सड़क किनारे दुकान चलाकर परिवार चलाने वालों को दुकान हटाने की नोटिस जारी
*एक तरफ़ा कार्यवाही, दबाब में बल पूर्वक हटाने के लगे आरोप*
शहडोल
जिला मुख्यालय के पास स्थित ग्राम सिंहपुर में सड़क किनारे वर्षों से गुमठी और ठेले पर दुकान चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाले फुटपाथ व्यापारियों को प्रशासन द्वारा बलपूर्वक हटाने के निर्देश दिए गए हैं। राजस्व विभाग के आदेश पर नायब तहसीलदार ने इन दुकानदारों को नोटिस जारी कर 10 अप्रैल तक मोहलत दी है। इसके बाद अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। करीब एक दर्जन से अधिक दुकानदारों को यह नोटिस थमाया गया है, जिनमें से कई पिछले 40 वर्षों से इसी स्थान पर दुकान चला रहे हैं। इन दुकानों में साइकिल और बाइक रिपेयरिंग, जूते-चप्पल, कपड़े और किराने की दुकानें शामिल हैं। इन व्यापारियों का कहना है कि यही उनकी आजीविका का एकमात्र साधन है और किसी तरह परिवार का गुज़ारा इसी से होता है।
*एकतरफा कार्रवाई का आरोप*
स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह कार्रवाई पक्षपातपूर्ण तरीके से की जा रही है और एक विशेष समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। उनका कहना है कि सिंहपुर में कई अन्य स्थानों पर भी शासकीय भूमि पर दुकानें संचालित हो रही हैं, लेकिन नोटिस सिर्फ इन्हीं दुकानदारों को जारी की गई है। सिंहपुर निवासी अब्दुल सलामत ने बताया कि वे पिछले 40 वर्षों से यहां दुकान चला रहे हैं। पहले उन्होंने साइकिल रिपेयरिंग की दुकान चलाई, अब उनके पुत्र बाइक रिपेयरिंग का कार्य करते हैं। उन्होंने कहा, कभी भी प्रशासन द्वारा कोई नोटिस नहीं दी गई थी, अचानक अब नोटिस थमा दी गई है। इसी तरह, दुकानदार नुरुल, रिजवान, मोहम्मद सवाब, मोहम्मद नईम,आकिब, सत्यम गुप्ता, संदीप पांडे आदि ने भी अपनी बात रखते हुए कहा कि उन्हें कहीं और रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं है। यदि प्रशासन निर्माण कार्य करना चाहता है तो वे स्वेच्छा से स्थान खाली करने को तैयार हैं, लेकिन जबरन हटाया जाना अन्यायपूर्ण है।
*दबाब में कार्यवाही*
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह कार्रवाई सत्ता से जुड़े कुछ लोगों के दबाव में की जा रही है, जो नहीं चाहते कि ये व्यापारी यहां अपना व्यवसाय जारी रखें। वहीं, शासकीय अस्पताल प्रबंधन द्वारा अब तक कोई आपत्ति या नोटिस इन दुकानदारों को नहीं दी गई है। प्रशासन की यह कार्रवाई अब विवाद का विषय बनती जा रही है और स्थानीय स्तर पर असंतोष पनप रहा है। पीड़ित परिवारों की मांग है कि प्रशासन उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था करे या मानवीय आधार पर पुनर्विचार करे।