आशा, उषा महिला कार्यकर्ताओ ने मांगो को लेकर मुख्यमंत्री को सड़क पर रोककर सौपा ज्ञापन

आशा, उषा महिला कार्यकर्ताओ ने मांगो को लेकर मुख्यमंत्री को सड़क पर रोककर सौपा ज्ञापन


अनूपपुर/अमरकंटक

अनूपपुर जिले के अमरकंटक प्रवास पर आए प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान को आशा,ऊषा,आशा सहयोगी सयुक्त मोर्चा संघ ने ब्लाक अध्यक्ष शैल जायसवाल के नेतृत्व में बीच सड़क पर उनकी गाड़ी को रुकवाकर ज्ञापन सौंपा कर अपनी बात रखी गई जिसमे बताया गया की विगत 16 वर्षों से न्यायपूर्ण वेतन से वंचित आशा को 10,000 रु एवं पर्यवेक्षकों को 15,000 रुपये वेतन लागू कर न्याय किये जाने की मांग की गई है आपको बता दे की विगत 17 दिनों से लगातार आशा, ऊषा पर्यवेक्षकों अपनी मांगों को लेकर की प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन हडताल पर है।

ज्ञापन में बताया गया है की प्रदेश में गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं, नवजात शिशुओं के साथ साथ आम जनता की स्वास्थ्य की देखभाल में दिन रात काम कर रही प्रदेश की आशा ऊषा पर्यवेक्षकों के प्रति प्रदेश सरकार एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का रवैया बेहद अन्यायपूर्ण रहा है। प्रदेश की हजारों आशा कार्यकर्तायें केवल 2,000 रुपये मासिक का बेहद अल्प वेतन में काम करने के लिये विवश है, वह भी केन्द्र सरकार द्वारा देय है। अन्य राज्य सरकारें आशा एवं पर्यवेक्षको को वर्षों से अपनी ओर से अतिरिक्त वेतन देकर राहत पहुंचा रही है, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार पिछले 16 वर्षो से अपनी ओर से आशा ऊषा पर्यवेक्षकों को कुछ भी नही दे रही है। सरकार की इस रवैये से प्रदेश की आशा ऊषा एवं पर्यवेक्षक बेहद आहत एवं आक्रोशित है। सरकार के इस रवैया के खिलाफ, न्यायपूर्ण वेतन की मांग को लेकर प्रदेश की आशा ऊषा पर्यवेक्षक लगातार संघर्ष में है, लेकिन सरकार उनकी न्यायपूर्ण मांग की लगातार अनसुनी कर रही है।

प्रदेश की बजट से विभिन्न मदों में हजारों हजार करोड रुपये खर्च करने वाली राज्य सरकार, स्वास्थ्य विभाग के अभियान में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली आशा ऊषा पर्यवेक्षकों को न्यायपूर्ण वेतन से वंचित कर उनके परिवार की जिन्दगी का लगातार उपेक्षा कर रही है। प्रदेश सरकार के इस अमानवीय रवैया से त्रस्त हो कर आशा ऊषा आशा सहयोगी संयुक्त मोर्चा मध्य प्रदेश के आह्वान पर प्रदेश की आशा ऊषा एवं पर्यवेक्षक 15 मार्च 2023 से प्रदेश व्यापी अनिश्चितकालीन काम बंद हडताल पर है।

*मुख्य मांगें*

मिशन संचालक, एन.एच. एम. मध्य प्रदेश द्वारा 24 जून 2021 को दिये अनुशंसा को लागू कर आशा को 10,000 रु एवं

पर्यवेक्षकों को 15,000 रुपये निश्चित वेतन लागू किया जावे, उसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ा जावे।आशा, ऊषा, आशा पर्यवेक्षकों को कर्मचारी के रूप में नियमित किया जावे, तब तक न्यूनतम वेतन, भविष्य निधि, ई. एस आई., ग्रेच्युटी, पेंशन सहित सामाजिक सुरक्षा लाभ दिया जावे। न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये निर्धारित किया जावे।

*अन्य मांगें*

आशाओं की प्रोत्साहन राशि के भुगतान में पारदर्शिता सुनिश्चित किया जावे। प्रोत्साहन राशि में अनुचित कटौती को रोकाजावे । प्रत्येक आशा से अब तक काटी गयी सभी राशियों का एरियर सहित भुगतान किया जावे।आशाओं के द्वारा की गयी कोविड वैक्सीनेशन ड्यूटी, डी पी टी बूस्टर वैक्सीन, एनसीडी सर्वे, परिवार नियोजन, निर्वाचनकार्य सहित सभी कामों का बकाया प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जावे।प्रत्येक माह की 5 तारीख को आशा एवं पर्यवेक्षकों का भुगतान सुनिश्चित किये जाने हेतु ठोस उपाय किया जावे।आशाओं से बंधुआ मजदूरों जैसे व्यवहार को रोका जावे । आशा एवं पर्यवेक्षकों के लिये विभाग द्वारा निर्धारित कार्य केअलावा अन्य कार्य नहीं कराया जावे।

आशाओं की सभी मीटिंगों एवं पर्यवेक्षकों के वास्तविक यात्रा व्यय का भुगतान किया जावे।आशा एवं पर्यवेक्षकों को वेतन सहित 20 आकस्मिक अवकाश दिया जावे एवं मेडिकल लीव का ठोस नियम बनाया जाये।आशा पर्यवेक्षको को वेतन सहित रविवार को साप्ताहिक अवकाश प्रदान किया जावे। आशा एवं पर्यवेक्षको को शासन के कुशल श्रेणी के न्यूनतम वेतन की दर पर 6 माह का मातृत्व अवकाश एवं अन्य सुविधायें दी जावे। बिना किसी जांच के आशाओं की सेवा समाप्ति पर तुरंत रोक लगायी जावे । विगत एक वर्ष में निष्क्रिय आशा बताकर आशाओं की, की गयी सेवा समाप्ति की जांच कराई जावे एवं जबरन अनुचित तरीके से सेवा समाप्त की गयी सभी सक्रिय आशाओं को बहाल किया जावे।पेंशन एवं सेवानिवृत्त लाभ लागू किये बिना आशा एवं पर्यवेक्षकों को सेवानिवृत्त न किया जावे।ड्यूटी के दौरान आशा कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित किया जावे।सभी पीएचसी, सीएचसी और अस्पतालों में सुरक्षित एवं सुविधायुक्त ‘आशा रूम’ उपलब्ध कराया जावे।पीओएसएच कानून लागू किया जाये एवं शिकायतों पर कार्यवाही सुनिश्चित किया जावे।स्वास्थ्य के लिये सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत राशि आवंटित किया जावे। स्वास्थ्य सेवाओं (सरकारी अस्पतालों)सहित सभी बुनियादी सेवाओं के निजीकरण को रोका जावे।श्रम संहिताओं को वापस लिया जावे । आशा एवं र्पवेक्षकों को श्रम कानूनों के दायरे में शामिल किया जावे।



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