अस्पताल के रसोई में लटका ताला, व्यापारियों ने उधार देने से किया मना, मरीजो को नही मिल रहा भोजन व नास्ता

अस्पताल के रसोई में लटका ताला, व्यापारियों ने उधार देने से किया मना, मरीजो को नही मिल रहा भोजन व नास्ता


उमरिया

जिले के विकास खंड पाली के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पाली में स्वास्थ्य सुविधाओं के गडबड झाले की शिकायतें तो आम हो चुकी है, अब मामला मरीजों को मिलने वाले चाय नाश्ता और भोजन तक पहुँच गया है , बताया जाता है कि पिछले एक पखवाड़े से रसोई घर में ताला लटक रहा है और स्वास्थ्य अमले के जिम्मेदार अधिकारी इस बात से अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ चैन की नींद सो गया है ।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की रसोई में ताला लटकने के पीछे  जिन व्यापारियों ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की रसोई के लिए सामग्री प्रदान किया है ,उन व्यापारियों के लाखों रूपयों के देयकों का भुगतान वर्षों से लटके हुए हैं जिस वजह से  व्यापारियों ने उधारी में सामग्री देने से इंकार किया और उधर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की रसोई में ताला लटकने के लिए मजबूर हो गया है । सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाली के रसोई घर में ताला लगने से अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानी का सबब बन कर रह गया है । रसोई घर में मरीजों के भोजन बंद होने की खबर पर सच्चाई जानने के लिए अस्पताल में भर्ती मरीजों से मिलने पर प्रसुति वार्ड में दाखिल राधा बाई मुदरिया निवासी ने बताया कि सुबह से न तो चाय मिली , नाश्ता और भोजन की बात तो दूर की कौड़ी बनी हुई है । इसी वार्ड में भर्ती कुसुम सिंह पाली निवासी ने भी अस्पताल प्रबंधन की इसी रवैया का दुखड़ा रोते दिखी। इसी तरह जनरल वार्ड में भर्ती ज्योति सिंह ने अपनी बात रखते हुए चाय, नाश्ता और भोजन कुछ न मिलने की बात बतलायी ।

विदित होवे की मध्यप्रदेश की यशस्वी सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से  जन कल्याण के लिए खजाना खोल कर रखा हुआ है फिर गरीब मरीजो के मुंह का निवाला छीनने का जो घिनौना खेल रही है उसकी सर्वथा निंदा की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाली के रसोई घर में ताला लटकने की घटना ने इस मद में हुये आर्थिक गड़बड़ी को उजागर करके रख दिया है ।जानकर सूत्र बतलाते हैं कि अस्पताल में भोजन व्यवस्था के लिए शासन द्वारा अग्रिम रूप से लाखों रूपयों की राशि आंबटित की जाती है , फिर आज यह दिन देखना निश्चित ही एक बड़े घोटाले की तरफ इशारा करता है । अस्पताल में भोजन सामग्री प्रदान करने वाले एक व्यापारी ने बताया कि हमारा लाखों का देयक एक साल से रूका हुआ है और जब भुगतान की बात कही जाती है तो दस प्रतिशत कमीशन की मांग की जाती है ,आज व्यापार में व्यापक स्तर पर प्रतिस्पर्धा है जिसमें इतनी बचत नहीं होती की अधिकारियों के मनमर्जी के मुताबिक उनकी मुराद पूरी की जा सके । इसी कमीशन खोरी के चक्कर में न देयकों का भुगतान किया जा रहा और न भोजन मरीजों को मिल पा रहा । आखिर कार गरीब मरीजो के हक में डाला जाने वाला डाका पर कब रोक लगेगी ,यह सवाल हर एक के मस्तिष्क में छाया हुआ है ।

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