*परिचय*
आनंद पाण्डेय पिता स्व. रामरूप पाण्डेयव निवासी वार्ड़ नं. 12 अमरकंटक रोड़ अनूपपुर। मेरा जन्म 9 अक्टूबर 1973 में अनूपपुर (मध्यप्रदेश) हुआ। शंभूनाथ शुक्ल महाविद्यालय शहडोल से बी ए व एमए परीक्षा पास की। डिप्लोमा इन एजुकेशन (डीएड) व शीघ्रलेखन मुद्रलेखन (टाइपिंग) की परीक्षा शहडोल से पास की। 2003 से अभी तक पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य कर रहा हूँ। वर्तमान में दैनिक उज्ज्वल समाचार पत्र जो भोपाल व ग्वालियर से प्रकाशित होता है, उसमें सह संपादक, दैनिक रेवांचल टाइम्स जबलपुर में संभाग ब्यूरो, न्यूज़ 24 एक्सप्रेस टीवी में जिला ब्यूरो, दैनिक पीपुल्स समाचार जबलपुर में जिला रिपोर्टर, भारत 24 नेशनल टीवी में रिपोर्टर, एसेम्बली ऑफ जर्नलिस्ट यूनियन में संभाग महासचिव, भारत विकास परिषद में सचिव पद कार्य कर रहा हूँ।
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*देश का चौथा स्तंभ, पत्रकारिता का बदलता दौर, कलम हो गई आवारा व दागदार*
*पत्रकारिता समाज का आईना मगर धर्म, जातिवाद, मन्दिर मस्जिद की तथाकथित राजनीति से आगे नहीं बढ़ पा रही हैं*
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बदलते दौर की पत्रकारिता में सब कुछ संभव है। भारत मे न्यायपालिका, कार्यपालिका व व्यवस्थापिका तीन स्तंभ माने गए है, इसके अलावा भारत का चौथा स्तंभ पत्रकारो को कहा जाता है। चौथा स्तंभ की हालत दयनीय है। भारत मे तीनो स्तम्भों को विशेषाधिकार प्राप्त है, लेकिन भारत के चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारो को अभी तक कोई विशेषाधिकार प्राप्त नही हुआ है। समाज का आईना के साथ पत्रकारो को जनता और सरकार के बीच की एक कड़ी मानी जाती है, जो एक दूसरे की बात पहुचाने का कार्य करती है। आज की पत्रकारिता पूरी तरह व्यवसाय का रूप धारण कर चुकी हैं, इसका स्वरूप भी बहुत बदल गया है, जिस कारण से पत्रकारो की कलम भी दूषित होती जा रही है, कलम बिकते जा रही है, लिखने की कला लिखावट बदलती जा रही है, कलम की स्याही बदलते जा रही हैं, पत्रकारिता के मायने बदलता जा रहा है, स्वच्छ पत्रकारिता कही न कही कराह रही है। पुराने दौर में कलमकार की कलम को कुचलने की कोशिश होती रही है और आज भी यही हो रहा है। आज के परिवेश में स्वच्छ पत्रकारिता की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
*पत्रकारिता क्या है*
समाचारों को लिखने, इकट्ठा करने, संपादित करने और प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को पत्रकारिता कहते हैं, यह एक गद्य शैली है, पत्रकारिता, आधुनिक सभ्यता का एक प्रमुख व्यवसाय है। पत्रकारिता में समाचारों को सटीक, संक्षिप्त, और स्पष्ट तरीके से लिखा जाता है। पाठको का ध्यान रखना पड़ता है। समाचारों को प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से प्रस्तुत किया जाता है। समाचारों को प्रस्तुत करने के लिए अखबार, पत्रिकाएं, रेडियो, टेलीविजन व वेब-पत्रकारिता, समाचारों को प्रस्तुत करने के लिए कई तरह के लोग जैसे संवाददाता, स्तंभकार, सम्पादक, फ़ोटोग्राफ़र, पृष्ठ डिजाइनर व अन्य लोग कार्य करते हैं।
*पत्रकारिता का वर्तमान स्वरुप*
40 वर्ष पुरानी पत्रकारिता व आज का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है।बदलते वक्त के साथ बाजारवाद और पत्रकारिता के अन्तर्सम्बन्धों ने पत्रकारिता की विषय-वस्तु तथा प्रस्तुति शैली में व्यापक परिवर्तन किए।वर्तमान में भारतीय पत्रकारिता सरकारी गजट या नोटिफिकेशन बनकर रह गई है। लगभग सभी मीडिया संस्थान और चैनल दिन रात सरकार का गुणगान करते हैं। इक्कीसवीं सदी में दुनिया विज्ञान और टेक्नोलॉजी पर बात कर रही है परन्तु भारतीय मीडिया धर्म, जातिवाद, मन्दिर मस्जिद की तथाकथित राजनीति से आगे नहीं बढ़ पा रही हैं। इस तरह की पत्रकारिता भारतीय समाज में अन्धविश्वास, धार्मिक उन्माद, सामाजिक विघटन ही पैदा करेगी। वर्तमान समय में मीडिया की नजरों में सेक्युलर, उदारवादी या संविधानवादी होना स्वयं में एक गाली हो गया है।
*कॉपी पेस्ट की पत्रकारिता*
पहले के दौर में पत्रकारिता का एक सीमित संशाधन के माध्यम से किया जाता था, कॉपी पेस्ट की सम्भावना बहुत ही कम हुआ करती थी, मगर आज के दौर में पत्रकारिता के संसाधन का स्तर बहुत ही ज्यादा बढ़ गया हैं, इसलिए कॉपी पेस्ट का दौर शुरू हो गया है। कॉपी-पेस्ट पत्रकारिता, जिसे "कॉपी पेस्ट जर्नलिज्म" भी कहा जाता है, एक ऐसी पत्रकारिता शैली है जिसमें पत्रकारिता में पत्रकार किसी अन्य स्रोत (जैसे कि वेबसाइट, समाचार पत्र, या ब्लॉग) से किसी और के काम को बिना उचित श्रेय या अनुमति के कॉपी करके उसे अपनी कहानी या रिपोर्ट में बिना बदलाव या संशोधन के शामिल कर लेते हैं। लेना। कर लेते हैं। कॉपी की गई सामग्री को बिना किसी अपनी कहानी या रिपोर्ट में शामिल कर लिया जाता है। कॉपी-पेस्ट पत्रकारिता एक गंभीर समस्या है जो पत्रकारिता की विश्वसनीयता को कम करती है जो पाठकों के साथ धोखा है। पत्रकारों को हमेशा अपनी सामग्री को मूल रूप से तैयार करना चाहिए और दूसरों के काम को उचित श्रेय देना चाहिए।
*पत्रकारिता में सोशल मीडिया का दखल*
सोशल मीडिया पत्रकारिता के लिए एक शक्तिशाली और तेजी से उभरता हुआ माध्यम है, जो खबरों को तुरंत साझा करने, दर्शकों के साथ बातचीत करने और सूचना के लोकतंत्रीकरण में मदद करता है।सोशल मीडिया पत्रकारिता को खबरों को तुरंत और तेजी से साझा करने की सुविधा प्रदान करता है, जिससे पत्रकार दुनिया भर में होने वाली घटनाओं के बारे में तत्काल जानकारी दे सकते हैं। ऑनलाईन पत्रकारिता से लोगो का अखबारों से मोह भंग हो गया हैं। व्हाट्सएप्प, फेसबुक, इंस्ट्राग्राम, एक्स के अलावा ऑनलाइन पोर्टल, वेब पोर्टल, यू ट्यूब का उपयोग पत्रकारिता के लिए बहुत तेजी से हो रहा है। ऑनलाईन पत्रकारिता का अच्छा परिणाम व दुष्परिणाम देखने को मिलता हैं।सोशल मीडिया पर गलत जानकारी और भ्रामक सामग्री फैलने का खतरा ज्यादा होता है, जिससे पत्रकारिता की विश्वसनीयता पर असर पड़ता हैं। सोशल मीडिया में सरकार का अंकुश न होने पर इसके माध्यम से गलत खबरे भी परोस दी जाती है, भ्रामक खबरो के कारण आम जनता के बीच अफवाह फैलने से बड़ी घटना घट जाती है।
*दागदार होती पत्रकारिता*
आज की पत्रकारिता पूरी तरह से बदल गई हैं। बेरोजगारी के दौर में दूर के ढोल सुहावने वाली कहावत पर पत्रकारिता की चकाचौन्ध के कारण अपात्र लोग भी पत्रकारिता में घुसकर पत्रकारिता को कलंकित करने का का काम कर रहे है। आज पत्रकारिता का यह हाल हो गया हर मोहल्ले से एक पत्रकार तैयार हो रहे है। जिनके पास न तो कोई डिग्री हैं न अनुभव जिसके कारण पत्रकारिता बदनाम हों रही है। आज की पत्रकारिता पूरी तरह व्यवसाय बनकर रह गयी हैं। संपादक 2 हजार से 5 हजार रुपया लेकर किसी को भी पत्रकार बना दे रहे हैं। ऐसे में अवैध कार्य करने वाले, जिनके ऊपर अपराध दर्ज है, सजा हो चुकी हैं, किसी पार्टी का नेता हैं बहुत हीं आसानी से पत्रकार बन जाते है। और पत्रकारिता को कही न कही कलंकित करते रहते हैं। रुपए की लालच में संपादक ये पता करने की बिल्कुल कोशिश नही करते कि सामने वाले का स्टेटस क्या है।
*कलम का असर खत्म*
लगभग 30 से 40 वर्ष पहले सोशल मीडिया नहीं था गिनती के अखबार प्रकाशित होते थे, न्यूज़ चैनल भी सीमित थे, उस समय की पत्रकारिता में कोई भी खबर चल जाती थी तो उस खबर पर तुरंत कार्यवाही हो जाती थी, पीड़ित को जल्द ही न्याय मिल जाता था। मग़र आज के जमाने मे हजारों टीवी चैनल, लाखो अखबार, यू ट्यूब, पोर्टल, वेब साइट व फेसबुक, व्हाट्सएप्प, एक्स के होने के कारण जल्द खबर चलाने की होड़ में बहुत सारी खबर झूटी अफवाह होने के कारण खबरों के आधार पर कार्यवाही नही होती, हर खबर की जांच करना आसान नही रह गया है। जिले में बैठा अधिकारी भी जनता है अब के पत्रकारो की कलम में वह सच्चाई व धार नही रह गई हैं की खबर छपते कार्यवाही हो जाये। खबरों की इस होड़ में सही खबर भी दबकर रह जाती है
*पत्रकारो की आवारा कलम*
पत्रकारिता में पत्रकारो की कलम बिलकुल सटीक, सच व सही होनी चाहिए, मगर बदलती पत्रकारिता में यह संभव नही दिख रहा है। शब्दो का चयन भाषा का जमकर दुरुपयोग हो रहा है, सारी मर्यादाए तोड़कर कलम की लिखावट दूषित किया जा रहा हैं, किसी के बारे में कौन कितना लिख सकता है इसकी बराबरी करने में लगे हुए हैं। सोश ल मीडिया में कोई भी खबर वायरल हुई, उस खबर की सच्चाई जाने बिना खबर चलाने की होड़ में 10 मिनट में सोशल मीडिया प्लेटफार्म में खबर चलने लगती हैं, बाद में पता चलती हैं कि सच्चाई कुछ और हैं। लोगो की झूठी शिकायत पर बिना सच्चाई जाने खबर चलाकर आरोपी बना दिया जाता है जो सही नहीं है। आज के पत्रकार किसी के बारे में कुछ भी लिखने से परहेज नही करते, खबरों के माध्यम से ब्लैकमेल भी किया जाता है, विज्ञापन के नाम पर दबाब बनाया जाता हैं। पत्रकारो को लिखने की स्वतंत्रता है मगर उसका भी एक दायरा हैं, दायरे से बाहर जाकर झूठ को सच बनाकर पेश करना पत्रकारिता नही है।
*असीमित प्लेटफार्म और तेज खबर*
आज के पत्रकारिता में बहुत कुछ नया, अच्छा, खराब सब कुछ सीखने को मिल रहा हैं, मीडिया का प्लेटफार्म बहुत ही बड़ा व असीमित हो गया है। जिससे बहुत कुछ नया करने की ललक पत्रकारो में जग रही हैं। जिसके परिणाम अच्छे बुरे दोनो हो सकते हैं। मगर यह बिल्कुल सच है कि पत्रकारिता का स्तर गिरता जा रहा हैं, जो सभी के लिए चिंतनीय विषय है। इस विषय पर देश के बड़े संपादक व पत्रकारो को बैठकर सोचना होगा कि यह पत्रकारिता कितनी दूर तक लेकर जाएगी और इसके परिणाम कितने घातक हो सकते हैं। एक बात यह भी है कि सोशल मीडिया के जमाने मे पत्रकारिता इतनी तेज हों गयी हैं कि पलक झपकते खबरे वायरल होकर पूरी दुनिया मे फैल जाती है। जिससे लोगो को पलभर में खबरे मिल जाती है। टीवी का जमाना अब जाता रहा, मोबाइल के जमाने मे मानो क्रांति आ गयी हैं। इतनी तेज खबर परोस दी जाती जो लोगो ने कभी ऐसा सोचा भी नही रहा होगा।
*लोकतांत्रिक समाज में मीडिया महत्वपूर्ण*
समाचार पत्र और पत्रिकाएँ लोगों के दिन की अच्छी शुरुआत करती हैं। समाचार पत्र आमतौर पर हमारा मानसिक नाश्ता होता हैं, और दिन की सुर्खियाँ जानने की ईक्षा होती हैं। कभी पॉजिटिव खबरे तो कभी निगेटिव खबरों से दिन की शुरुआत होती हैं। दूसरी ओर, पत्रिकाएँ हमें हमारे परिवेश में होने वाली विभिन्न घटनाओं पर एक बड़ा और अधिक संपूर्ण परिप्रेक्ष्य प्रदान करती हैं। पत्रकारिता अन्य चीजों के अलावा समाचार, राय और रिपोर्ट के संदर्भ में एक पत्रकार के काम को संदर्भित करती है। आजकल लोग चल रही घटनाओं से अवगत रहने के लिए प्रेस पर भरोसा करते हैं। एक आधुनिक समाचार पत्र सिर्फ एक समाचार स्रोत से कहीं अधिक है, यह वर्तमान सूचनाओं का भंडार, सार्वजनिक आलोचना का उपकरण और जनमत को आकार देने वाला भी है। एक लोकतांत्रिक समाज में मीडिया महत्वपूर्ण है। जनमत के निर्माण पर उनका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। उन्हें आम आदमी की ओर से राजनीति के बारे में सोचने वाला माना जा सकता है। एक आधुनिक समाचार पत्र समाचार स्रोत के रूप में सेवा करने के अलावा वर्तमान सूचनाओं के पुस्तकालय, सार्वजनिक आलोचना के उपकरण और जनमत को आकार देने वाले के रूप में कार्य करता है। एक लोकतांत्रिक समाज में मीडिया महत्वपूर्ण है। जनमत को आकार देने पर उनका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
*पत्रकारिता दुनिया के लिए महत्वपूर्ण*
पत्रकारिता "बेजुबानों की आवाज़" के रूप में कार्य करती है, जो हमारे समाज के सभी सदस्यों के विचारों को व्यक्त करती है। यह अधिकारियों और आम जनता के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करती है। एक आधुनिक समाचार पत्र में कर्मचारियों में सक्षम चित्रकार, कार्टूनिस्ट, फोटोग्राफर आदि भी होते है। विज्ञापन प्रबंधक और संचालन प्रबंधक की आवश्यकता होती है। पत्रकार, या न्यूज़पेपरमैन, उन सभी व्यक्तियों के लिए सामूहिक शब्द है जो एक समाचार पत्र के लिए काम करते हैं। क्योंकि अब हम एक विश्वव्यापी अर्थव्यवस्था और व्यावहारिक रूप से एक वैश्विक समाज हैं, पत्रकारिता दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है। एक सक्षम पत्रकार अपनी खुद की विशिष्ट शैली विकसित करता है। वह समझता है कि रुचि कैसे जगाई जाए और जो उसे देना है उसके लिए मांग कैसे की जाए। पत्रकारिता के बारे में याद रखने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह केवल सार्वजनिक हित की सेवा के लिए मौजूद है। एक साहित्यिक महानता की आकांक्षा रखता है, जबकि दूसरा प्रचार को अधिक महत्व देता है। इसका अनुप्रयोग का क्षेत्र बहुत व्यापक है, और इसमें कितना सुधार किया जा सकता है इसकी कोई सीमा नहीं है। हालाँकि, लेखक को संपादक के विश्वासों को पाठकों पर थोपने के लिए समाचारों को तुच्छ और खंडित करने की वर्तमान प्रवृत्ति से सावधान रहना चाहिए। अंत में, पत्रकारिता "आलोचना और बहस के लिए एक सार्वजनिक स्थान प्रदान करती है। यह एक लोकतांत्रिक समाज के लिए महत्वपूर्ण है।
आनंद पाण्डेय (पत्रकार)
*सह संपादक दैनिक उज्ज्वल भोपाल*
*संभागीय ब्यूरो दैनिक रेवांचल टाइम्स*
*दैनिक पीपुल्स समाचार, भारत 24 टीवी, न्यूज़ 24 एक्सप्रेस टीवी*
वार्ड़ नं. 12 अमरकंटक रोड़ अनूपपुर म.प्र.
मोबाईल- 9806418220, 9893103531