केन्द्रीय मंत्री ने जनजातीय विश्वविद्यालय में बी.टेक. शुरू करने शिक्षा मंत्री से मांगी विशेष स्वीकृति
*2025 में मिली थी पांच बी.टेक. पाठ्यक्रमों को स्वीकृति*
अनूपपुर
तकनीकी शिक्षा के माध्यम से आदिवासी युवाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री दुर्गादास उइके ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक में वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2025 से ही पाँच बी.टेक. पाठ्यक्रमों को शुरू करने की विशेष अनुमति प्रदान करने का अनुरोध किया है। पिछले 16 वर्षों से महाकौशल अंचल के आदिवासी बहुल जिलों — अनूपपुर, डिंडोरी, मंडला, उमरिया, बैतूल, हरदा सहित कुल 20 जिलों के हजारों छात्र इंजीनियरिंग की शिक्षा से वंचित हैं। समय-समय पर यह माँग उठती रही है कि इस विश्वविद्यालय में वन-उत्पाद, कृषि आधारित फूड प्रोसेसिंग, पारंपरिक वन औषधियों से लेकर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कंप्यूटिंग, सूचना प्रौद्योगिकी और खनन जैसे क्षेत्रों से जुड़ी बी.टेक. डिग्री प्रदान की जाए। इन पाठ्यक्रमों की शुरुआत से न केवल युवाओं को स्थानीय संसाधनों और नवाचार के माध्यम से स्वावलंबन का मार्ग मिलेगा, बल्कि क्षेत्रीय विकास को भी नई दिशा मिलेगी। स्ववित्तपोषी मोड में इन पाठ्यक्रमों को आरंभ करने हेतु मंत्री उइके ने यह पहल की है।
*मिली थी पांच बी.टेक. पाठ्यक्रमों को स्वीकृति*
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद द्वारा फरवरी 2025 में निम्नलिखित पाँच बी.टेक. पाठ्यक्रमों को स्वीकृति दी गई जिसमें बी.टेक. – बायोमेडिकल एंड रोबोटिक इंजीनियरिंग, बी.टेक. – कंप्यूटर साइंस एंड आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस इंजीनियरिंग, बी.टेक.–फूड टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, बी.टेक.–सूचना प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग तथा बी.टेक.–माइनिंग इंजीनियरिंग शामिल है। 26 मई 2025 को विश्वविद्यालय ने इन पाठ्यक्रमों में इस सत्र से ही प्रवेश हेतु शिक्षा मंत्रालय को औपचारिक प्रस्ताव भेजा है। जिसमें एआईसीटीई के दिशा-निर्देशों के अनुरूप बी.वॉक. पाठ्यक्रमों से जुड़े छात्रों को बी.टेक के सातवें सेमेस्टर में लेटरल एंट्री देने का भी प्रस्ताव रखा है, ताकि व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहे युवाओं को मुख्यधारा में प्रगति का सुव्यवस्थित मार्ग मिल सके।
*पीएम जनजातीय समुदायों के प्रति संवेदनशील*
पूर्व विभागीय संगठन मंत्री, एबीवीपी एवं आदिवासी युवा नेता मोरध्वज पैकरा ने कहा कि भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनजातीय गौरव और आदिवासीयों के सर्वांगीण विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। विश्वविद्यालय में इन पाँच बी.टेक. पाठ्यक्रमों की शुरुआत एक ऐतिहासिक और निर्णायक कदम है, जो तकनीकी रूप से आदिवासी युवाओं को सशक्त करेगा। मोरध्वज ने आगे कहा कि अब तक विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम न होने के कारण आदिवासी युवाओं को पलायन, आर्थिक कठिनाई और अवसरों के अभाव का सामना करना पड़ता था, जबकि उनके पास भरपूर प्रतिभा है। दुर्गादास उइके द्वारा शिक्षा मंत्री को भेजे गए इस विशेष अनुरोध पत्र ने एक अत्यंत आवश्यक और तात्कालिक जनहित के विषय की ओर सरकार का ध्यान खींचा है। मोरध्वज ने यह भी बताया कि यह प्रस्ताव शीघ्र ही उच्च शिक्षा सचिव के माध्यम से स्वीकृत हो सकता है और विश्वविद्यालय स्तर पर लिखित प्रवेश परीक्षा आयोजित कर जुलाई 2025 से ही इन पाँच पाठ्यक्रमों में प्रवेश की स्वर्णिम अवसर छात्रों को प्राप्त हो सकती है।