करूँ नमन किन शब्दौं मैं, मन कर रहा है कुछ लिखूं मैं, पर कलम नहीं चल रही है- वंदना खरे

🙏विनम्र श्रद्धांजलि🙏

करूँ नमन किन शब्दौं मैं, मन कर रहा है कुछ लिखूं मैं, पर कलम नहीं चल रही है- वंदना खरे


अनूपपुर

शब्दों का जैसे अकाल पड़ गया है। माना था सभी ने कि आप हैं साक्षात सरस्वती कल जाकर आपने साबित भी कर दिया। कि आप ही थी साक्षात सरस्वती  देवी। दुनिया के हर कोने से संवेदनाओं का लग गया तांता । सभी दुखी थे, दुखी हैं । तिरंगा भी रोया था कल, रोया वह भारत रत्न सम्मान भी, जो आपने पाया था। मन को शांति देने के लिए, शांत करने के लिए कोई आपके गाने सुन मन को हल्का कर रहा था। कोई आंसू बहा कर गम बांँट रहा था । कोई आपको याद कर कविता- गीत कह रहा था ।पर आपने सरस्वती पूजा कर विदा ले ली, और इस दुनिया से साक्षात सरस्वती रुखसत हो गई।😭 जगत कल सूना हुआ, हर आंख रोई ,हर दिल धड़का ,गमगीन आंखों से मांँ को दीदी को दी गई विदाई।

*आप इस दुनिया में कब आएंगे वापस यह सवाल है* अब सभी के मन में ! आएगी जरूर, यही विश्वास है। सभी को आपके आने का इंतजार है।

*में आपकी नन्ही सी बेटीआपके इंतजार में*✍️🙏💐😭 


*वन्दना खरे मुक्त चचाई अनूपपुर*

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