रिश्वत देने के बाद भी नही मिलता शासकीय योजना का लाभ 17 माह से लगा रहे हैं चक्कर
शासकीय योजना के लिए हितग्राही सालों लगाते हैं चक्कर, क्या यही है मुख्यमंत्री का जनसेवा अभियान*
इन्ट्रो- एक ओर जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री गांव के अंतिम छोर मे निवास करने वाले ग्रामीणों के लिए नित नई योजना बनाकर उन्हे विकास के पायदान पर आगे बढ़ाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं वही वे स्वयं मानीटरिंग करते हुये जिम्मेदार अधिकारियों को ईमानदारीपूर्वक कार्य करते हुये पा़त्रों का यथाशीघ्र लाभ दिलाने की नसीहत दे रहे हैं, लेकिन कुर्सी व पैसे के मोहजाल के आगे सभी नियम कायदे व नसीहत रद्दी की टोकरी मे डालकर अधिकारी कर्मचारी आज भी मनमानी पर उतारू हैं वही आम जनता कार्यालयों के चक्कर लगा लगाकर घनचक्कर हो रहा है। अधिकारियों को सिर्फ रिश्वत के पैसे चाहिये परंतु काम की बारी आने पर उनका सिर चकराने लगता है।
शहडोल/बुढ़ार
भ्रष्टाचार व लापरवाही पर अंकुश लगाने का शासन प्रशासन भरसक प्रयास कर रही है, लेकिन इस पर अंकुश नही लग पा रहा है। आकंठ तक डूबे जनपद स्तर के अधिकारियों का वेतन से मन नही भर रहा है तो गरीबों को सताकर रिश्वत लेकर अपना तोंद निकाल रहे हैं, वही गरीब ग्रामीण अपना सामान गिरवी रख अथवा उधारी लेकर अधिकारियों को पैसा दे रहे हैं, इसके बाद भी काम है कि हो ही नही रहा है। हद तो तब हो जाती है जब 20 किलो मीटर का सफर सप्ताह मे कम से कम एक बार तय कर ग्रामीण जनपद कार्यालय पहुंचते हैं और वहां से जवाब मिलता है कि आपका काम बिना पैसे के नही होगा, परंतु जनपद पंचायत बुढ़ार मे तो रिश्वत की रकम लेने के बाद भी कलम नही चल पा रही है क्योंकि जितना चाहिये उतना मिला नही और जब तक मनमाफिक रकम हाथ नही आ जायेगी तब तक कार्यवाही की कलम कैसे चलेगी।
*तालाब मे चला रिश्वत का खेल*
जिले के जनपद पंचायत बुढ़ार अंतर्गत ग्राम पंचायत बलबहरा मे आवेदक रमेश प्रसाद द्विवेदी तथा गायत्री पाव ने 27.05.2021 को ग्राम पंचायत मे मीनाक्षी तालाब योजना के लाभ के लिए बताये गये आवश्यक दस्तावेज संलग्न कर आवेदन दिये जिस पर पंचायत द्वारा कार्यवाही न करने पर जनपद पंचायत बुढ़ार के मुख्य कार्यपालन अधिकारी मुद्रिका सिंह के पास 11.06.2021 को पुनः आवेदन दिया गया, जिस पर उन्होने पर एपीओ को टीप करते हुये जल्द योजना का लाभ दिलाने का आश्वासन दिया, लेकिन इसके बाद भी योजना का लाभ नही मिल पाया। बार-बार निवेदन के बाद भी किसी प्रकार की कार्यवाही नही हुई और अंततः बरसात का समय आ गया और अब सीईओ द्वारा बरसात बाद योजना मिलने का भरोसा दिया गया, लेकिन पिछले साल मे बरसात के बाद भी काम नही हो सका जबकि इन कार्यों के लिए दर्जनों बार कार्यालय के चक्कर काटे। अंततः थक हारकर जनपद के इंजीनियर अनिल शुक्ला को मीनाक्षी तालाब का स्टीमेट बनाने के लिए 17.05.2022 पांच हजार बतौर घूंस उनके कमरा कम आफिस मे दिये गये तब जाकर उनके द्वारा एक हितग्राही रमेश प्रसाद द्विवेदी का स्टीमेट बनाकर टीएस करवाया गया, लेकिन पंचायत से एएस नही हो सका वही दूसरे हितग्राही का स्टीमेट इसलिए नही बना क्योंकि साहब का निर्देश था कि प्रति व्यक्ति कम से कम पांच हजार की रकम उन्हे चाहिये।
*कम पड़ गई घूंस*
इसी तरह राजेन्द्र गुप्ता तथा तेरसिया काछी के द्वारा कपिलधारा कूप निर्माण के लिए ग्राम पंचायत बलबहरा मे आवेदन दिया गया जिस पर काफी जद्दोजहद के बाद पंचायत द्वारा 14.04.2022 को कपिलधारा हेतु प्रस्ताव निर्णय पारित किया गया जिस पर भी दोनो हितग्राहियों ने कई बार पंचायत व जनपद कार्यालय का चक्कर लगाया। अंततः परेशान होकर इंजीनियर अनिल शुक्ला को कपिलधारा के स्टीमेट के लिए 12.05.2022 दो हजार रूपये उनके रूम मे दिये गये तथा और मांग राशि की मांग पर योजना का लाभ मिलने पर देने के लिए कहा गया, लेकिन घूंस लेने के बाद भी इंजीनियर साहब ने कार्यवाही की कलम नही चलाई, बाद मे उन्होने स्वयं कारण बताया कि आपने ऊंट के मुह मे जीरा के समान रिश्वत दी है तो कहां से काम हो, रिश्वत की राशि बढ़ायें और काम करवायें। साहब का स्पष्ट कहना था कि ‘उधार न चली’। इस संबंध मे 07 नवंबर को साहब से मिलने पर उन्होने सीधे तौर पर कह दिया कि आपकी फाइल गुम गई है दोबारा फाइल और रकम देने पर ही कार्यवाही संभव है।
*यही है ग्रामीणों का विकास*
जब शासकीय योजनाओं का प्राप्त करने के लिए अधिकारियों का मुंह इस तरह से खुलता है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि पंचायत से लेकर जनपद स्तर तक किस कदर भ्रष्टाचार हावी है। परेशान हितग्राहियों ने बताया कि उनके द्वारा इंजीनियर को रिश्वत की रकम देते समय का वीडियो भी बना रखा है जिसे जरूरत पड़ने पर अधिकारियों के सामने प्रस्तुत भी कर दिया जायेगा। उन्होने कहा कि हम नही चाहते कि अधिकारी का नुकसान हो, लेकिन वे मजबूर कर रहे हैं कि हम उनकी शिकायत करें। हमने इंजीनियर को और मांग राशि भी देने का वादा किया है, लेकिन उनके द्वारा उधारी न करने की बात कही जा रही है जबकि जो भी पैसा हमने दिया है वह किसी से उधार लेकर ही दिया है। अब पांच हजार की मांग फिर की जा रही है तो अब हम कहां से लायें, लेकिन अधिकारी मानने को तैयार नही है।
*सीईओ कुंभकर्णी नींद में*
मीनाक्षी तालाब व कपिलधारा कार्य के बाद ग्रामीणों द्वारा बार-बार मिन्नतें करने के बाद भी सीईओ के कान मे जूं तक नही रेंग रही है। इससे स्पष्ट होता है कि कहीं न कहीं उनकी भी मिली भगत है। क्योंकि पंचायत स्तर से लेकर इंजीनियर के द्वारा भी सिर्फ एक ही बात बोली जाती है कि साहब को भी कुछ देना पड़ता है तभी काम होता है नही तो काम मुश्किल है। कुल मिलाकर भ्रष्टाचार के हमाम मे सब नहा रहे हैं बस फर्क इतना है कि कोई अपने नाम से रिश्वत नही लेता। ग्रामीणों ने उनके आवेदन पर काम नही होने पर पुख्ता प्रमाण के साथ सीएम हेल्पलाइन तथा जिला स्तर के कार्यालयों मे शिकायत की बात कही है। परेशान हितग्राहियों ने कहा कि बार बार निवेदन तथा इस हेतु पैसे देने के बावजूद आज तक न तो पंचायत स्तर से किसी प्रकार का सहयोग किया जा रहा है और न ही जनपद स्तर से कार्यवाही की जा रही है।
*मुख्यमंत्री जन-सेवा अभियान दिखावा*
एक ओर ग्रामीण अपनी समस्या लेकर दर बदर भटकते हुये कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री जन-सेवा अभियान को जनता की जिंदगी बदलने का अभियान बताते नही थक रहे हैं। उनका कहना है कि मेरा मकसद है नागरिकों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाना पड़े। पंचायत स्तर पर लगने वाले शिविर में ही उनको शासन की योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ मिले। ऐसे मे मुख्यमंत्री के निर्देश हवा मे उड़ रहे हैं। अधिकारियो ने नियम कानूनों की तिलांजलि देकर उसे रद्दी की टोकरी मे डाल दिया है। ऐसे मे विकास के काम के साथ हितग्राही मूलक योजनाओं के लाभ के लिए सभी मिल कर काम करने और लोगो की जिंदगी में बदलाव लाने का मुख्यमंत्री का सपना सिर्फ सपना ही रह जायेगा।
