आशा, ऊषा, परियोजना अधिकारी व पर्यवेक्षक ने कांग्रेस जिलाध्यक्ष एवं विधायक को सौंपा ज्ञापन
अनूपपुर
प्रदेश को हजारों आशा कार्यकर्ता केवल 2,000 रुपये मासिक का बेहद अल्प वेतन में काम करने के लिये विवश है, वह भी केन्द्र सरकार द्वारा देय हैं। राज्य सरकार आशा एवं पर्यवेक्षको को वर्षों से अपनी ओर से अतिरिक्त वेतन देकर राहत पहुंचा रही है, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार पिछले 16 वर्षों से अपनी ओर से आशा का पर्यवेक्षकों को कुछ भी नहीं दे रही है। सरकार की इस रवैये से प्रदेश की आशा ऊषा एवं पर्यवेक्षक बेहद आहत एवं आक्रोशित है। सरकार के इस रवैया के खिलाफ, न्यायपूर्ण वेतन की मांग को लेकर प्रदेश की आशा ऊषा पर्यवेक्षक लगातार संघर्ष में है, लेकिन सरकार उनका न्यायपूर्ण मांग को लगातार अनसुना कर रही है। प्रदेश को बजट से विभिन्न मदों में हजारों हजार करोड़ रुपये खर्च करने वाली राज्य सरकार, स्वास्थ्य विभाग के अभियान में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली आशा ऊषा पर्यवेक्षकों की न्यायपूर्ण वेतन से वंचित कर उनके परिवार की जिन्दगों का लगातार उपेक्षा कर रही है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, परियोजना अधिकारी और पर्यवेक्षक 15 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। हडताल के 17वें दिन 1 अप्रैल को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, परियोजना अधिकारी और पर्यवेक्षक ने राजेन्द्रग्राम में जिला कांग्रेस अध्यक्ष रमेश सिंह एवं पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदेलाल सिंह को ज्ञापन सौंप कर मांगों का निराकरण कराने का अग्रह किया। ज्ञात हो कि इनकी अनिश्चितकालीन हडताल से मासूमों के पोषण पर भारी पड़ रही है। 9 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार से आर-पार की लड़ाई अनूपपुर में 1 हजार 149 आंगनबाड़ी केन्द्र बंद होने से ना बच्चों को पोषण आहार मिल पा रहा है और ना ही गर्भवती महिलाओं को। 15 मार्च से संयुक्त मोर्चे बैनर तले परियोजना अधिकारी,पर्यवेक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका ने हड़ताल कर दी है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि 17 दिन से जारी हड़ताल पर सरकार ने कोई सुध नहीं ली है लेकिन अब वेतन बढ़ाने सहित अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार से आर-पार की लड़ाई होगी।