शासकीय निर्माण में लग रहा चोरी का सामान, छात्रावास की नींव में उपयोग की जा रही अवैध रेत
अनूपपुर
जिस प्रशासन पर अवैध उत्खनन रोकने की जिम्मेदारी है, उसी प्रशासन के नाक के नीचे सरकारी भवन के निर्माण में चोरी की रेत का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। मामला फुनगा क्षेत्र का है, जहाँ गोडारू नदी को माफियाओं ने चारागाह बना लिया है। सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इस अवैध रेत का उपयोग किसी निजी मकान में नहीं, बल्कि प्यारी क्रमांक-1 में बन रहे कस्तूरबा गांधी छात्रावास में किया जा रहा है।
पयारी क्रमांक-1 में निर्माणाधीन कस्तूरबा गांधी छात्रावास के ठेकेदार द्वारा सरकारी राजस्व (रॉयल्टी) की चोरी की जा रही है। नियमानुसार, सरकारी निर्माण कार्यों में वैध खदान की रॉयल्टी वाली रेत लगनी चाहिए, लेकिन मुनाफे के लालच में ठेकेदार गोडारू नदी के प्यारी, देखल और अमलाई घाटों से रात के अंधेरे में अवैध उत्खनन करवा रहा है। सवाल उठता है कि क्या संबंधित इंजीनियर और अधिकारियों को इस "काले खेल" की जानकारी नहीं है, या सब कुछ मिलीभगत से चल रहा है।
ग्रामीणों के अनुसार, गोहरारू नदी में मशीनें और ट्रैक्टर-ट्रॉली दिन-रात गरज रहे हैं। नदी का प्राकृतिक स्वरूप पूरी तरह नष्ट किया जा रहा है। फुनगा पुलिस की गश्त इन रास्तों पर नदारद रहती है और खनिज विभाग शिकायत के बाद भी मौके पर नहीं पहुँचता। ग्रामीणों का आरोप है कि यह चुप्पी इशारा करती है कि माफियाओं के तार बहुत ऊपर तक जुड़े हैं।
कस्तूरबा गांधी छात्रावास के निर्माण में लग रही रेत की रॉयल्टी रसीद (TP) की जांच अब तक क्यों नहीं की गई। जब पयारी, देखल और अमलाई में खुलेआम जेसीबी चल रही है, तो खनिज विभाग ने अब तक क्यों नहीं की। सरकारी निर्माण में अवैध सामग्री का उपयोग होने पर निर्माण एजेंसी/ठेकेदार पर कार्यवाही कब होगी।
