54.9 हजार का 152 लीटर देशी/अंग्रेजी अवैध शराब बोलेरो सहित पुलिस ने किया जप्त


अनूपपुर

मुखबिर से सूचना मिली की एक सफेद रंग की बोलेरो जिसका नंबर MP 18 T 3186 है, जिसमें अवैध शराब लेकर अनूपपुर तरफ से आकर धनपुरी मजीठा रोड तरफ जा रही है, तभी थाना राजेन्द्रग्राम की पुलिस द्वारा सूचना को गंभीरता से लेते हुये तत्काल मौके पर रवाना होकर धनपुरी रोड पहुंचे तो एक सफेद रंग की बोलेरो काफी तेजी से भागते दिखा, जिसका पीछा किये तो उक्त बोलेरो वाहन मजीठा रोड तरफ जाते दिखी, मजीठा गांव की रोड पर बोलेरो वाहन का पीछा किये तो उक्त बोलेरो वाहन का चालक पुलिस को देखकर तेजी से वाहन को चलाते हुये मजीठा हार की तरफ जाने वाले रास्ते पर ले गया, मजीठा हार में बनी पुरानी सूखी नहर के आगे रास्ता न होने से नहर के पास बोलेरो को छोड़कर जंगल तरफ तेजी से भागा, जिसका पीछा किया गया मगर जंगल झाड़ियों का फायदा उठाकर फरार हो गया। मौके पर गवाहों के समक्ष वाहन की तलाशी ली गयी जो वाहन के पीछे की सीट पर खाकी रंग के कागज के 14 नग कार्टून की पेटी में देशी/अंग्रेजी शराब भरे होना पाया गया। प्रत्येक कार्टून को चेक करने पर एक कागज के कार्टून में देशी प्लेन मदिरा के पाव 50 नग एक पाव शराब जिसकी कीमती 3500/- रूपये की, दो कार्टून में अंग्रेजी शराब जीनियस व्हिस्की कंपनी की 99 नग कीमत 12870/- रूपये की, 2 कार्टून में अंग्रेजी शराब ब्लूचिप कंपनी की 97 नग कीमत 12610/- रूपये, 9 कार्टून में अंग्रेजी शराब बीयर पावर 216 नग कीमत 25920/- रूपये की कुल देशी/अंग्रेजी शराब 152 लीटर कुल कीमती 54,900/- रूपये  एवं एक बोलेरो वाहन क्रमांक MP 18 T 3186 कीमती 8 लाख रुपए को मौके से जप्त किया गया। वाहन बोलेरो का फरार आरोपी चालक का कृत्य अपराध धारा 34 (2) आबकारी एक्ट का दंडनीय पाये जाने से अपराध क्रमांक 91/2025 धारा 34(2) आबकारी एक्ट का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

क्षत्रिय समाज ने महाराणा प्रताप जयंती पर नगर में निकली शोभायात्रा, दिखी क्षत्रिय समाज की एकता 


अनूपपुर

जिले के कोतमा नगर में त्याग बलिदान और पराक्रम के प्रतीक, मेवाड़ के स्वाभिमानी योद्धा एवं वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती के अवसर पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया कोतमा नगर के मंगल भवन में आयोजित कार्यक्रम में जमुना कोतमा क्षेत्र तथा बिजुरी राजनगर एवं ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाले क्षत्रिय समाज के लोगों ने शिरकत कर महाराणा प्रताप की जयंती के अवसर पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए नमन किया।

क्षत्रिय समाज से भारी संख्या में महिला पुरुष मंगल भवन में एकत्र हुए जहां पर समाज के प्रमुख लोगों ने महाराणा प्रताप के जीवन पर अपने उद्बोधन के माध्यम से उपस्थित लोगों के बीच अपनी बात रखी इसके पश्चात नगर में भव्य शोभायात्रा निकल गई जो मंगल भवन से होते हुए कोतमा बस स्टैंड चौपाटी पुराने स्टेट बैंक होते हुए गांधी चौक में शोभायात्रा का समापन किया गया। इस आयोजन के माध्यम से क्षत्रिय समाज ने  अपनी संस्कृति और वीर परंपरा का गौरवपूर्ण प्रदर्शन किया।

इस अवसर पर भारी संख्या में क्षत्रिय समाज की महिला एवं पुरुष की सहभागिता देखी गई, जिन्होंने पारंपरिक वेशभूषा और उत्साह के साथ भाग लेकर आयोजन को भव्यता प्रदान की। समस्त नगर देशभक्ति नारों और राजपूत गौरव के जयघोषों से गूंज उठा। इस आयोजन ने न केवल क्षत्रिय समाज की एकता और संगठन शक्ति को उजागर किया, बल्कि युवाओं में महाराणा प्रताप के अदम्य साहस और स्वाभिमान से प्रेरणा लेने का संदेश भी दिया। 

अदानी समूह द्वारा भेंट की गई एंबुलेंस के पीछे जमीन अधिग्रहण की रणनीति?


*स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल*

अनूपपुर

जिले के बिजुरी क्षेत्र में अदानी समूह द्वारा हाल ही में एक एंबुलेंस भेंट की गई है, लेकिन यह भेंट समाजसेवा की भावना से कम और एक गहरी रणनीति का हिस्सा अधिक प्रतीत हो रही है। सोशल मीडिया पर वायरल एक पोस्ट के माध्यम से यह खुलासा किया गया कि इस एंबुलेंस को मुफ्त में न देकर, 8-10 लाख रुपये की लागत के एवज में क्षेत्र की जमीन अधिग्रहण की तैयारी की जा रही है। इस प्रकरण में कोतमा के वरिष्ठ समाजसेवी पंडित पुष्पेन्द्र उर्मलिया ने सवाल उठाए हैं कि यदि यह सचमुच जनहित में दान होता, तो इसे सहर्ष स्वीकार किया जाता। लेकिन जब इसके पीछे शर्तें और स्थानीय प्रशासन के साथ कथित सांठगांठ सामने आती है, तो यह संदेह पैदा करता है कि कहीं यह एक बड़ी साजिश तो नहीं?

सूत्रों के अनुसार, एक कथित राज्य मंत्री से इस एंबुलेंस का उद्घाटन करवाया गया, और फोटो सेशन के बाद यह भेंट "मंत्री मिनिस्टर्स के मार्फत" स्थानीय और जिला प्रशासन की जेब में चली गई। यह तरीका अदानी समूह की ओर से क्षेत्रीय नियंत्रण स्थापित करने का एक प्रयास प्रतीत हो रहा है। उर्मलिया ने तंज कसते हुए कहा कि ये व्यापारी लोग हैं, और किसी शवयात्रा पर भी व्यापारी तब तक अपना व्यापार नहीं छोड़ता जब तक कोई जीवित ग्राहक न रहे। अदानी समूह के ऐसे दान को उन्होंने "गुरु दक्षिणा" मानने से इंकार किया और कहा कि सक्षम व्यक्ति को पांचों उँगलियाँ बराबर समझनी चाहिए।

उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पहले भी क्षेत्र में मोजर बेयर और वेल्सपन ने इसी तरह के प्रलोभन देकर क्षेत्र का दोहन किया था, और परिणाम आज भी लोग भुगत रहे हैं। सोशल मीडिया पर इस विषय को लेकर लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। अधिकांश लोग इसे जनसेवा की आड़ में व्यावसायिक स्वार्थ सिद्ध करने की कोशिश मान रहे हैं।

*"दान के नाम पर नियंत्रण की राजनीति?"*

किसी भी समाज में यदि व्यापारिक संस्थान जनकल्याण के लिए आगे आते हैं, तो यह सराहनीय है। किंतु जब उस जनसेवा के पीछे छिपे स्वार्थ और लाभ की नीयत हो, तो वह समाज के लिए संकट बन जाता है। अदानी समूह द्वारा की गई यह भेंट एक प्रश्नचिह्न खड़ा करती है — क्या जनसेवा अब सौदेबाजी का माध्यम बन गई है? यदि ऐसा है, तो यह न केवल लोकतंत्र की आत्मा के विरुद्ध है, बल्कि स्थानीय जनता की चेतना और अधिकारों के लिए भी एक गंभीर खतरा है। प्रशासन को चाहिए कि वह ऐसे मामलों में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करे।

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