सड़क नहीं तो विकास नहीं आखिर कोतमा–भालूमाड़ा मार्ग की सुध क्यों नहीं ले रहे मंत्री जी?”

सड़क नहीं तो विकास नहीं आखिर कोतमा–भालूमाड़ा मार्ग की सुध क्यों नहीं ले रहे मंत्री जी?”

*NH-43 के चौड़ीकरण की चिट्ठी तो जारी, स्थानीय सड़क पर सन्नाटा क्यों? जनता पूछ रही क्या हम नागरिक नहीं?*


अनूपपुर

राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिलीप जायसवाल द्वारा केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को भेजी गई चिट्ठी में कटनी से मध्यप्रदेश–छत्तीसगढ़ सीमा (सीमा रामनगर–डोला) तक एनएच-43 को दो लेन से चार लेन में अपग्रेड करने की मांग की गई है। पत्र के सार्वजनिक होते ही लोगों में सवाल उठने लगे हैं कि जब मंत्री जी ने इस मार्ग को क्षेत्र की जीवनरेखा बताया है, “तो क्या भालूमाड़ा–कोतमा मार्ग इस जीवनरेखा का हिस्सा नहीं?”

दारसागर–केवई पुल से लेकर कोतमा मुख्य मार्ग तक सड़क की हालत बदहाल है। जहां कभी कोयला खदानों की रौनक थी, अब वहां गड्ढों का जाल, धूल, अतिक्रमण और हादसों का सन्नाटा पसरा है। स्थानीय लोगों के अनुसार  “सड़क पर कहीं डामर है, तो कहीं सिर्फ गड्ढा भारी वाहनों के बोझ से हर मोड़ पर हादसे इंतज़ार करते हैं।”यह वही मार्ग है जो भालूमाड़ा,  दार सागर खूंटा टोला और कोतमा जैसे गांवों और कस्बों को जोड़ता है। जहां  स्कूली बच्चों के अलावा हजारों श्रमिक और युवा हर दिन इसी रास्ते से रोज़ी-रोटी की तलाश में निकलते हैं। “पर सड़क ऐसे टूटी है जैसे विकास की रफ्तार को किसी ने जानबूझकर रोक दिया हो।”

जानकारी के अनुसार, भालूमाड़ा–कोतमा मार्ग MPRDC (मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम) से टू-लेन परियोजना के रूप में स्वीकृत थी, लेकिन कुछ निजी स्वार्थों और स्थानीय दबावों के चलते यह योजना ठंडे बस्ते में डाल दी गई। आज यह मार्ग न तो विभागीय प्राथमिकता में है, न किसी मंत्री की घोषणाओं में। और यही कारण है कि इस मार्ग की हर गाड़ी “झटकों के साथ उम्मीदें भी ढोती है।”  

केंद्रीय मंत्री को भेजे गए पत्र में जहां कटनी से सीमा रामनगर (डोला) तक के उन्नयन की बात कही गई, वहीं भालूमाड़ा–कोतमा मार्ग का नाम तक नहीं लिया गया। अब जनता पूछ रही है, “क्या मंत्री जी  विधायक सांसद प्रशासनिक अधिकारी कोतमा और भालूमाड़ा के लोगों को भूल गए हैं, या यहां के मतदाता अब गिनती में नहीं आते?”

क्षेत्र के व्यापारी, छात्र, मजदूर, किसान और युवा अब एक सुर में कह रहे हैं “हम सड़क नहीं मांग रहे, हम हक़ मांग रहे हैं। सड़क बनेगी तो व्यापार बढ़ेगा, रोज़गार मिलेगा और जीवन आसान होगा।” यह सड़क सिर्फ सुविधा का माध्यम नहीं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।यदि इसे चौड़ीकरण कर जोड़ा जाए तो कोतमा–भालूमाड़ा–खूंटा टोला होते हुए पेंड्रा–बिलासपुर तक आवागमन तेज़, व्यापार सुगम और औद्योगिक अवसरों में गुणात्मक वृद्धि होगी। स्थानीय युवा यहां छोटे-छोटे परिवहन, निर्माण और व्यापारिक स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं।

ACC कंपनी द्वारा आजादी के पहले बनवाई गई यह सड़क अब अतिक्रमण और गड्ढों की चपेट में है। वहीं अब हालात ऐसे हैं कि पैदल चलना भी मुश्किल है। हर दिन हादसे होते हैं, परंतु जिम्मेदार विभाग, स्थानीय निकाय और जनप्रतिनिधि मौन हैं। लोगों का कहना है कि भालूमाड़ा–कोतमा मार्ग को भी एनएच विस्तार योजना में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि यह क्षेत्र भी विकास की मुख्यधारा से जुड़ सके। “जब देश के हर कोने में एक्सप्रेसवे और फोर लेन सड़कें बन सकती हैं, तो अनूपपुर का यह कोयलांचल क्यों पिछड़ा रहे?”

क्षेत्र के नागरिकों का कहना है  “हम हर चुनाव में भरोसा कर वोट देते हैं, मंत्री–विधायक सांसद बनाते हैं, लेकिन बदले में हमें क्या मिला? टूटी सड़कें, बंद खदानें और बेरोज़गारी। अगर यही विकास है, तो हमें बताइए हमारा हक़ कहाँ गया?” “जब कोई मंत्री सड़क को जीवनरेखा कहे, तो जनता उसे दिल से सुनती है। पर जब उसी सड़क का एक हिस्सा ‘काला पानी’ बन जाए, तो यह केवल सड़क की नहीं, संवेदनहीन राजनीति की भी दरार दिखाता है।” “सड़क नहीं तो विकास नहीं और विकास बिना भालूमाड़ा–कोतमा मार्ग के अधूरा है।”

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