हाथियों का झुंड पहुंचा अहिरगवा, वन विभाग की टीम कर रही है निगरानी, एलर्ट रहने की दीं सलाह
शहडोल
जिले में पिछले पांच दिनों से दहशत फैला रहे हाथियों ने अब शहडोल की सीमा छोड़ दी है, जिससे लोगों ने राहत की सांस ली है। वन विभाग के अनुसार, चारों हाथी अब अपने पारंपरिक मार्ग पर लौट चुके हैं और गुरुवार तड़के करीब 5 बजे अनूपपुर जिले की अहिरगवा बीट में प्रवेश कर चुके हैं। वन अधिकारियों का कहना है कि हाथी अब छत्तीसगढ़ की ओर अपने पुराने रास्ते से आगे बढ़ रहे हैं। इससे पहले ये हाथी दो दिन तक बुढार वन परिक्षेत्र में ठहरे थे। चारों हाथी सबसे पहले 13 जुलाई को तड़के उमरिया जिले के घुनघुटी वन परिक्षेत्र से शहडोल के विचारपुर गांव पहुंचे थे। इसके बाद उन्होंने शहडोल-सिंहपुर मुख्य मार्ग पार किया और बुढार हाईवे पर भी देखे गए थे। हाथियों की मौजूदगी से स्थानीय लोगों में डर का माहौल बन गया था। स्थिति को संभालने के लिए वन विभाग ने विशेष निगरानी दल बनाए थे। पुलिस भी लगातार सहयोग कर रही थी।
वन विभाग के अनुसार, पांच दिनों में हाथियों ने लगभग 80 किलोमीटर का सफर तय किया और अब वे अपने पुराने प्राकृतिक मार्ग पर लौट चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि हाथी मूलतः अनूपपुर से उमरिया और फिर छत्तीसगढ़ की ओर आते-जाते हैं। लेकिन इस बार उन्हें लोगों द्वारा खदेड़े जाने पर वे भटक कर शहडोल की सीमा में प्रवेश कर गए थे। इस दौरान हाथियों ने कई खेतों और कुछ घरों को नुकसान पहुंचाया। वन विभाग ने नुकसान का आकलन कर पंचनामा तैयार किया है, जिसे राजस्व विभाग को सौंपा जाएगा।
बुढार रेंजर सलीम खान ने बताया कि हाथी दो दिन पहले बुढार रेंज में पहुंचे थे और वहाँ से करकटी, मड़वा, हरदी गांवों से होते हुए गुरुवार सुबह 5 बजे अनूपपुर जिले की अहिरगवा रेंज में पहुंच गए। उन्होंने कहा कि वन विभाग की टीम लगातार हाथियों पर नजर रखे हुए थी। अनूपपुर जिले में प्रवेश के साथ ही वहाँ के वन अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है और अब वहाँ की टीम हाथियों की निगरानी कर रही है। रेंजर सलीम खान ने कहा कि यह वही पारंपरिक मार्ग है जिससे होते हुए हाथी छत्तीसगढ़ जाते हैं। शहडोल में हाथियों द्वारा अपनाया गया यह रास्ता पहली बार देखा गया है, लेकिन अब वे सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।