निलंबित प्रबंधक की धान खरीदी केंद्र में दबंगई, किसानों की फसल पर फिर मंडराया भ्रष्टाचार का साया
अनूपपुर
एक ओर मध्य प्रदेश शासन एवं भारत सरकार किसानों की आय बढ़ाने और खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर धान खरीदी केंद्रों में भ्रष्ट तंत्र इन प्रयासों पर पानी फेरता नजर आ रहा है। कोतमा तहसील अंतर्गत कृषि उपज मंडी कोतमा स्थित धान खरीदी केंद्र इन दिनों गंभीर आरोपों के घेरे में है। आरोप है कि देवगवा सहकारी समिति का निलंबित प्रबंधक सुरेंद्र पांडे, जो पूर्व कार्यकाल में धान खरीदी का प्रभारी रह चुका है, आज भी खुलेआम खरीदी केंद्र में दखल दे रहा है।
*आपराधिक इतिहास, फिर भी केंद्र में दमदार*
सूत्रों के अनुसार उक्त प्रबंधक के काले कारनामे पहले ही उजागर हो चुके हैं। पूर्व में विभाग द्वारा उसके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया गया था। लंबे समय तक फरार रहने के बाद किसी तरह जमानत प्राप्त करने में सफल हुआ, लेकिन जमानत के बाद सुधरने के बजाय उसका हौसला और बढ़ गया व्यापारियों से सांठगांठ, किसानों के साथ छल आरोप है कि यह प्रबंधक धान खरीदी केंद्र प्रभारियों पर दबाव बनाकर। व्यापारियों से सांठगांठ कर नियमों को ताक पर रखकर मनमाने ढंग से धान की खरीदी करवा रहा है।इस पूरे खेल में असल नुकसान किसानों को हो रहा है, जिनकी मेहनत की फसल औने-पौने दाम और फर्जी प्रक्रियाओं में फंसती जा रही है। नियमों की खुलेआम अवहेलना शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि ऐसे विवादित एवं भ्रष्टाचार के आरोपित अधिकारियों को खरीदी केंद्र से दूर रखा जाए और वे अपने मुख्यालय में ही कार्य करें। इसके बावजूद यह प्रबंधक खरीदी केंद्र में डेरा जमाए बैठा है, जो प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करता है। इस पूरे मामले को लेकर क्षेत्र के किसानों एवं किसान संगठनों में भारी आक्रोश है। किसानों की मांग है उक्त प्रबंधक को तत्काल खरीदी केंद्र से हटाया जाए।पूरे धान खरीदी की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए क्या किसानों की मेहनत की फसल पर इसी तरह भ्रष्टाचार हावी रहेगा क्या जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे रहेंगे?अब देखना यह है कि प्रशासन इस गंभीर और सनसनीखेज मामले पर कब तक कार्रवाई करता है या फिर किसान एक बार फिर सिस्टम के शिकार बनते रहेंगे।
