सपने में मिला मां नर्मदा का आदेश नर्मदा जल कावड़ में लेकर मन्नूलाल सेन निकले केदारनाथ
*पहले भी कर चुके हैं यात्रा, पदयात्रा 61 दिन में पूरी होगी*
अनूपपुर
मां नर्मदा की पवित्र पावन भूमि अमरकंटक से अनूपपुर निवासी मन्नूलाल सेन ने मां नर्मदा की पूजा अर्चना कर मां नर्मदा का आशीर्वाद लेकर कावड़ में मां नर्मदा के जल को लेकर केदारनाथ के लिए 1 जून 2025 को अमरकंटक से पद यात्रा में निकल पड़े जो वर्तमान में उमरिया जिले की सीमा में है उनकी यह पदयात्रा 61 दिन में पूरी होगी।
कई बार पदयात्रा कर चुके मन्नूलाल सेन ने जानकारी देते हुए बताया कि वह मां नर्मदा के सपने में मिले संदेश के बाद मां नर्मदा को लेकर भगवान केदारनाथ तक की कठिन पदयात्रा पर निकले हैं उन्होंने बताया कि वह अनूपपुर जिला मुख्यालय के वार्ड क्रमांक 9 के निवासी हैं।यह कोई सामान्य यात्रा नहीं है,बल्कि भक्ति,विश्वास और दिव्य प्रेरणा से जुड़ी हुई एक अनोखी साधना है।मन्नूलाल सेन अपने साथ नर्मदा जल लेकर पैदल केदारनाथ की ओर अग्रसर हैं।वे कहते हैं कि यह यात्रा न केवल उनके लिए बल्कि समस्त मानवता के लिए एक संदेश है।जब मन में श्रद्धा हो और आत्मा सच्चे संकल्प से जुड़ी हो,तो कोई भी मार्ग कठिन नहीं होता। मन्नूलाल सेन बताते हैं कि एक रात उन्हें स्वप्न में माँ नर्मदा के दर्शन हुए।उस स्वप्न में नर्मदा मैया ने उनसे कहा, "बेटा, मुझे अपने पिता के पास जाना है।मुझे केदारनाथ तक ले चलो।" मन्नूलाल कहते हैं कि उन्होंने सपने को सिर्फ एक सपना नहीं माना,बल्कि उसे एक आदेश,एक आशीर्वाद समझा।माँ नर्मदा की इस आज्ञा को उन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया और उसी दिन से उन्होंने इस कठिन यात्रा की तैयारी शुरू कर दी।
1 जून 2025 को उन्होंने अमरकंटक से अपनी पदयात्रा की शुरुआत की।वे इस संकल्प के साथ चल रहे हैं कि 61 दिनों में केदारनाथ धाम पहुँचकर भगवान शिव के चरणों में नर्मदा जल अर्पित करेंगे।यह एक ऐसा अनुष्ठान है जिसमें श्रद्धा,आस्था और तप का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है। यह पहली बार नहीं है जब मन्नूलाल ने इस प्रकार की लम्बी पदयात्रा की हो।वे अब तक अनूपपुर से अमरकंटक तक 52 बार पदयात्रा कर चुके हैं।इसके अलावा उन्होंने लगभग 3960 किलोमीटर लंबी कठिन नर्मदा परिक्रमा भी पूरी की है,जिसे आध्यात्मिक यात्रा का सर्वोच्च रूप माना जाता है।मन्नूलाल ने अनूपपुर से अयोध्या तक लगभग 850 किलोमीटर की पदयात्रा भी की है।हाल ही में कावड़ लेकर बाबा बैजनाथ धाम तक भी पदयात्रा किए हैं।उनकी यह यात्रा उनकी छठवीं बड़ी धार्मिक पदयात्रा है,लेकिन उनके अनुसार यह सबसे विशेष है,क्योंकि यह स्वयं देवी नर्मदा के आदेश से प्रारंभ हुई है।
अपनी यात्रा के पांचवें दिन वे उमरिया जिले के पाली पहुंचे,जहाँ उनका आत्मीय स्वागत किया गया।स्थानीय लोगों ने उन्हें श्रद्धा के साथ भोजन,जल और विश्राम की व्यवस्था प्रदान की।ग्रामीणों ने उनकी इस आस्था से भरी यात्रा को एक उदाहरण बताते हुए कहा कि आज के समय में ऐसे संकल्प दुर्लभ हैं। पाली में उपस्थित श्रद्धालुओं और युवाओं ने मन्नूलाल से उनकी यात्रा की प्रेरणा के बारे में जाना और भावुकता के साथ उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया।कई लोग इस बात से प्रभावित हुए कि एक सामान्य व्यक्ति कैसे एक असाधारण उद्देश्य को लेकर अपने पथ पर निडरता से बढ़ सकता है। मन्नूलाल की यात्रा न केवल एक धार्मिक कार्य है, बल्कि यह एक प्रेरणा है कि जब आत्मा सच्ची भावना से जुड़ी हो,तो ब्रह्मांड स्वयं उस पथ को सरल बना देता है। उनकी आस्था,निष्ठा और नर्मदा माँ के प्रति समर्पण आज लोगों के लिए श्रद्धा और प्रेरणा का स्रोत बन गया है।