लॉकडाउन खोलने का दोहरा आदेश व्यपारियों के लिए बना असमंजस्य- आशुतोष सिंह
अनूपपुर/पुष्पराजगढ़
पुष्पराजगढ़ में बीते दिनांक 30 मई दिन रविवार को ब्लाक आपदा प्रबंधन की बैठक का आयोजन एसडीएम अभिषेक चौधरी के नेतृत्व में जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ के सभागार किया गया, जिसमे 1 जून से लाकडाउन खोलने के प्रथम चरण के रूप में नियम बनाए गए हालांकि इस बैठक पर सोशल मीडिया सहित अन्य प्लेटफार्म से सवाल खड़ा किया गया, जिसकी मुख्य वजह बैठक में सिर्फ प्रसासनिक अधिकारियों की उपस्थिति रही, चंद लोगों द्वारा लगभग 2 माह से आपदा झेल रहे लोगों के लिए बन्द कमरे से बिना उनकी सहमति निर्णय लिया जाना कितना न्याययोचित है जैसे सवाल लोगों ने खड़ा किया। लिए गए निर्णय उपरांत 30 मई से शुरु हुए विरोध का ड्रेमेज कंट्रोल के लिए पुनः 31 मई को एक बार फिर ब्लाक स्तरीय आपदा प्रबंधन की बैठक का आयोजन जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ के सभागार में किया गया, इस बार पूर्व की बैठक पर न बुलाए जाने से सवाल खड़े करने वाले व्यपारिक प्रतिष्ठानों के प्रतनिधि मण्डल, प्रदेश सरकार के विपक्ष दल के नेता व पत्रकारों को औपचारिक रूप से आमंत्रित किया गया किंतु लिए गए निर्णय पूर्वत रहे।
ऐसे में यदि कहा जाए कि बैठक महज दिखावा थी तो शायद अतिशयोक्ति नही कहलाएगी।
किंतु असल कहानी जो इस निर्णय और जिला कलेक्टर के आदेश के बाद उपजी वह व्यापारिक के लिए परेशानी के साथ असमंजस का विषय बनी वह है। पुष्पराजगढ़ एसडीएम अभिषेक चौधरी के नेतृत्व में जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ में 31 मई की शाम 4 बजे लिया गया निर्णय और अनूपपुर जिला कलेक्टर सोनिया मीणा के द्वारा जारी आदेश भिन्न भिन्न हैं।
अब व्यापारी किस निर्णय/आदेश को सही माने और किसे गलत यह असमंजस्य का विषय बना हुआ है। इन दोनों आदेश से यह बात भी स्प्ष्ट होती है कि प्रशासन का आपस मे ही तालमेल आदेशों को लेकर नही है, महज तामीली के लिए क्षेत्र में पुष्पराजगढ़ तहसील कार्यालय के सामने प्रशासन द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों की तैनाती कर रेडक्रास की रसीद पिछले 2 माह से कटवा आपदा से भी धन का प्रबंधन किया जा रहा है, जो आज भी बदस्तूर जारी है। बहर हाल यह प्रशासन का आंतरिक मामला है किंतु खण्ड के किरगी ग्राम पंचायत के रहवासी जिला कलेक्टर या एसडीम में से किसका आदेश 1 जून से मानेंगे यह सोचनीय प्रश्न ही नही असमंजस्य भी बना हुआ है। यंहा एक बात का उल्लेखित करना आवश्यक है कि पुष्पराजगढ़ की अधिकांश जनता अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा अशिक्षित मानी जाति है और इस जंनता को एसडीएम व कलेक्टर के पदों व अधिकार में अंतर करना नही आता उसके लिए हर सरकारी कर्मचारी साहब और जिस कर्मचारी को यदा कदा देखने को मिले उसे बड़ा साहब माना जाता है। 1 जून 2021 से देखना होगा साहब कौन बनता है और बड़ा साहब कौन साबित होता है। शेष डंडे भांज कर नियंत्रण करवाने के लिए एक व्यवस्था प्रशासन के पास पहले से ही बनी हुई है और उनके साथ रेडक्रॉस की रसीद बुक जो अपना चाबुक चला जायज न जायज पैसे वसूल ही लेती है।