पवित्र नगरी में होलकर वंश की रानी अहिल्याबाई के नाम का भवन को पूर्ववत धर्मशाला के रूप में किए जाने मांग
*अमरकंटक नगर के बुजुर्ग जनों की प्रशासन से अपेक्षा , यही उनकी विनम्र श्रद्धांजलि होगी*
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अनूपपुर
सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की अवधारणा के तहत पुराने लोग सच्ची मानवता की सेवा के लिए बहुत से कार्य करते थे ऐसे धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों से पुण्य का लाभ मिलता था। प्राचीन काल में महाराजा, राजा, जमीदार, तथाआर्थिक रूप से संपन्न मजबूत प्रतिष्ठित जन अपना एवं पूर्वजों का नाम अमर एवं अमिट रहे, ऐसे अनेकों कार्य करते कराते रहे हैं तथा संपन्न परिवार के लोग अपने अभिन्न करीबी जनों की पावन स्मृतियों में कुआं, तालाब, बावली, धर्मशाला, सराय, प्रतीक्षालय का निर्माण कार्य करते कराते रहे हैं, इसी तरह पुण्य के कार्य जैसे शादी विवाह जन्म मरण में अपना अतुलनीय सहयोग मदद करते रहे, इस आशा एवं प्रत्याशा में कि उनका इस जगत में तथा परलोक में भी नाम हो व पुण्य फल की प्राप्ति हो । आज भी दुनिया में बहुत से लोग हैं जो की धर्म कर्म में किए गए कार्यों मैं विश्वास रखते हैं, यहां तक की बड़े पूंजीपति तबके के लोग अपने लाभ का दशांश हिस्सा धर्म कर्म के लिए आज भी लगाते चल आ रहे हैं । ऐसे बहुत से धार्मिक आध्यात्मिक सामाजिक कार्यों की फेहरिस्त है, जिसमें संपन्न लोग अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाकर कार्य करने कराने में अहम भूमिका निभाते रहे। इसी अनुक्रम में पवित्र नगरी अमरकंटक में बहुत से ऐसे कार्य हैं, पुराने लोग आज भी बखान करने से नहीं चूकते वहीं कुछ ऐसे भी कार्य हुए जो कि विस्मृतियो में है। इसके पीछे प्रशासन भी जिम्मेदार है।
नर्मदा मंदिर के सामने वार्ड क्रमांक 10 में इंदौर की होलकर वंश की रानी अहिल्याबाई धर्मशाला का उल्लेख करना आवश्यक है । भारतीय जनता पार्टी की मध्य प्रदेश सरकार इन दिनों खोलकर वंश की महारानी देवी अहिल्याबाई के 300 में जन्म जयंती का कार्यक्रम पूरे प्रदेश में पूरे उत्साह उमंग के साथ मना रही है, इसमें महारानी अहिल्याबाई के कार्यों को गिना रही है तथा उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व का उल्लेख हो रहा है । यह भी उल्लेखनीय है कि रीवा जबलपुर संभाग होलकर वंश की महारानी अहिल्याबाई के नाम पर कोई भी ऐतिहासिक कार्य निर्माण नहीं है, लेकिन पवित्र नगरी अमरकंटक में धर्मशाला लगभग 75-80 पूर्व बनवाया गया आज भी इमारत खड़ी है, वर्ष 95 तक अहिल्याबाई का धर्मशाला बकायदा काम करता रहा और यात्री उसमें आकर निशुल्क एवं बहुत कम शुल्क में रहते रहे अहिल्याबाई धर्मशाला का देखरेख संचालन इंदौर के खासगी ट्रस्ट के द्वारा किया जाता रहा है, लेकिन पिछले कुछ समय पूर्व अहिल्याबाई का उक्त धर्मशाला लोक निर्माण विभाग के द्वारा जबरिया कब्जा कर लिया गया। अमरकंटक नगर के बुजुर्ग निवासी पंडा बुद्धू राम शर्मा को खासगी ट्रस्ट इंदौर के द्वारा देखरेख व्यवस्था संचालन की जिम्मेदारी दी थी, लंबे समय तक उक्त परिवार धर्मशाला का कार्यभार देखते रहे। तत्कालीन विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण साडा के द्वारा अहिल्याबाई धर्मशाला का लेख पट्टिका तब के एक कर्मचारी द्वारा जानबूझकर उसे तोड़वा दिया गया, उनके नाम का मिटाने हटाने की कोशिश की गई । अहिल्याबाई का धर्मशाला में लगभग 20 वर्षों तक नगर पंचायत कार्यालय संचालित रहा अब उसके स्थान पर वर्तमान समय में अमरकंटक विकास प्राधिकरण( विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण) साडा कार्यालय चल रहा है जिसके अध्यक्ष अनूपपुर जिला कलेक्टर हैं तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर एसडीएम पुष्पराजगढ़ कार्य देख रहे हैं ।
देवी अहिल्याबाई के नाम का धर्मशाला पवित्र नगरी अमरकंटक में ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व का इमारत है । मध्य प्रदेश सरकार एवं जिला प्रशासन देवी अहिल्याबाई के नाम का इमारत को पूर्ववत धर्मशाला के रूप में ही संचालित कारण ताकि उनकी मंशा एवं सामाजिक सरोकार के रूप में याद किया जाता रहे, तब ही होलकर वंश की महारानी अहिल्याबाई के नाम वास्तविकता में चिर स्मरणीय बना रहे और उनका व्यक्तित्व कृतित्व की अमिट छाप चिरकाल तक याद किया जाता रहे की पवित्र नगरी अमरकंटक में भी उनके नाम पर पवित्र मन से धर्मशाला बनाया गया था । इस विषय में पवित्र नगरी अमरकंटक के पुराने वाशिंदे क्या सोचते हैं क्या विचार रखते हैं प्रशासन को इसमें गंभीरता से विचार करना होगा तभी उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी
कोल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त पूर्व विधायक अनूपपुर रामलाल रौतेल को जब इस संबंध में जानकारी दी गई और भवन दिखाया गया तो उन्होंने कहा कि वह इस विषय को लेकर जिला कलेक्टर से मिलकर अवगत कराएंगे तथा आवश्यक हुआ तो राज्य शासन को भी विषय वस्तु से अवगत कराया जाएगा, ताकि उक्त भवन को अहिल्याबाई धर्मशाला के नाम पर पुन: कराया जा सके। आसपास के क्षेत्र में उनके नाम पर कोई भी भवन नहीं है यह अमरकंटक का सौभाग्य है ।
पवित्र नगरी अमरकंटक के वरिष्ठ नागरिक वार्ड क्रमांक 9 मंदिर रोड निवासी 68 वर्षीय रामसरोवर द्विवेदी गुड्डा महाराज ने कहा कि देवी अहिल्याबाई के नाम पर जो धर्मशाला बनवाया गया था, उसे धर्मशाला के रूप में ही स्थापित रखा जाए, प्राधिकरण कार्यालय को कहीं अन्यत्र रखा जाकर संचालित हो देवी अहिल्याबाई की नाम की धरोहर को धर्मशाला के रूप में प्रशासन रहने दे यही उचित होगा।
मंडलम कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष 58 वर्षीय श्यामलाल सेन ने कहा कि हम लोग तो बिल्डिंग को अहिल्याबाई धर्मशाला के नाम से ही जानते रहे हैं, बीच में नगर पंचायत एवं प्राधिकरण कार्यालय उसमें खोल दिया गया है, यह ठीक नहीं है बनवाने वालों की मंशा धर्मशाला के रूप में थी और रहने भी चाहिए, यही माता अहिल्याबाई को श्रद्धांजलि होगी । श्यामलाल सेन ने कहा कि मेरे पिताजी स्वर्गीय रामदुलारे सेन कहां करते थे की अमरकंटक में दो-तीन ही धर्मशाला हैं, जिसमें यात्री रुक करते थे यह बहुत पुराना धर्मशाला है ।
पवित्र नगरी अमरकंटक नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष एवं वर्तमान समय के उपाध्यक्ष तथा अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष रज्जू सिंह नेताम ने स्पष्ट तौर पर कहा कि अहिल्याबाई का धर्मशाला था और अहिल्याबाई के धर्मशाला के नाम पर ही रहना चाहिए कार्यालय को कहीं भी ले जाए, हमारे पूर्वज इसी में आकर दो-तीन दिनों तक रुकते रहे हमारे पिता एवं बाबा बताया करते थे कि पास में धर्मशाला है ।
पवित्र नगरी अमरकंटक वार्ड क्रमांक 14 के बुजुर्ग निवासी 77 वर्षीय रामलाल सेन ने कहा कि में जब वर्ष 1965 में अमरकंटक आया तो अहिल्याबाई का धर्मशाला के रूप में देखा वही एक मात्र पक्का धर्मशाला था, इसमें आने वाले यात्री निशुल्क रुकते थे, बगल में बरांडा था वहां भोजन बनाते थे तथा पास ही शौचालय था, इसलिए रुकने में आसानी होती थी, सामने मंदिर है मेरा कहना है, अहिल्याबाई का धर्मशाला को धर्मशाला रहने दे अच्छा होगा ।
पवित्र नगरी अमरकंटक के प्रतिष्ठित नागरिक एवं नर्मदा मंदिर के पुजारी धनेश द्विवेदी वंदे महाराज ने कहा कि रानी अहिल्याबाई के नाम का धर्मशाला निर्मित है तथा इस काल में कोटि तीर्थ घाट का मरम्मत जीर्णोद्धार तथा नर्मदा मंदिर परिसर में नर्मदेश्वर एवं बंसेश्वर महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार तत्समय हुआ है, उनके नाम का धर्मशाला पुनः उसी रूप में संचालित कराया जाए तथा उनकी एक प्रतिमा भी लगाई जाए, ताकि उनकी स्मृति चिर स्मरणीय बनी रह सके । उनकी याद का धर्मशाला ऐतिहासिक धरोहर है जिसे संजो कर रखा जाना चाहिए।
पवित्र नगरी अमरकंटक नगर परिषद की पूर्व अध्यक्ष एवं पार्षद प्रभा पनरिया ने कहा अहिल्याबाई के नाम का धर्मशाला है, हम लोग अच्छे से जानते हैं, इसको धर्मशाला के रूप में उपयोग करना चाहिए, कार्यालय जहां नगर परिषद कार्यालय संचालित हो रहा था रिक्त हो गया है, उसमें स्थानांतरित कर लें और इसको उन्हीं के नाम पर फिर से धर्मशाला शुरू करायें। ताकि माता अहिल्याबाई का व्यक्तित्व एवं कृतित्व एक झलक इस धर्मशाला में देखी जा सकेगी ।