52 वर्षों से रचित कविताओं का संकलन, तब मै कविता लिखता हूँ, पुस्तक का हुआ विमोचन

52 वर्षों से रचित कविताओं का संकलन, तब मै कविता लिखता हूँ, पुस्तक का हुआ विमोचन

*पहली कविता कवि गिरीश की दिवंगत माँ पर केन्द्रित है, लालटेन युग से एलईडी लाइट तक का सफर*


अनूपपुर

कवि एवं लेखक गिरीश पटेल द्वारा लिखित कविता संग्रह 'तब मै कविता लिखता हूँ' पुस्तक का विमोचन धनश्री पैलेस अनूपपुर में संपन्न हुआ। इस अवसर पर प्रमुख रूप से हिन्दी के प्रख्यात कवि, कहानीकार, आलोचक और लेखक उपस्थिति थे। कवि गिरीश पटेल के कविता संग्रह "तब मैं कविता लिखता हूँ" के विमोचन समारोह की अध्यक्षता प्रगतिशील लेखक संघ के प्रिय साथी सत्यम सत्येंद्र पाण्डेय सत्यम सागर ने की और मुख्य अतिथि के रूप में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. मुरली मनोहर सिंह उपस्थित हुए। शंभूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय में हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ गंगाधर ढोके और गांधीवादी चिंतक संतोष कुमार द्विवेदी विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। संचालन प्रगतिशील लेखक संघ के संभागीय संयोजक विजेंद्र सोनी और नामचीन शायर दीपक अग्रवाल ने किया।

कवि गिरीश की किताब और वर्तमान सामाजिक राजनीतिक परिदृश्य में कविता की उपस्थिति पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। शहडोल संभाग के तीनों जिलों से बड़ी संख्या में कवि, लेखक, पत्रकार और प्रबुद्ध नागरिकों की उपस्थिति ने आयोजन को गरिमा और सार्थकता प्रदान की। इसमें शहडोल से डॉक्टर जी डी सिंह और डॉक्टर बी पी पटेल की उपस्थिति उल्लेखनीय है। बिलासपुर से कवि तापस हाजरा, उमरिया से प्रसिद्ध नवगीतकार राजकुमार महोबिया, भूपेंद्र त्रिपाठी पाली से युवा शायर आयुष सोनी, शहडोल से मिथिलेश राय, विजय उपाध्याय, विजय नामदेव, सुश्री गोपी नवीन शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार रामावतार गुप्ता, कोतमा से शायर यासीन खान यासीन, अविनाश अग्रवाल, अमरेंद्र सिंह मौजूद रहे। अनूपपुर से सुधा शर्मा، डॉ.नीरज श्रीवास्तव, रामनारायण पांडे, मीना सिंह, पवन छिब्बर, श्रुति शिवहरे, संतोष सोनी, दीपक अग्रवाल एवं अन्य कवियों ने शिरकत की। 

कार्यक्रम का सफल संचालन विजेंद्र सोनी ने और दीपक अग्रवाल ने किया। अतिथियों का स्वागत चंद्रकांत पटेल एवं आभार प्रदर्शन नितिन पटेल ने किया। इस कार्यक्रम में पुस्तक में अंकित उदय प्रकाश, गौहर राजा, सेवाराम त्रिपाठी इत्यादि के संदेशों का वाचन पूर्व नगर पालिका उपाध्यक्ष शिवकुमार गुप्ता, पूर्व उपाध्यक्ष जिवेन्द्र सिंह, सहित, एडवोकेट बासुदेव चटर्जी व अन्य लोगों ने किया। पत्रकारों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही, उन्हें भी सम्मानित किया गया ।

कवि एवं लेखक के पिछले 52 वर्षों से रचित कविताओं का संकलन पुस्तक में देखने को मिलता है। पुस्तक में इनकी पहली कविता अपने दिवंगत माँ पर केन्द्रित है। कवि ने 52 वर्षों में लालटेन युग से एलईडी लाइट की चकाचौंध तक का सफर तय करते हुए अनेक प्रकार के उतार-चढाव को काफी करीबी से देखा है। कवि प्रौढ़ शिक्षा से लेकर आन लाइन स्टडी तक से स्बरु है। प्रकृति को बहुत नजदीक से देखा और समझा है जो कि कविता संग्रह में स्पष्ट रूप से झलकता है।

रचनाओं की गहराईयां अथाह है, कल्पनाओं से ज्यादा हकीकत को दर्शाती है, समाज, देश और वैश्विक माहौल को कविता में दर्शाया गया है, जिसमें प्रगतिशील सोच झलकती है, शिक्षा को बढावा देती है। कविता संग्रह में बियाबान जंगलों से लेकर कनाडा, आस्ट्रेलिया, अमेरिका तक की विदेश यात्राएँ भी समाहित है। कविताओं की भाषा एकदम सहज, सरल, गागर मे सागर समा देने वाली हृदय स्पर्शी है। इस पुस्तक से साहित्यक गतिविधियों में संचार होगा, नई पीढी के छालों और युवाओं के लिए प्रेरणादायक सिद्ध होगी।

आपकी कृति समाजिक विरासत को संजोए रखने में लंबे समय तक योगदान देगी, अनेकों प्रतिभाओं की कलाओं को निखारने में पथ प्रर्दशक का कार्य करेगी। इस संकलन की कविताओं में तुकांत, अतुकांत, छायावादी और नई कविताएँ तो है ही इसके साथ ही व्यंग्यात्मक कविताओं का भी समावेश है। साथ ही इसमें उनके 16 गीत भी शामिल है। यह पुस्तक वैदिक प्रकाशन हरिद्वार के द्वारा प्रकाशित की गई है। यह पुस्तक आम पुस्तकों की तुलना में लंबाई और चौड़ाई में बड़ी है तथा सजिल्द है। इस पुस्तक के आवरण की पेंटिंग स्मिता सक्सेना के द्वारा की गई है। इस पुस्तक में 193 पृष्ठ हैं तथा इसके अक्षर आम पुस्तकों के अक्षरों के बनिस्बत ज्यादा बड़े है। ताकि आसानी से पढ़ा जा सके। 

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