पंचायत दर्पण लगाया जा रहे धुधले बिल से भ्रष्टाचार को मिल रहा है बढ़ावा, जिम्मेदार अधिकारी मौन
*पोर्टल पर जानबूझकर अपलोड किए धुंधले बिल*
अनूपपुर
अनूपपुर जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार छिपाने के लिए पंचायत दर्पण पोर्टल पर धुंधले बिल लगाए गए हैं, ताकि यह दिखाई ही न दे कि पंचायत से कितने रुपयों का बिल किस कार्य के लिए भेजा गया है। दरअसल भ्रष्टाचार को रोकने की जबावदारी सचिव सरपंच अधिकारियों को दी गई है, लेकिन वे ही अब इसमें लिप्त होते दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि सचिन सरपंच अधिकारियों की बिना अनुमति के पोर्टल पर इस तरह के बिल लगना संभव ही नहीं हैं। यदि पंचायत के अधिकारी चाहते तो ऐसे फर्जी एवं बिना दिखने वाले बिलों को पोर्टल पर लगाने की अनुमति ही न देते एवं अगर लगाए भी गए हैं तो उन्हें हटा दिया गया होता।
*ट्रांसपेरेंसी के लिए पंचायत दर्पण पोर्टल हुआ था लॉन्च*
गौरतलब है कि पंचायतों के कार्यों में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सरकार ने पंचायत दर्पण पोर्टल की शुरुआत की है, ताकि पंचायत में होने वाले निर्माण कार्य में जितने रुपयों का खर्चा हुआ है, उसे ऑनलाइन देखा जा सके। इसमें भी अधिकारियों ने कारिस्तानी करना शुरू कर दिया है, पंचायत में फर्जी बिल लगाए जा रहे हैं। पोर्टल पर जो बिल लगाए गए हैं, वे पढ़ने में नहीं आ रहे हैं। अनूपपुर जनपद की लतार ग्राम पंचायत ऐसी हैं, जहां फर्जी बिल लगाकर भुगतान किया जा रहा है। जिसकी समय-समय पर शिकायतें भी होती हैं, इसके बावजूद इसे सुधारा नहीं जा रहा है।
*पोर्टल पर जानबूझकर अपलोड किए धुंधले बिल*
पोर्टल पर इन पंचायतों के लगे धुंधले बिल पंचायत दर्पण पोर्टल पर जिन पंचायतों के धुंधले बिल लगाए गए हैं, उनमें पंचायत लतार, बेलिया बड़ी, बदरा,उरा, दार सागर, भाद, खोड़री नंबर 01,खोड़री नंबर 02,मलगा, चुकान,सेमरा, परासी सकोला, जमुनिया, पायरी न 01,टाकी सहित कई ग्राम पंचायत शामिल हैं।
इस तरह के बिल किए अपलोड अनूपपुर जनपद की अधिकांश पंचायत में बिलों को इस तरह से स्कैन किया जा रहा है कि उसे पढ़ा ही नहीं जा सकता। पोर्टल पर कई बिलों में महज सफेद जगह दिखाई दे रही है। यह पूरा खेल भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए किया गया। बता दें, कमीशन के चलते एक ही फर्म का बिल लगाकर उससे सभी तरह की संसाधन की खरीदी बता दी जाती है। इसका सीधा असर उस ग्राम पंचायत के निवासियों को होता है, जो अपने गांव के विकास की जानकरी नहीं ले पाते है। क्योंकि बिलों को छुपाकर पारदर्शिता खत्म करने पर लगे हुए है।