी के बीच सजी डायनिंग टेबल पे बैठा कर जिसने जितना मलाई खिलाया उसका उतना भुकतान हुआ अब  इस बात में कितनी सच्चाई है ये खाने वाले और खिलाने वाले भाई जान ही जाने।

*उपयंत्री और ठेकेदार की जोड़ी करती है कमाल*

मनरेगा योजना अंतर्गत हो रहे कार्यो  की गुणवक्ता  कैसी होनी चाहये और निर्माण कार्य ठीक ढंग से  हो इस निगरानी का काम संबंधित पंचायत के उपयंत्री की होती है निर्माण कार्य मे किस सामग्री का क्या मापदंड होना चाहये इसकी बेसिक जानकारी उपयंत्री के पास ही होती है दरअसल जिस कमीशन खोरी का ज़िक्र हम बार बार कर रहे है  उसकी शुरुआत उपयंत्री से ही शुरू होती है ग्रामीण इलाकों में मनरेगा योजना में जो भी निर्माण कार्य हो रहे होते है  उसमें सबसे बड़ी भूमिका ग्राम पंचायत के उपयंत्री की होती है ठेकेदार  के द्वारा हर निर्माण कार्य मे उपयंत्री का लगभग 10 परसेंट फिक्स होता है फिर चाहे निर्माण कार्य की गुणवक्ता कैसी भी हो उपयंत्री उसे आसानी से पास कर दिया जाता है फिर इस भ्रस्टाचार के ताबूत में आखरी कील ठोकने के लिए  पुष्पराजगढ़ जनपद में बैठे  अधिकारियों के पाले में डाल दिया जाता है जहाँ एक बार फिर शुरु होता है कमीशन का खेल सूत्र बताते है कि ठेकेदार कितने की राशि का बिल लगा रहा है उसपे तय होता है कि कितना परसेंट कमीशन लिया जाना है यह भी तय किया जाता है।जानकर बताते है  जिस ठेकेदार या बेंडर का जितना भुकतान होता है उसका 5 परसेंट कम से कम देना पड़ता है  कुल मिला कर आप देखेंगे कि मनरेगा के एक निर्माण कार्य मे लगभग 15 परसेंट का कमीशन नीचे से ऊपर तक फिक्स है अब आप जरा सोचिए कि इतना कमीशन देने के बाद ठेकेदार के द्वारा जो निर्माण किया गया होगा उसकी गुणवत्ता कितनी अच्छी होगी यह सोचने पे आप को मजबूर कर देगा।

भ्रष्टाचार के इस खेल में  कहा कहा हुआ खेल किस ठेकेदार के  नाम से कितना  हुआ भुकतान जल्द होगा खुलासा।

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