पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं के विरुद्ध हिंसा से नाराज लोगों ने सौपा ज्ञापन, राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग
*विश्व हिन्दू परिषद ने किया विरोध प्रदर्शन*
अनूपपुर
पश्चिम बंगाल में एक वर्ग विशेष द्वारा हिन्दुओं के प्रति लगातार लक्षित हिंसा करते हुए मार- पीट , हत्याएं , बलात्कार, लूट ,आगजनी करते हुए हिन्दुओं के घरों, दुकानो, सम्पत्तियों को लूटा,तोडा और जलाया जा रहा है। इसके विरोध में देश भर मे आज विभिन्न हिन्दू संगठनों द्वारा जिला मुख्यालयों मे विरोध प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रपति के नाम पर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। अनूपपुर जिला मुख्यालय में भी 19 अप्रैल ,शनिवार को विश्व हिन्दू परिषद्, हिन्दू एकता मंच अनूपपुर सहित अन्य संगठनों द्वारा संयुक्त रुप से महामहिम राष्ट्रपति के नाम एडीएम दिलीप पाण्डेय को एक ज्ञापन सौंप कर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की गयी।
विश्व हिन्दू परिषद महाकौशल प्रांत , जिला अनूपपुर, हिन्दू एकता मंच,अनूपपुर के साथ समस्त हिन्दू समाज के नेतृत्व में जिला मुख्यालय अनूपपुर मे 19 अप्रैल, दिन शनिवार को दोपहर 4 बजे से धरना - प्रदर्शन किया गया। सोन नद के तट पर शिव- मारुति मन्दिर परिसर में अनूपपुर, राजेन्द्रग्राम, कोतमा,बिजुरी,राजनगर, चचाई सहित अन्य स्थानों से आए लोगों ने परिसर में सबसे पहले श्री हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया। इसके बाद जिला मंत्री ने विरोध पत्र का वाचन किया। तत्पश्चात रैली निकाल कर जय श्री राम, भारत माता की जय , वन्देमातरम्, ममता बनर्जी होश मे आओ, पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाओ जैसे नारे लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया।
कलेक्ट्रेट भवन के मुख्य द्वार पर एडीएम दिलीप पाण्डेय को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंप कर मांग किया की वक्फ कानून के विरोध की आड़ में संपूर्ण बंगाल को जिस प्रकार हिंसा की आग में जलाया जा रहा है, हिंदुओं को प्रताड़ित किया जा रहा है, राष्ट्र विरोधी और हिंदू विरोधी तत्वों को निर्बाध रूप से अपने षडयंत्रों को क्रियान्वित करने की खुली छूट दी जा रही है, उससे स्पष्ट लगता है कि बंगाल की स्थिति अत्यधिक चिंताजनक है। मुर्शिदाबाद से प्रारम्भ हुई यह भीषण हिंसा अब संपूर्ण बंगाल में फैलती हुई दिखाई दे रही है। शासकीय तंत्र दंगाइयों के सामने केवल निष्क्रिय ही नहीं अपितु कई स्थानों पर इनका सहायक या प्रेरक बन गया है। इससे पहले कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाए, केंद्र सरकार को प्रशासन का नियंत्रण व संचालन अपने हाथ में लेकर राष्ट्र विरोधी व हिंदू विरोधी तत्वों को उनके कुकर्मों के लिए कठोरता सजा दिलवानी चाहिए। आरोप लगाया गया कि
मुस्लिम भीड़ द्वारा 11 अप्रैल, 2015 को वक्फ कानून के विरोध के नाम पर किया गया हिंसक प्रदर्शन कानून बनाने वाली सरकार के विरोध में नहीं अपितु हिंदुओं पर हिंसक आक्रमण के रूप में था जबकि हिंदू समाज का इस कानून के निर्माण में कोई भूमिका नहीं थी और यह एक शुद्ध संवैधानिक प्रक्रिया थी । इसका स्पष्ट अर्थ है कि वक्फ तो केवल बहाना था, असली उद्देश्य मुर्शिदाबाद को हिंदू शून्य बनाना था। इस उन्मादी जिहादी भीड़ ने हिंदुओं के 200 से अधिक घरों और व्यावसायिक दुकानों को लूटकर जलाया, सैकड़ो हिंदुओं को बुरी तरह घायल किया व तीन नागरिकों की निर्मम हत्या की गई। दर्जनों महिलाओं के शीलभंग भी किए गए। परिणाम स्वरूप 500 से अधिक हिंदू परिवारों को मुर्शिदाबाद से पलायन करना पड़ा ।
उनके पास जाकर उनकी चिंता एवं सहायता करने की अपेक्षा सुश्री ममता बनर्जी दंगा भड़काने वाले इमामो से मिल रही है जिनमें से एक इमाम ने एक दिन पहले ही धमकी दी थी कि "अगर ममता बनर्जी ने उनका साथ नहीं दिया तो वह उसकी औकात बता देंगे।" अब ये सारे तथ्य सामने आने पर यह समाचार मिल रहा है कि ममता जी अब शरणार्थियों को सुविधा देने की जगह उनको वापस जेहादियों के सामने जबरन परोसने का षड्यंत्र कर रही है।आज की बंगाल की स्थिति से यह स्पष्ट है कि ममता सरकार भारत के संघीय ढांचे को बंगाल में ध्वस्त कर अपनी सरकार और वोट बैंक को सुरक्षित रखने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकती है। बंगाल में राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में आ चुकी है ।बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों को निर्बाध रूप से आने दिया जा रहा है। उनके आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं। पाकिस्तानी तथा बांग्लादेशी आतंकी संगठनों की सक्रियता बढ़ती जा रही है । हिंदुओं के प्रति हिंसा बढ़ती जा रही है और न्यायालय के आदेश पर ही हिंदू त्योहारों को अनुमति मिल पाती है । उनको सुरक्षा देने वाले अर्धसैनिक बलों को निशाना बनाया जाता है।
हिंदू का अस्तित्व खतरे में पड़ चुका है। कानून व्यवस्था पूर्ण रूप से नष्ट हो चुकी है।तृणमूल के असामाजिक तत्व व जिहादी गुंडो के नियंत्रण व निर्देश पर ही प्रशासन काम करने के लिए विवश है ।आज यह हिंसा मुर्शिदाबाद से निकलकर संपूर्ण बंगाल में फैलती जा रही है। अब यह बंगाल तक भी सीमित नहीं रहेगी। इसलिए देश की जनता मांग करती हैं।
बंगाल में अविलंब राष्ट्रपति शासन लगाया जाए । बंगाल की हिंसा की जांच NIA के द्वारा करवाई जाए और दोषियों को अविलंब दंडित किया जाए । बंगाल की कानून व्यवस्था का संचालन केंद्रीय सुरक्षा बलों के हाथों में दिया जाए। बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान कर उनको निष्कासित किया जाए। बंगाल व बांग्लादेश की 450 किलोमीटर की सीमा पर तार लगाने का काम अविलंब प्रारंभ किया जाए जिसे ममता बनर्जी ने रोका हुआ था।हमें विश्वास है की राष्ट्र की सर्वभौंमिक्ता और साम्प्रदायिक सदभाव बनाये रखने के लिए आप अविलम्ब और त्वरित कार्यवाही करेंगीं।