टाइगर रिजर्व की पनपथा बफर रेंज में मृत बाघ मामले मे दो वनकर्मी निलंबित
*बाघ की मौत के कारणों की जांच के लिए विशेष टीम का हुआ गठन*
उमरिया
जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (बीटीआर) की पनपथा बफर रेंज की सलखनिया बीट में एक बाघ का सड़ा-गला शव मिलने के मामले मे प्रबंधन ने सख्त रुख अपनाया है। बाघ की मौत के कई दिन बाद उसका शव मिलने को विभाग ने गंभीर लापरवाही मानते हुए दो कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। जानकारी के अनुसार 3 अक्टूबर को हाथियों के गश्ती दल ने जंगल में बाघ का शव देखा, जिसकी सूचना तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई। इसके बाद विभागीय टीम मौके पर पहुंची और मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के तहत आवश्यक कार्रवाई प्रारंभ की गई।
विभागीय अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर जब शव की जांच की तो पाया कि बाघ की मौत लगभग 10 से 12 दिन पूर्व हो चुकी थी। शव पूरी तरह सड़ चुका था और इस हद तक क्षतिग्रस्त था कि बाघ के लिंग, उम्र और संभावित मृत्यु के कारणों की पहचान तत्काल संभव नहीं हो सकी। यह स्थिति जिम्मेदार कर्मचारियों की निगरानी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। बीटीआर के फील्ड डायरेक्टर डॉ. अनुपम सहाय ने इसे वनकर्मियों की घोर लापरवाही मानते हुए कड़ी कार्रवाई की है। उन्होंने परिक्षेत्र सहायक शंकर सिंह कोल (करोंदिया) और बीट प्रभारी पंकज कुमार चंदेल (जगुआ व सलखनिया) को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। साथ ही, बाघ की मौत के कारणों की जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया है। यह कार्रवाई राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) व वन्यप्राणी अपराध नियंत्रण ब्यूरो के निर्देशों के अनुरूप की जा रही है।
दूसरी ओर शव स्थल का पंचनामा तैयार कर उसकी वैज्ञानिक पद्धति से सुरक्षा की गई। मेटल डिटेक्टर की सहायता से यह सुनिश्चित किया गया कि शव पर किसी प्रकार की गोलीबारी या बाहरी हमला तो नहीं हुआ। इसके पश्चात वन्यजीव चिकित्सकों की उपस्थिति में विस्तृत पोस्टमॉर्टम किया गया और शव से आवश्यक जैविक नमूने एकत्र किए गए। ये नमूने आगे की जांच के लिए अधिकृत प्रयोगशाला भेजे गए हैं।
इस कार्रवाई में जबलपुर से आई फॉरेंसिक टीम और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की टीम भी शामिल रही। विभाग अब इस घटना की पृष्ठभूमि में यह जानने का प्रयास कर रहा है कि बाघ की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई या इसमें कोई शिकार या अन्य आपराधिक गतिविधि शामिल है। इस घटना ने एक बार जिले के वन्यजीव प्रेमियों को चिंता मे डाल दिया है। बांधवगढ़ जैसा संवेदनशील टाइगर रिजर्व, जहां बाघों की गिनती देश में अहम मानी जाती है, वहां इस प्रकार की लापरवाही गंभीर है। उनका मानना है कि निगरानी व्यवस्था की विफलता और वनकर्मियों की अनदेखी से वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को गहरा झटका लग सकता है।