5 लाख की सीसी सड़क 10 दिन में चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट, पहले बरसात में टूटकर अलग हुई

5 लाख की सीसी सड़क 10 दिन में चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट, पहले बरसात में टूटकर अलग हुई

*विकास के दावों की खुली पोल, ग्रामीणों ने आक्रोश*


शहडोल

जिले के जनपद पंचायत ब्यौहारी अंतर्गत ग्राम पंचायत आखेटपुर के डोंगरी टोला में भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़ी एक निर्माण कार्य की पोल पहली ही बारिश में खुल गई। यहां लगभग 5 लाख रुपये की लागत से बनी सीसी सड़क महज 10 दिनों में ही बारिश की पहली बौछार में बह गई। अब ग्रामीणों द्वारा इस सड़क की टूट-फूट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया है, जिसने प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

ग्राम डोंगरी टोला शहडोल जिले के अंतिम छोर पर स्थित है, जहां विकास के दावे कागजों तक सीमित नजर आते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि सीसी रोड निर्माण के दौरान ही गुणवत्ता को लेकर सवाल उठने लगे थे। लेकिन जब लोगों ने इसकी शिकायत की, तो स्थानीय जनपद और पंचायत स्तर पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। लोगों का आरोप है कि सड़क का बेस नियमानुसार नहीं बनाया गया, जिससे बारिश का पानी बहते ही सड़क की परतें टूट गईं और सड़क दरक कर बह गई। निर्माण कार्य की निगरानी के लिए तैनात  इंजीनियर ने भी निर्माण एजेंसी को खुली छूट दे दी, संभवतः कमीशन के लेन-देन के चलते। यही कारण रहा कि सड़क की मजबूती केवल दिखावटी रही और उसका वास्तविक स्तर पहली ही बारिश में सामने आ गया।

ग्रामीणों ने इस घटना का मोबाइल से वीडियो बनाकर इंस्टाग्राम, फेसबुक और व्हाट्सएप पर शेयर किया, जो अब तेजी से वायरल हो रहा है। इस वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि सीमेंट की मोटी पट्टी जमीन से अलग होकर पूरी तरह दरक चुकी है और सड़क के नीचे की मिट्टी बह चुकी है। कुछ दिन की सुविधा के नाम पर इस तरह से पैसा बहाया जा रहा है। अगर यही हाल रहा, तो आने वाले समय में गांवों की सड़कें मौत का रास्ता बन जाएंगी, ऐसा कहना है गांव के ही एक बुजुर्ग का।

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस मामले में निर्माण एजेंसी और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ जांच हो और उन पर कड़ी कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही नई सड़क का निर्माण पूरी गुणवत्ता के साथ हो, जिससे सरकारी पैसे की बर्बादी रोकी जा सके। यह घटना सिर्फ एक सड़क की नहीं, बल्कि गांवों में चल रहे भ्रष्टाचार और दिखावटी विकास की हकीकत को उजागर करती है। सवाल यह उठता है कि क्या जिम्मेदार विभाग इस पर कार्रवाई करेगा, या फिर यह मामला भी बाकी मामलों की तरह फाइलों में दफन होकर रह जाएगा।

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