वन विभाग की नीतियो से सिंचाई परियोजनाओ को लगा ग्रहण, आखिर कार वन अधिकारियों की कब खत्म होगी आपत्ति
*एक दशक बीत जाने के बाद भी वन विभाग नही जारी कर पस्य अनापत्ति प्रमाण पत्र*
उमरिया
उमरिया जिले में सिंचाई परियोजनाओ में अकुत धन राशि व्यय होने के बाद भी एक दर्जन से अधिक सिंचाई परियोजनाये वन विभाग की हठधर्मिता के चलते अधर में लटकी हुई है, जिससे इन सिंचाई परियोजनाओ का एक तरफ किसानों को मिलने वाले व्यापक लाभ से वंचित हैं वही पर शासकीय धन राशि व्यय होना दशकों से औचित्यहीन साबित हो रहा है।अब इन सिंचाई परियोजनाओ को पूरा करने के लिए अतिरिक्त धन राशि का अपव्यय होगा यह एक गंभीर बिषय बन गया है ।बताया जाता है कि वन विभाग की अंडगे बाजी के पीछे की असली वजह विभागीय अधिकारियों की कमाऊ नीति ही बतायी जाती है ,जिसकी झलक भी साफ दिखाई दे रही है ।विदित होवे की इसी सत्र में उमरिया जिले में निजी कोयला कंपनियों के लिए वन विभाग ने अपने वन भूमि के व्दार खोलकर रख दिया और सैकड़ों हेक्टेयर वन भूमि आनन -फानन में निजी कंपनियों के हवाले कर दिया गया है , जबकि इसी जिले में दर्जनों सिंचाई परियोजनाओ का निर्माण कार्य दशकों से लटका रखा गया है , उन के निराकरण में वन विभाग की उदासीनता ने यह साबित कर दिया है की सिंचाई परियोजनाओ के लिए वन भूमि देने से वन विभाग के अधिकारियों को व्यक्तिश कोई लाभ नहीं मिलने वाला । यह कृत्य वन विभाग के हितैषी अधिकारियों के ईमानदारी की असलियत खोलकर रख दी है । आश्चर्यजनक कहा जाये की जिन सिंचाई परियोजनाओ में वन भूमि अधिग्रहीत की गयी है और उसके बदले में राजस्व भूमि को वन विभाग को हस्तांतरित कर दी गयी है ,फिर भी वन विभाग अपनी वन भूमि पर अनापत्ति नही दे रहा , इसके चलते अधिकतर सिंचाई परियोजनाये निर्माणाधीन पडी हुई है,या निर्माण कार्य पूरा होने के बाद उनमें पानी का भराव न हो पाने के कारण सरकार की महती परियोजनाये सफेद हाथी दिखाई दे रही है। विडम्बना ही कहा जाये की किसानों को खुशहाल बनाने उनकी आमदनी दुगनी करने,कृषि लागत कम करने के लिए, प्रदेश में सिंचाई रकबा बढ़ाने के लिए किसानों की हित बध्द मध्यप्रदेश सरकार सुनहरे सपनों पर वन विभाग ने जिस तरह से कुठाराघात कर महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाओ को बाधित किया है इसकी उच्च स्तरीय समीक्षा कर शासन स्तर से प्रयास किये जाने चाहिए , ताकि सरकार के सपनों को पंख लग सकें , और सिंचाई परियोजनाओ का वास्तविक लाभ प्रभावित किसानों को मिल सकें ।