प्रतिबंधित क्षेत्र अपर रेस्ट हाउस क्षेत्र में असामाजिक गतिविधियां तेज, MPPGCL अधिकारियों की चुप्पी पर उठे सवाल
अनूपपुर
मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड (MPPGCL) चचाई का अपर रेस्ट हाउस और डेम क्षेत्र, जिसे कंपनी प्रबंधन ने प्रतिबंधित घोषित किया हुआ है, अब असामाजिक गतिविधियों का गढ़ बन चुका है। हाल ही में इसी प्रतिबंधित इलाके से लगे जंगल में नाबालिग के साथ दुष्कर्म की वारदात सामने आई, जिसने पावर कंपनी की सुरक्षा व्यवस्था और जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिम्मेदार अधिकारी जानबूझकर इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि प्रतिबंधित क्षेत्र में लगातार आपराधिक घटनाएं यह साबित करती हैं कि निगरानी और सुरक्षा केवल कागज़ों पर सीमित है।
लोगों का कहना है कि अपर रेस्ट हाउस और प्रतिबंधित क्षेत्र को अधिकारियों ने "सुरक्षा क्षेत्र" की जगह "अय्याशी का सुरक्षित अड्डा" बना दिया है। जब आम लोगों की एंट्री प्रतिबंधित है तो असामाजिक तत्व वहां तक कैसे पहुंच रहे हैं। क्या अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह संभव है।आखिर कंपनी प्रतिबंधित क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर गंभीर क्यों नहीं है।
चचाई पावर प्रोजेक्ट का प्रतिबंधित रेस्ट हाउस और डेम क्षेत्र कंपनी के लिए संवेदनशील और रणनीतिक जगह माना जाता है, लेकिन बार-बार अपराध और अधिकारियों की चुप्पी यह संकेत देती है कि प्रबंधन जिम्मेदारी से आंखें मूंदे बैठा है। यदि मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी ने समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह प्रतिबंधित क्षेत्र आगे भी अपराधियों के लिए पनाहगाह बना रहेगा।
*मीडिया ने इस पूरे मामले पर कंपनी के चीफ इंजीनियर तनवीर अहमद से संपर्क कर उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।*