झोला छाप डॉक्टरों की बल्ले-बल्ले, वसूल रहे मोटी रकम नही जाग रहा प्रशासन
अनूपपुर/राजनगर
एक ओर जहां कोविड-19 जैसी महामारी से पूरा देश जूझ रहा है ठीक इसके विपरीत कोयलांचल क्षेत्र राजनगर में इन दिनों झोलाछाप डॉक्टरों के द्वारा सर्दी जुखाम में वही पुरानी दवाइयां जैसे पेरासिटामोल 1 या 2 सिरप देकर लोगों से एक अच्छी खासी मोटी रकम अएठी जा रही है जिसका जीता जागता उदाहरण राजनगर के सीआरओ कलोनी में देखा जा सकता है जिसे प्रशासन के द्वारा कल दिनांक 04 मई को आदेश जारी कर कंटेनर जोन क्षेत्र घोषित किया गया वही राजनगर में हो रही मौतों का भी सिलसिला लगातार जारी है पिछले दो-तीन दिनों से रोजाना देखा जाए तो चार से पांच मौतें हो रही हैं और जो लोग स्थानीय झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा ले रहे हैं ऐसे ही लोगों की मौतें भी हो रही हैं और प्रशासन को शायद इसका पता नहीं होता है
*आखिर ऐसी स्थिति क्यों हो रही निर्मित*
कहने को तो रामनगर थाना अंतर्गत तीन नगर पंचायतें एवम 10 ग्राम पंचायतें आती हैं जिसमें सबसे बड़ी आबादी वाला क्षेत्र नगर पंचायत बनगवां है जिसे देखते हुए प्रशासन द्वारा राजनगर खेलग्राम 25 बेड के बिस्तर की व्यवस्था कराई जा रही है और यह तैयारी पूरी भी कर ली गई है जिसका लोगों को बेसब्री से इंतजार भी है लेकिन शायद यह बिस्तर प्रशासन के द्वारा एक दिखावा सा साबित हो रहा है जिसके कारण लगातार क्षेत्र में मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है लेकिन प्रशासन के द्वारा राजनगर खेलग्राम में 25 बेड का बिस्तर तो तैयार कर लिया गया और करो ना जांच की भी बात कह कर तैयारी कराई गई लेकिन यह तैयारी केवल एक दिखावा जैसी साबित हो रही है जिसके कारण यह मौतें भी हो रही है अगर प्रशासन के द्वारा खेल ग्राम में कोरोना मरीजों की जांच होती तो शायद यह मौतों का आंकड़ा ऐसा नहीं होता या यूं कहें कि सी आर ओ कालोनी को जो आज कंटेनर जोन घोषित किया गया यह भी नहीं होता क्योंकि यहां पर अधिकांश मरीज आमा खेरवा छत्तीसगढ़ की ओर प्रस्थान करते हैं लेकिन आमा खेरवा में केवल एसईसीएल कर्मचारियों को ही एडमिट किया जा रहा है प्राइवेट लोगों को नहीं जिसके कारण प्राइवेट मरीज वहां से अपने घर की ओर प्रस्थान कर रहे हैं
*वही जनप्रतिनिधि व अन्य संगठन के लोगों ने फेरा मुह*
वही कहने को तो नगर पंचायत बनगवां राजनगर, डूमर कछार एवं डोला को प्रशासन के द्वारा नगर पंचायत बना दिया गया है लेकिन यह पंचायतों को नगर पंचायत बना देना और इसको भी जैसी महामारी से सामाजिक संगठनों का लुप्त हो जाना यह साफ दर्शाता है कि केवल चाहे वह कांग्रेस के लोग हैं या बीजेपी के लोग हैं या अन्य किसी भी संगठन के लोगों के द्वारा केवल यहां की जनता से वोट की जरूरत होती है तभी तो सभी संगठन जनप्रतिनिधियों ने यहां के स्थानीय लोगों से मुंह फेर लिया है
अब देखना यह होगा कि क्या इन झोलाछाप डॉक्टरो पर प्रशासन कोई ठोस कार्रवाई करती हैं या इसी तरह यहां की नगर की जनता को मरता हुआ देखा जाएगा यह बड़ा सवाल नगर की जनता का प्रशासन से है