विदेशी धरती पर जिले की बेटी लगाएगी निशाना, अंतरराष्ट्रीय शूटिंग स्पर्धा में अभीप्सा चयनित

विदेशी धरती पर जिले की बेटी लगाएगी निशाना, अंतरराष्ट्रीय शूटिंग स्पर्धा में अभीप्सा चयनित

*13 साल की उम्र में कराटे में ब्लैक बेल्ट प्राप्त कर महारत हासिल की*


शहड़ोल

विदेश की धरती पर आने वाले दिनों में भारत की बेटी अभीप्सा निशाना लगाते हुए नजर आएंगी। यह होनहार खिलाड़ी जिले के बुढार की रहने वाली हैं, जो वर्तमान समय में प्रदेश की भोपाल स्थित मध्य प्रदेश शूटिंग अकादमी में अपने कैरियर की तैयारी में लगी हुई हैं।

बुढार की 15 वर्षीय अभीप्सा सिंह आने वाले दिनों में इटली में पिस्टल से निशाना लगाते हुए नजर आएंगी। आगामी अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग स्पर्धा में वह भारत की टीम के साथ हिस्सा लेंगी। बुढार की यह खिलाड़ी मध्य प्रदेश से इटली जाने वाली प्रतिभागियों में एकमात्र शूटर होंगी। शूटिंग में 25 और 50 मीटर रेंज में चयनित होने वाली वह एकमात्र खिलाड़ी हैं। अभीप्सा ने सिर्फ शूटिंग में ही नहीं, बल्कि कराटे में भी महारत हासिल की है। महज 13 साल की उम्र में उसने कराटे में ब्लैक बेल्ट प्राप्त किया था। उसकी इस सफलता से जिले, प्रदेश और अब देश का नाम रोशन हो रहा है। वह बुढार के ट्रांसपोर्ट व्यवसायी रमेश उर्फ दादू सिंह की सुपुत्री हैं। अभीप्सा अब तक शूटिंग में चार गोल्ड मेडल भी जीत चुकी हैं, जो क्षेत्रवासियों के लिए गर्व की बात है।

*प्रतिभा चयन खोज परीक्षा में चयन*

अभीप्सा का चयन प्रदेश स्तरीय प्रतिभा चयन खोज परीक्षा के माध्यम से हुआ था, जिसके बाद वह मध्य प्रदेश शूटिंग अकादमी भोपाल में ट्रेनिंग के लिए गईं। वह पिछले दो साल से वहाँ रहकर प्रदेश की शूटिंग स्पर्धाओं में भाग ले रही हैं। अब वह चेन्नई में आयोजित होने वाली शूटिंग स्पर्धा में शामिल होने जा रही हैं। इसके बाद वह देश से बाहर जाकर अपनी शूटिंग की प्रतिभा का जौहर दिखाएंगी।

*देशवासियों के लिए गर्व*

इस छोटी सी उम्र में शहडोल जिले के बुढार जैसे छोटे नगर से निकलकर प्रदेश स्तर तक पहुंचना उसकी कड़ी मेहनत और खेल के प्रति उसकी लगन को दर्शाता है। जब वह देश के बाहर शूटिंग स्पर्धा में भाग लेगी, तो यह न केवल बुढार और शहडोल जिले, बल्कि मध्य प्रदेश और पूरे भारत के लिए गर्व की बात होगी। उसकी इस सफलता के बाद कोयलांचल के खेल प्रेमियों में भी खुशी की लहर है।

*खेलो में थी रुचि*

परिजनों ने बताया कि अभीप्सा का बचपन से ही खेलों के प्रति झुकाव था। जब वह पांच साल की थी, तो अक्सर उसे घर में अकेले कराटे के हाथ-पैर उठाते देखा जाता था, लेकिन उस समय परिजनों को यह नहीं पता था कि यह उसकी भविष्यवाणी का संकेत होगा। धीरे-धीरे उसने कराटे में कदम रखा और कठिन मेहनत करके छोटी सी उम्र में ब्लैक बेल्ट हासिल किया, जो परिवार के लिए गर्व का क्षण था। इसके बाद उसने मध्य प्रदेश शूटिंग अकादमी में जाकर शूटिंग में अपना करियर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया।

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