पंचायत विकास कार्यों हो रही हैं लीपापोती, अमृत सरोवर चढ़ा भ्रष्टाचार की भेट

पंचायत विकास कार्यों हो रही हैं लीपापोती, अमृत सरोवर चढ़ा भ्रष्टाचार की भेट


अनूपपुर/कोतमा

सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना आई जिसे अमृत सरोवर नाम दिया गया। जिस तेजी से इस योजना पर काम शुरू हुआ और सरोवरों का चयन किया गया उसे देखकर लगता था कि हकीकत में सरोवरों का उद्धार हो जाएगा परंतु दूसरी योजनाओं की भांति इस योजना में भी भ्रष्टाचार का घुन इस तरह से घुसा कि यह योजना अपने उद्देश्य से भटक गई। सरकार की मंशा थी कि अमृत सरोवरों के निर्माण से जल संचय होगा परंतु अधिकांश सरोवर सूखे पड़े हैं जिससे इस योजना का पहला मुख्य कार्य ही विफल हो गया। उधर सरोवरों को सुंदर बनाने के लिए वृक्षारोपण,पक्की सीढ़ियां,पथवे व बेंच और लाइट लगाने का काम भी प्रस्तावित था परंतु हर जगह यह सब काम भी हवा-हवाई हुआ। कुछ अमृत सरोवरों पर खुदाई होकर सीढियां बनाई गईं तो बेंच नहीं लगीं। कहीं बेंच लग गईं तो लाइट नहीं लग पाई। अधिकांश सरोवर आधे अधूरे देखे जा रहे हैं। इसके चलते यह योजना फलीभूत नहीं हो पाई।तो भला इस महत्वकांक्षी योजना का हश्र क्या होगा।

जिले के अनूपपुर जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत छोहरी में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत नवीन तालाब अमृत सरोवर का निर्माण किया गया है।वही ग्रामीणों का आरोप है कि जिम्मेदारों ने जमकर भ्रष्टाचार किया है। ग्रामीणों ने निर्माण कार्य में अनियमितता, गुणवत्ताहीन कार्य कराए जाने सहित कई गंभीर आरोप लगाए हैं।उन्होंने निर्माण कार्य की जांच वरिष्ठ अधिकारियों से कराए जाने की मांग की है।

दरअसल ग्राम पंचायत के बेलधार में अमृत सरोवर नवीन तालाब कार्य कराया गया था। जिसकी तकनीकी और प्रशासकीय स्वीकृति लगभग 15 लाख रुपए है।जिसमे मजदूरों को रोजगार न देते हुए ट्रैक्टर और जेसीबी जैसे मशीनों से कार्य कराया गया है। मनरेगा योजना के तहत स्वीकृत कार्य मजदूरों से कार्य कराए जाने का स्पष्ट उल्लेख है। दूसरी ओर मस्टररोल में फर्जी तरीके से मजदूरों के नाम दर्ज कर मजदूरी भुगतान भी किया गया है।

इसके साथ ही निर्माण कार्य के अन्य कमियों की बात करें,तो तालाब के पटल में काली मिट्टी यानि कि ब्लैक कॉटन सॉइल नहीं डाली है। बल्कि प्रमाणक बनाकर भुगतान किया है। लेयर-टू-लेयर अर्थ वर्क भी नहीं हुआ है। वाॅटरिंग करपेक्शन भी नहीं कराया गया और रोलर भी नहीं चलाया गया है।तालाब के मेढ़ में सिर्फ एक  ओर (अंदर)पिचिंग कार्य हुआ है।बाहर की ओर नही किया गया है।ग्रामीणों की माने तो इस निर्माण कार्य के जिम्मेदारों सरपंच, सचिव, इंजीनियर ने शासकीय राशि का जमकर बंदरबांट किया है। तालाब में पानी का स्टोरेज सही तरीके से नहीं हो सका है। वहीं तालाब के किनारे भाग पर कराया गया पौधरोपण भी लगभग नदारद है।

जल शक्ति अभियान के तहत जिले के जनपद पंचायतो पुष्पराजगढ़,अनुपपुर तथा कोतमा के विभिन्न कार्यों का जायजा केंद्रीय जांच दल द्वारा किया गया है।जांच दल अमृत सरोवर अभियान के तहत गांव-गांव में बनाए गए जल संरचनाओं को परख रही है। भारत सरकार के किसान कल्याण व कृषक विकास नई दिल्ली के उप सचिव वित्त सुशील पाल गहलोत तथा नेलोफर वैज्ञानिक सीजीडब्ल्यूबी नागपुर ने 22 से 24 अगस्त तक जिले में जल शक्ति अभियान के तहत किए गए कार्यों का  निरीक्षण किया था। सूत्र बताते हैंअमृत सरोवर का निर्माण सही तरीके से किया ही नहीं गया है और राशि निकाली गई है।

*इनका कहना हैं*

*जब अमृत सरोवर के संबंध में जानकारी लेने के लिए जनपद सीईओ अनूपपुर उषा किरण गुप्ता से फोन में बात करने लिए उनको कॉल किया गया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।*

*अमृत सरोवर के संबंध में जनपद पंचायत अनूपपुर के उपयंत्री नेहा सिंह को कॉल किया गया तो उन्होंने कॉल रिसीव नही किया।*

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