उत्कल एक्सप्रेस के इंजन से टकराई रेल डॉली, रेल प्रबंधन लगा है मामले को रफा दफा करने में
शहडोल
उत्कल एक्सप्रेस ऋषिकेश से पुरी की ओर जाने वाली (18477 DN) बिलासपुर जोन के मुदरिया - घुनघुटी रेलवे स्टेशन के मध्य रेल ट्राली से टकरा जाने के कारण लगभग डेढ घंटे तक खडी रही। बताया जाता है कि उत्कल एक्सप्रेस मुदरिया से लगभग 11:55 बजे पास हुई ,और मुदरिया- घुनघुटी के मध्य रेल डॉली से टकरा गई एवं रेल डॉली इंजन के नीचे आकर फंस गई। दुर्घटना इतनी भयानक थी कि रेल ट्राली इंजन से टकराने के कारण उसका हौंज पाइप टूट गया और रेल गाड़ी ब़ेक डाऊन हो गयी, यद्यपि उत्कल एक्सप्रेस की गति सीमित होने की वजह से बडी दुर्घटना टल गयी, नहीं तो कितने लोग काल कलवित होते, उसका फिलहाल अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।
फिर भी दुर्घटना छोटी हो या बडी उसे इस नाते नजर अंदाज नहीं किया जा सकता की इसमें कोई हताहत नहीं हुआ । इस मामले में रेल प्रबंधन के इंजीनियरिंग विभाग की घोर लापरवाही उजागर होने के बाद भी एक सप्ताह की समयावधि बीत गयी, लेकिन इस संवेदनशील मामले में रेलवे का उच्च प्रबंधन की चुप्पी ने अपने लापरवाह और गैर जिम्मेदाराना मातहतों को छूट देकर यह साबित कर दिया है कि आज रेलवे ट्रैक में कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती है और उस घटना पर रेल प्रबंधन चुप्पी साध कर अपने कारिन्दे अधिकारियों को बचा ले जायेंगे।
घटना दोपहर 11.55 की है, दुर्घटना के कारण ट्रेन डेढ घंटे बिलंब से 1.40 पर शहडोल पहुची। पहले इंजीनियरिंग विभाग घटना को छिपाने के लिए अन्य तकनीकी कारणों को बता कर मामले को टालना चाहता था, जिसकी जानकारी शाम चार बजे तक अधिकृत रूप से वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी गई। अलबत्ता इस हादसे की भनक जोन मुख्यालय तक देर रात तक पहुँच ही गयी ।
मामले को गंभीरता से लेते हुए बिलासपुर मुख्यालय से रेलवे के जिम्मेदार 25 अधिकारी- कर्मचारियों एवं ठेकेदार की लेबर को जांच हेतु तलब किया गया था, किन्तु एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी अब तक जांच किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुची और न ही किसी भी कर्मचारी- अधिकारी को घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया गया। बताया जाता है की इस मामले में सीधे इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही उजागर हुई है, फिर भी इन अधिकारियों को बचाने के लिए हादसे को अमूमन घटना मानकर जांच को रफा दफा करने के लिए उच्च प्रबंधन पूरी तरह जुटा हुआ है, ताकि अपने चहेते इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ मंडल अभियंता उत्तर आहूजा पर कोई आंच न आये।