40 हजार बिजली आउटसोर्स कर्मचारियों को तीन माह बाद भी 11 माह का नही एरियर

40 हजार बिजली आउटसोर्स कर्मचारियों को तीन माह बाद भी 11 माह का नही एरियर


अनूपपुर

अनूपपुर जिले समेत 47 जिलो के 40 हजार बिजली आउटसोर्स कर्मचारियों को तीन माह बाद भी 11 माह का एरियर नहीं मिला हैं।हाईकोर्ट बेंच इंदौर एवं श्रमायुक्त कार्यालय इंदौर द्वारा म.प्र. के आउटसोर्स श्रमिकों को वेतन पुनरीक्षण पश्चात् बढ़े हुए न्यूनतम वेतन का 11 माह का एरियर दिये जाने के निर्देश तीन माह पूर्व ही जारी हो चुके हैं, जिसके मुताबिक प्रत्येक अकुशल आउटसोर्स श्रमिक को 18766 रू.,अर्द्धकुशल को 21615 रू.,कुशल को 25729 रू. एवं उच्च कुशल को 29601 रू.बोनस अंतर सहित एरियर दिया जाना चाहिए था,पर खेद की बात है कि पूर्व-पश्चिम-मध्य क्षेत्र बिजली कम्पनी में म.प्र. के 55 जिलों में से 47 जिलों के करीब 40 हजार बिजली आउटसोर्स कर्मचारियों को करीब 150 करोड़ रू.का मिनिमम वेजेस एरियर अब तक मानव बल ठेकेदारों द्वारा भुगतान नहीं किया गया है।इस मामले में बिजली आउटसोर्स कर्मचारी संगठन के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव एवं महामंत्री दिनेश सिसोदिया ने अपर मुख्य सचिव,ऊर्जा विभाग सहित श्रमायुक्त इन्दौर एवं अध्यक्ष मानव अधिकार आयोग को लिखित शिकायत की है।

श्री भार्गव ने कहा कि जिन चंद 8 जिलों मेंआधा-अधूरा मिनिमम वेजेस मिला है,उनमें मध्य क्षेत्र में भोपाल सिटी व श्योपुर,पश्चिम क्षेत्र में इंदौर ग्रामीण,बड़वानी और मंदसौर पूर्व क्षेत्र में छिन्दवाड़ा,छतरपुर व जबलपुर शक्ति भवन मुख्यालय शामिल हैं। इन इलाकों को छोड़कर शेष सभी 47 जिलों के आउटसोर्स बोनस अंतर सहित एरियर राशि पाने से वंचित हैं। म.प्र.के सभी 400/220/132 केवी सब स्टेशनों व ट्रांसमिशन सर्किल व डिविज़न में कहीं भी एरियर नहीं मिला है।इसी तरह मप्र पावर जनरेशन कंपनी के सतपुडा ताप विधुत ग्रह सारणी,संजय गांधी ताप विद्युत गृह वीरसिंहपुर,अमरकंटक ताप विधुत ग्रह चचाई जिला अनूपपुर व श्री सिंगाजी ताप विधुत ग्रह  खंडवा में चंद चहेतों को ही एरियर राशि दी गई है।

भार्गव का कहना है कि ठेकेदार और बिजली कम्पनी बकाया एरियर नहीं देने के मामले में एक-दूसरे को उत्तरदायी ठहरा रहे हैं। कुछ जगह बजट नहीं होने का बहाना गढ़ा जा रहा है,जबकि इसका बजट तो 1 अप्रैल 2024 को ही आवंटित हो चुका था। हक़ीकत यह है कि बकाया एरियर भुगतान मामले में ठेकेदार को किसी प्रकार का कमीशन नहीं मिलना है,इसलिए इस मामले में ठेकेदार कोई रूचि नहीं दिखला रहे हैं।यह स्पष्टतः मानव अधिकारों का हनन एवं ठेका अनुबंध शर्तों का घोर उल्लंघन है । श्री भार्गव का मत है कि यदि आउटसोर्स श्रमिकों को बढ़ा हुआ वेतन देने एवं एरियर देने में मानव बल ठेकेदार विफल हैं,तो नियमानुसार प्रिंसिपल नियोक्ता, बिजली कम्पनी को इसका भुगतान स्वयं करना चाहिए।

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