नगर परिषद में सिविलियन कर्मचारियों का भुगतान विवाद में, काम के बिना भुगतान का सवाल
शहडोल
नगर परिषद बकहो में सिविलियन कर्मचारियों के बिना काम किए भुगतान का मामला अब गंभीर वित्तीय और प्रशासनिक विवाद में बदल गया है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार कर्मचारी केवल हाजिरी लगाते हैं, वास्तविक कार्य पूरी तरह अनुपस्थित रहते हैं भुगतान सिर्फ हाजिरी के आधार पर किया जा रहा है कौन-सा काम कराया जा रहा है, इसका कोई GPS / फोटो / वीडियो प्रमाण नहीं है कौन-से फंड से भुगतान हो रहा है, यह भी अस्पष्ट है। इस कारण नगर परिषद का आर्थिक फंड अनियमित रूप से खर्च हो रहा है, जबकि वास्तविक नागरिक सेवाएं प्रभावित हो रही हैं।
कर्मचारी सुबह हाजिरी लगाकर अर्ध-दिवसीय या लापरवाह ड्यूटी करते हैं बाद में रफू-चक्कर, कार्यालय में अनुपस्थित रहते हैं इसके बावजूद नगर पालिका द्वारा मासिक भुगतान किया जाता है काम का कोई प्रमाण जैसे GPS लोकेशन, फोटो या वीडियो उपलब्ध नहीं। भुगतान केवल नगर परिषद के सामान्य या योजना फंड से हो रहा है यह स्थिति लोक धन के दुरुपयोग की ओर इशारा करती है।
स्थानीय स्तर पर यह भी चिंता का विषय है कि—मुख्य नगर पालिका अधिकारी (CMO) साक्ष्य और शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं कर रही हैं। यदि ऐसा चलता रहा, तो सीधे लोक धन का दुरुपयोग और नियमों का उल्लंघन माना जाएगा इस कारण जिला कलेक्टर, संभागायुक्त और नगरीय प्रशासन विभाग भोपाल तक हस्तक्षेप की मांग उठ रही है। अब क्या कदम उठाए जा सकते हैं अगर शहडोल जिला प्रशासन शिकायतो पर दोषी कर्मचारियों और प्रशासनिक अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई। भुगतान की रिकवरी और रोकथाम सुनिश्चित करना अगर जिम्मेदारों ने कार्यवाही नहीं की तो लोकहित के लिए हमारे क्षेत्र के आर्थिक क्षति को लेकर के आवश्यकता पड़ने पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर किया जायेगा।
