डीजल में मिलावट से किसान की बोलेरो हुई खराब, दो लाख का नुकसान विभाग ने झाड़ा पल्ला
शहडोल
जिले की एक किसान को पेट्रोल पंप से खरीदा गया डीजल इतना भारी पड़ गया कि उसका कृषि कार्यों में इस्तेमाल होने वाला बोलेरो वाहन पूरी तरह से खराब हो गया। यह डीजल शहर के चर्चित रुंगटा पेट्रोल पंप से खरीदा गया था। बताया गया कि डीजल भरवाने के बाद बोलेरो वाहन मुश्किल से 10-20 किलोमीटर ही चला और फिर बंद हो गया। बाद में वाहन को जब मैकेनिक के पास ले जाया गया तो गंभीर तकनीकी खराबी की पुष्टि हुई, जिसके सुधार में लगभग 2 लाख खर्च हो गया।
पीड़िता ने अपनी शिकायत सीएम हेल्पलाइन 181 पर दर्ज कराई। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि शिकायत को "विभाग से असंबंधित" बताकर विलोपित कर दिया गया। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने यह कहकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया कि यह मामला उनके क्षेत्राधिकार में नहीं आता। कानून के अनुसार, पेट्रोल पंपों की गुणवत्ता, माप-तौल और उपभोक्ता शिकायतों पर कार्रवाई के लिए निम्न विभाग उत्तरदायी होते हैं। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग, जिला कलेक्टर/प्रशासन, मापतौल विभाग, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (भारत सरकार) ऐसे में सवाल उठता है कि अगर ये विभाग कार्रवाई नहीं करेंगे तो आम किसान या उपभोक्ता अपनी समस्या लेकर कहाँ जाए?*
पीड़िता किसान ने सवाल किया है कि क्या सीएम हेल्पलाइन सिर्फ औपचारिकता है? उनका कहना है कि मैं एक किसान हूं, खेती के काम में बोलेरो का उपयोग करता हूं। मेरे पास सीमित संसाधन हैं। पेट्रोल पंप की लापरवाही से 2 लाख का नुकसान हुआ, और अब शासन भी सुनवाई नहीं कर रहा। क्या न्याय पाना अब केवल बड़े लोगों का अधिकार है? जनता की मांग हैं कि दोषियों पर कार्रवाई हो, किसान को मुआवज़ा मिले, स्थानीय किसान संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि रुंगटा पेट्रोल पंप से लिए गए डीजल की फॉरेंसिक जांच कराई जाए। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो। पीड़ित किसान को समुचित मुआवज़ा दिया जाए।सीएम हेल्पलाइन की जवाबदेही तय की जाए। यह केवल एक किसान की बात नहीं, बल्कि हर उस नागरिक की आवाज़ है जो व्यवस्था से न्याय की उम्मीद करता है।