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वन भूमि पर अवैध निर्माण का आरोप, बिना अनुमति मुक्तिधाम निर्माण से वन एवं वन्यजीवों को नुकसान
कोतमा।
जिले में वन परिक्षेत्र कोतमा अंतर्गत सकोला बीट की वन भूमि पर बिना विभागीय अनुमति के मुक्तिधाम का निर्माण किए जाने का गंभीर मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार नगर पालिका परिषद पसान के वार्ड क्रमांक 17 में केवई नदी पुल के नीचे वन विभाग की स्वीकृति के बिना पार्क निर्माण कार्य तेजी से किया जा रहा है।
बताया जाता है कि उक्त क्षेत्र वन विभाग के अधीन है, बावजूद इसके नगर पालिका परिषद द्वारा लगभग 3 लाख रुपये की लागत से मुक्तिधाम का निर्माण कराया जा रहा है। आरोप है कि इस निर्माण कार्य के संबंध में न तो वन विभाग से पूर्व अनुमति ली गई और न ही पर्यावरणीय नियमों का पालन किया गया। इससे वन भूमि को भारी क्षति पहुंच रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस अवैध निर्माण से वन क्षेत्र का प्राकृतिक स्वरूप नष्ट हो रहा है, वहीं दूसरी ओर क्षेत्र में विचरण करने वाले वन्य जीव-जंतु भी प्रभावित हो रहे हैं। निर्माण कार्य के चलते जंगल में शोर, खुदाई और मानव गतिविधियों के बढ़ने से वन्य प्राणियों के प्राकृतिक आवास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
सूत्रों के अनुसार सकोला बीट प्रभारी की जानकारी के बावजूद निर्माण कार्य जारी है, जिससे उच्च अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता के कारण यह अवैध निर्माण कार्य बिना रोक-टोक के आगे बढ़ रहा है।
इस संबंध में क्षेत्रवासियों एवं पर्यावरण प्रेमियों मिथिलेश कुमार एवं अनिल कुमार ने वन विभाग के उच्च अधिकारियों से अपील की है कि वन भूमि पर हो रहे अवैध निर्माण कार्य को तत्काल रोका जाए तथा दोषियों के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई तो वन संपदा को अपूरणीय क्षति होगी। अब देखना यह होगा कि वन विभाग एवं जिला प्रशासन इस गंभीर मामले में क्या कदम उठाता है और वन भूमि की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कब तक ठोस कार्रवाई की जाती है।
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गड्ढेनुमा सड़क पर चलने को मजबूर राहगीर, प्रशासन की अनदेखी से बढ़ा हादसे का खतरा
अनूपपुर
जिले में कोतमा क्षेत्र अंतर्गत कोल इंडिया की सहायक कंपनी एसईसीएल जमुना कोतमा परियोजना से भालूमाड़ा, दारसागर, आमाडांड सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ने वाली मुख्य सड़क की हालत अत्यंत जर्जर हो चुकी है। सड़क पर जगह-जगह गहरे गड्ढे बन जाने से राहगीरों, ग्रामीणों एवं वाहन चालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि राहगीर जान जोखिम में डालकर गड्ढेनुमा सड़क पर चलने को मजबूर हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि कोल प्रबंधन एवं जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण सड़क मार्ग पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। दिन हो या रात, आवागमन करना बेहद खतरनाक हो चुका है। ग्रामीणों का आरोप है कि किसी भी दिन इस मार्ग पर बड़ी दुर्घटना घट सकती है, लेकिन जिम्मेदार विभाग आंख मूंदे बैठे हैं।
नगर पालिका परिषद पसान के वार्ड क्रमांक 15 एवं 16 में निवासरत ग्रामीण जन लंबे समय से सड़क की खराब स्थिति से त्रस्त हैं। धूल, गड्ढों और कीचड़ के कारण किसान वर्ग, मजदूर वर्ग तथा स्थानीय निवासियों का जीवन दुश्वार हो गया है। सड़क से उड़ने वाली कोल डस्ट के कारण लोगों को सांस संबंधी बीमारियों सहित अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है।
ग्रामीण निवासी रमेश केवट, हरि चरण शर्मा, भोलेनाथ प्रजापति, ओमप्रकाश सोनी सहित अन्य नागरिकों ने जिला प्रशासन एवं कोल प्रबंधन से मांग की है कि शीघ्र ही सड़क की मरम्मत कराई जाए, ताकि आवागमन सुचारु हो सके। साथ ही कोल डस्ट से राहत दिलाने के लिए नियमित पानी का छिड़काव एवं उचित प्रबंधन किए जाने की भी मांग उठाई गई है।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते सड़क की मरम्मत नहीं कराई गई, तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर समस्या पर कब तक संज्ञान लेता है और आमजन को राहत दिलाने के लिए क्या ठोस कदम उठाता है।
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सड़क किनारे फैला कचरा, स्कूल जाने वाले बच्चो को हो रही है परेशानी, जिम्मेदार मौन
अनूपपुर/कोतमा
कोतमा नगर के वार्ड क्रमांक 2 में शारदा मंदिर के पीछे वर्षों से कचरा नहीं उठाया जा रहा है। यह मार्ग सीधे विवेक शिक्षा निकेतन हायर सेकेंडरी स्कूल तक जाता है, जिससे स्कूल आने-जाने वाले बच्चों को गंदगी और कचरे की बदबू से परेशानी हो रही है।
निवासी और अभिभावक बताते हैं कि जमी हुई गंदगी और कचरे की बदबू के कारण बच्चों को मार्ग पार करने में कठिनाई हो रही है। उनका कहना है कि मार्ग की सफाई नियमित नहीं होने के कारण बच्चों और राहगीरों की सेहत प्रभावित हो रही है। उन्होंने नगर प्रशासन से आग्रह किया है कि इस क्षेत्र की सफाई तुरंत सुनिश्चित की जाए।
स्थानीय नागरिक और अभिभावक प्रशासन की पहल का स्वागत कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि नियमित सफाई और निगरानी सुनिश्चित की जाए तो विवेक शिक्षा निकेतन हायर सेकेंडरी स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए मार्ग सुरक्षित और स्वच्छ बनेगा। लोग उम्मीद जताते हैं कि नगर में सफाई और सुरक्षा को लेकर सतत प्रयास जारी रहेंगे।
नगरपालिका के अधिकारी ने कहा कि हमें आपके द्वारा इस विषय पर जानकारी प्राप्त हुई है। इस मार्ग की सफाई और संबंधित कार्य तुरंत कराया जाएगा। नागरिकों से सहयोग की अपेक्षा है ताकि बच्चों और राहगीरों के लिए मार्ग सुरक्षित और स्वच्छ बने। यह कार्य हमारी प्राथमिकता है और हम इसकी निगरानी नियमित रूप से करेंगे।”
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आजादी के 75 वर्ष बाद भी बिजली के नही हुए दर्शन, उजाले के नाम पर कैरोसीन भी छीना
*आदिवासी गाँवों की त्रासदी भरी दास्तान*
उमरिया
जिले में अब भी दर्जनों गाँव ऐसे है, जहाँ पर अभी भी मूलभूत सुविधाएं गरीब आदिवासियों के लिए मृगतृष्णा बनी हुई है। देश आजाद होकर आठवे दशक में प्रवेश कर रहा है, परन्तु आदिवासियों की बुनियादी समस्याओं का पहाड़ वैसे ही खडा है। अभी भी जिला के दूर दराज क्षेत्रों में बिजली जैसी बुनियादी जरूरत की पहुंच न होने के कारण लोगों का जीवन उन्नीसवीं सदी में जीने के लिए मजबूर है। ऐसे गाँवों में आदिवासी विकास खंड के बाघन्नारा,गांधी ग्राम, चिनकी और सास जैसे वनांचल के गाँव आज अंधेरे में जीवन यापन कर रहे हैं। इन गांवो के लोग रात में अंधकार से निपटने के लिए रोशनी के लिए एक मोमबत्ती का सहारा लेते हैं। देश की सरकारें यह मानकर की पूरे देश में अंधकार से निपटने के कारगर बिजली आपूर्ति हो गयी है और अब कैरोसीन की आवश्यकता नहीं है, यह मानकर गरीब आदिवासियों को मिलने वाली शासकीय उचित मूल्य दूकानों से कैरोसीन की सुविधा भी छीन ली गई है। मामला जिले के आदिवासी विकास खंड क्षेत्र के पाली जनपद के ग्राम सांस का है। यहां आजादी के बाद अब भी बुनियादी सुविधाओं का टोटा है। पाली के इस सांस गाँव मे में तकरीबन 70 बैगा जाति के लोग निवास करते है। लगभग 100 से 200 की आबादी वाले इस गांव में रहते हैं जहाँ माध्यमिक तक एक विद्यालय भी है।
आजादी के 78 साल बाद भी गांव की सूरत नहीं बदल सकी है। गांव में विद्युतीकरण नहीं हो सका है। कई वर्ष पहले गांव में बिजली के खम्भे खड़े कर तार दौड़ा दी गयी, लेकिन अभी तक तार गाँव मे रोशनी की किरणें गाँव तक नहीं पहुंच सकी। प्रशासनिक अमले के साथ इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने भी इनके भविष्य के साथ खूब खिलवाड़ किया इनके द्वारा वोट के बदले सिर्फ आश्वसान की घुट्टी ही मिली। गांव के लोग कहते हैं कि बिजली न होने से रात में जंगली जानवरों का भय बना रहता है। लोगों को रात में उजाले के लिए सौर ऊर्जा व मोमबत्ती का सहारा लेना पड़ता है।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश के हर घर तक बिजली पहुंचाने के लिए सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) लांच की थी, जिसके तहत घर घर बिजली देने का प्लान बनाया, लेकिन दिल्ली और भोपाल में बनी ये योजनाए सायद यहां पहुच ही नहीं पाई। उमरिया जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के बिरसिंहपुर पाली जनपद के कठई पंचायत के सांस गाँव व चांदपुर पंचायत के बाघन्नारा जहाँ बैगा जाति की बस्ती है जहां सांस गाँव मे लगभग 200 परिवार तो बाघन्नारा में लगभग 500 परिवार बैगा जाति के लोग निवाश करते लेकिन आज तक इस सांस गाँव मे उजाला को देखने के लिए कई वर्ष गुजर गए वन विभाग के जंगलों में खंभे लग गए तार भी दौड़ दिए लेकिन आज 5 से 6 वर्ष बीतने जा रहा तार में करेण्ट कब आएगा कोई बताने वाला नही है।
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नगर परिषद बकहो में सिविलियन कर्मचारियों का भुगतान विवाद में, काम के बिना भुगतान का सवाल
शहडोल
नगर परिषद बकहो में सिविलियन कर्मचारियों के बिना काम किए भुगतान का मामला अब गंभीर वित्तीय और प्रशासनिक विवाद में बदल गया है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार कर्मचारी केवल हाजिरी लगाते हैं, वास्तविक कार्य पूरी तरह अनुपस्थित रहते हैं भुगतान सिर्फ हाजिरी के आधार पर किया जा रहा है कौन-सा काम कराया जा रहा है, इसका कोई GPS / फोटो / वीडियो प्रमाण नहीं है कौन-से फंड से भुगतान हो रहा है, यह भी अस्पष्ट है। इस कारण नगर परिषद का आर्थिक फंड अनियमित रूप से खर्च हो रहा है, जबकि वास्तविक नागरिक सेवाएं प्रभावित हो रही हैं।
कर्मचारी सुबह हाजिरी लगाकर अर्ध-दिवसीय या लापरवाह ड्यूटी करते हैं बाद में रफू-चक्कर, कार्यालय में अनुपस्थित रहते हैं इसके बावजूद नगर पालिका द्वारा मासिक भुगतान किया जाता है काम का कोई प्रमाण जैसे GPS लोकेशन, फोटो या वीडियो उपलब्ध नहीं। भुगतान केवल नगर परिषद के सामान्य या योजना फंड से हो रहा है यह स्थिति लोक धन के दुरुपयोग की ओर इशारा करती है।
स्थानीय स्तर पर यह भी चिंता का विषय है कि—मुख्य नगर पालिका अधिकारी (CMO) साक्ष्य और शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं कर रही हैं। यदि ऐसा चलता रहा, तो सीधे लोक धन का दुरुपयोग और नियमों का उल्लंघन माना जाएगा इस कारण जिला कलेक्टर, संभागायुक्त और नगरीय प्रशासन विभाग भोपाल तक हस्तक्षेप की मांग उठ रही है। अब क्या कदम उठाए जा सकते हैं अगर शहडोल जिला प्रशासन शिकायतो पर दोषी कर्मचारियों और प्रशासनिक अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई। भुगतान की रिकवरी और रोकथाम सुनिश्चित करना अगर जिम्मेदारों ने कार्यवाही नहीं की तो लोकहित के लिए हमारे क्षेत्र के आर्थिक क्षति को लेकर के आवश्यकता पड़ने पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर किया जायेगा।
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दिन में जलती हैं स्ट्रीट लाइट, लाखों का नुकसान, सीएमओ की चुप्पी पर सवाल
शहडोल
नगर परिषद बकहो में स्ट्रीट लाइट व्यवस्था से हो रहा लगातार आर्थिक नुकसान अब प्रशासनिक उदासीनता का बड़ा उदाहरण बनता जा रहा है। जानकारी के अनुसार नगर परिषद बकहो क्षेत्र में लगी 90 वाट की लगभग 200 स्ट्रीट लाइटें सुबह 11:30 बजे तक दिन के उजाले में भी चालू रहती हैं, जिससे परिषद को प्रतिदिन हजारों रुपये का अनावश्यक नुकसान उठाना पड़ रहा है। प्रतिवर्ष अनुमानित नुकसान लगभग ₹2.26800/- लाख यह राशि नगर परिषद के विकास कार्यों के बजट से सीधे कटकर बेवजह बिजली बिल में खर्च हो रही है।
आधी ड्यूटी, पूरी व्यवस्था लावारिस सूत्रों के अनुसार नगर परिषद बकहो में पदस्थ इलेक्ट्रिशियन जितेंद्र दाहिया नगर परिषद बकहो में सुबह 12.00 बजे तक ड्यूटी पर उपस्थित लगने पहुंचते हैं। इसके बाद स्ट्रीट लाइट नियंत्रण और निगरानी की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं रहती, जिसके चलते दिन में भी लाइटें बंद नहीं हो पातीं। मुख्यालय में निवास न करना, नियमों की अनदेखी नगर परिषद बकहो के कई कर्मचारियों द्वारा—पदस्थ मुख्यालय बकहो में निवास नहीं किया जा रहा है,बल्कि शहडोल से आकर सीमित समय ड्यूटी कर वापस लौटने की बात सामने आ रही है। जबकि मध्यप्रदेश नगर पालिका कर्मचारी सेवा नियम, 1968 के तहत कर्मचारियों का मुख्यालय में रहना अनिवार्य है। लोक सेवक द्वारा जानबूझकर लापरवाही बकहो सीएमओ की निष्क्रियता पर उठ रहे सवाल सबसे अहम सवाल यह है कि इतनी स्पष्ट जानकारी, लिखित शिकायत और आर्थिक नुकसान के बावजूद मुख्य नगर पालिका अधिकारी बकहो द्वारा अब तक कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की गई। न तो—विभागीय जांच शुरू हुई,न जिम्मेदारी तय की गई,न ही आर्थिक नुकसान की रिकवरी का आदेश जारी हुआ। जानकारों का कहना है कि कार्रवाई न करना भी सेवा अपराध की श्रेणी में आता है।अब ऊपर से कार्रवाई की मांग तेज स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों द्वारा मांग की जा रही है कि—जिला कलेक्टर शहडोल इस पूरे मामले की स्वतंत्र जांच कराएं जिम्मेदार कर्मचारी के साथ-साथ कार्रवाई न करने वाले अधिकारियों की भी जवाबदेही तय हो नगर परिषद को हुए नुकसान की रिकवरी सुनिश्चित की जाए।
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बफर क्षेत्र के जंगल में गश्त के दौरान सुरक्षा श्रमिक पर बाघ ने किया हमला, आई गंभीर चोट
उमरिया
जिले के मानपुर बफर परिक्षेत्र में जंगल गश्त के दौरान एक सुरक्षा श्रमिक पर बाघ ने हमला कर दिया। इस हमले में डोभा गांव निवासी दयाराम बैगा (48) गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना गुरुवाही बीट के पीएफ 612 अंतर्गत राजस्व क्षेत्र बोदवाह में हुई।
बाघ के हमले से दयाराम बैगा के सिर, आंख और बाएं हाथ में गंभीर चोटें आई हैं। सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम तत्काल मौके पर पहुंची और घायल श्रमिक को मानपुर अस्पताल में प्राथमिक उपचार के लिए भर्ती कराया। उनकी गंभीर हालत को देखते हुए, बेहतर इलाज के लिए उन्हें जबलपुर रेफर कर दिया गया है।
मानपुर बफर परिक्षेत्र के अधिकारी मुकेश अहिरवार ने बताया कि घायल श्रमिक के साथ वन विभाग की टीम लगातार संपर्क में है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह क्षेत्र कोर जोन से सटा हुआ है, जहां बाघों की आवाजाही सामान्य है। इस घटना के बाद क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और गश्त भी बढ़ा दी गई है।
वन विभाग ने आसपास के ग्रामीणों और जंगल में काम करने वाले श्रमिकों से सतर्क रहने की अपील की है। विभाग द्वारा क्षेत्र में बाघ की गतिविधियों पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।
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अधूरे पुल पर चढ़ी कार हुई क्षतिग्रस्त, बाल-बाल बचे लोग, कोहरे के कारण हुआ हादसा
शहडोल
जिले में इन दिनों कड़ाके की ठंड के साथ घना कोहरा जनजीवन और यातायात दोनों के लिए परेशानी का कारण बन रहा है। रात और सुबह के समय कोहरे की सफेद चादर सड़कों पर छा जाती है, जिससे दृश्यता बेहद कम हो जाती है। इसी कोहरे के चलते उमरिया–अनूपपुर नेशनल हाईवे 43 पर एक बड़ा सड़क हादसा होते-होते टल गया।
घटना सोहागपुर थाना क्षेत्र के ठीक सामने निर्माणाधीन अधूरे पुल की है। बताया जा रहा है कि कोहरे की वजह से सड़क ठीक से दिखाई नहीं दी और तेज रफ्तार कार सीधे अधूरे पुल पर चढ़ गई। हादसे में कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई, जबकि कार सवार लोगों को मामूली चोटें आई हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पुल कई वर्षों से निर्माणाधीन है, लेकिन अब तक पूरा नहीं हो सका है। हाईवे से पुल की ओर जाने के लिए मिट्टी की पिचिंग कर दी गई है, जिससे हाईवे और पुल की सड़क का लेवल लगभग एक जैसा हो गया है। इसी कारण वाहन चालक भ्रमित हो जाते हैं और आए दिन हादसे हो रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि निर्माण एजेंसी की ओर से न तो कोई सूचना पटल लगाया गया है और न ही चेतावनी के लिए सांकेतिक बोर्ड।
स्थानीय निवासी निलेश कुशवाहा ने बताया कि इस अधूरे पुल के आसपास पहले भी कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें लोगों की जान तक जा चुकी है। इस समस्या को लेकर सीएम हेल्पलाइन और जिला प्रशासन में कई बार शिकायतें की गईं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। वाहन मालिक अब्दुल हुसैन ने बताया कि वह रात में महेंद्रगढ़ से दियापीपर जा रहे थे। घने कोहरे के कारण उन्हें सड़क का अंदाजा नहीं लग पाया और पुल व हाईवे के बीच कोई स्पष्ट संकेत नहीं होने से कार सीधे पुल पर चढ़ गई।
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नाबालिग बालिका से बलात्कार का आरोपी गिरफ्तार
अनूपपुर
जिले के थाना बिजुरी की पुलिस टीम ने 13 वर्ष की नाबालिका बालिका से बलात्कार करने वाले आरोपी को गिरफ्तार किया गया। 18 दिसम्बर 2025 को फरियादिया उपस्थित थाना आकर रिपोर्ट लेख कराई कि दिनांक 13 दिसम्बर 2025 को हम लोग घर पर थे, हमारी लडकी जो 13 वर्ष की है, पडोस मे आग तापने गयी थी, जहा आरोपी ने उसे पैसो का लालच देकर घर से दूर ले जाकर उसके साथ बलात्कार किया तथा घर पर किसी को न बताने के लिये बोलते हुए कहा कि यदि किसी को बताया तो जान से खत्म कर दूगा। रिपोर्ट पर थाना बिजुरी मे अपराध क्र 423/25 धारा 64(1), 65(1), 351(3) बीएनएस, 3,4(2) पाक्सो एक्ट का कायम कर अनुसंधान में लिया गया।