मनमानी राज के शिकार से पंचायतों से पंचों का मोह भंग, पंचायत के उप सरपंच ने दिया पद से इस्तीफा
मनमानी राज के शिकार से पंचायतों से पंचों का मोह भंग, पंचायत के उप सरपंच ने दिया पद से इस्तीफा
*सरपंच, सचिव को मोहरा बनाकर इंजीनियर से लेकर जिला पंचायत तक भ्रष्टाचार*
उमरिया
बिरसिंहपुर पाली के अंतर्गत गांव को सुंदर, सुविधा युक्त बनाने के सुखद सपनों को संजोये पंच पद के लिए चुनाव लडने वाले लाखों लोगों और उनमें से चुनकर पंच बने हजारों पंचों के सपने आज टूट कर चूर - चूर हो रहे हैं । इन पंचों में सर्वाधिक संख्या नव युवकों की होती है , उनके मन में पंचायत राज अधिनियम के तहत सर्वांगीण ग्राम की परिकल्पना होती है , और उस आधार पर भारत की आत्मा गांवों में बसती है । सचमुच में कहा जाये तो पंच का चुनाव लोकतंत्र का सबसे कठिन और जोखिम भरा चुनाव होता है और जीतने के बाद पंच की कड़ी अग्नि परीक्षा का, वह उन लोगों की आशा की किरण लेकर पंचायत में पहुंचता है , जहां से विकास के व्दार खुलते है । लेकिन वर्तमान दौर में जो परिस्थितियों ने करवट बदली हैं वह पंचायत राज के ताने बाने को बिखेर कर रख दिया है । वर्तमान में ग्राम पंचायतों की स्थिति यह बन गयी है कि सरपंच और सचिव ग्राम पंचायत के मुखिया होते हैं , पंचों की भूमिका नगण्य बनी हुई है । अधिकांश ग्राम पंचायतों में हर माह होने वाली पंचों की बैठकें आयोजित नहीं की जाती । मासिक बैठक में पंचों को विकास कार्यों की जानकारी , पंचायत में कितनी राशि कब और किस मद में प्राप्त हुई की भी जानकारी नहीं दी जाती । ऐसे भी ग्राम पंचायत सामने आयी है कि जहां पर शासकीय धन राशि का आहरण तो नियमित रूप से किया जा रहा है परन्तु पंचों की बैठकें कभी आहुत ही नहीं की जा रही । यह कपोल कल्पित बातें मन की कोरी उपज नहीं है ,यह वास्तविक धरातल की सच्चाई है , और ऐसी ही शिकायत लेकर पंच गण, जनपद सदस्य, और जिला पंचायत के सदस्य संबंधित कार्यालयों में चक्कर लगाते देखें जा रहे हैं । इन सबसे जुझते, लड़ते ,हारते, पंचायत प्रतिनिधियों का मोह भंग हो गया है और पंचायत राज अधिनियम से ऊब कर उससे पीछा छुड़ाते देखें जा रहे हैं ।वह करें तो करें क्या उनके पास न तो मनमानी राज पर अंकुश लगाने की शक्ति है और न उनसे लडने के लिए इतना पैसा की हर दिन शिकायत लेकर जिला प्रशासन के आगे बेबस खड़े होकर लड़ाई लड़ें और विजय हासिल करें , जिससे वह नामुराद व्यवस्था से अब थक हार कर अपने पद से इस्तीफा देकर अपनी जबाब देही से मुक्त होना चाहते हैं । हो भी क्यों न ? पंचायत राज का विकृत स्वरूप इतना घिनौना हो गया है ,जो सरपंच, सचिव को मोहरा बनाकर इंजीनियर से लेकर जिला पंचायत के मुखिया तक के लिए भ्रष्टाचार करने के लिए एक माध्यम बने हुए हैं । भ्रष्टाचारियों की प्रमाणिकता के साथ लाख शिकायत जिला पंचायत के मुखिया से करते रहिये , अगर सचिव में तजुर्बा है तो उसका रत्ती भर नुकसान नहीं होगा । जिला पंचायत से ही भ्रष्टाचार की जड़ों में खाद पानी देकर उसकी फसल उगायी जा रही है ।
ताज़ा मामला उमरिया जिले के पाली जनपद पंचायत पाली के सुंदर दादर से प्रकाश में आयी है जहां पर वार्ड नं 2 के पंच लालमन सिंह जो की पंच के साथ ही उपसरपंच का दायित्व सम्हाल रहें हैं , जब 15 सितम्बर 2025 की पंचायत बैठक में भाग लेने गये और उन्होंने ग्राम पंचायत से जुडी जानकारियां लेना चाहा तो वहा पर संबंधित सचिव के व्दारा जानकारी नहीं दी गई , उपसरपंच की बात को अन्य पंचों ने भी सही ठहराया और जानकारी मांगते रहे,पर उनकी एक नहीं सुनी गई । ग्राम पंचायत संबंधित जानकारी न मिलने से लालमन ने व्यवस्था से क्षुब्द होकर अपने पद से त्यागपत्र ग्राम पंचायत के सचिव को निर्देश जारी दे दिया है । आज उपसरपंच लालमन सिंह जनपद पंचायत पाली पहुंच कर मुख्य कार्यपालन अधिकारी को मिलकर त्याग पत्र देना चाहते थे , लेकिन मुख्यालय में मुख्य कार्यपालन अधिकारी के न होने के कारण उन्होंने अपना त्यागपत्र आवक जावक में देकर पंच पद को अलविदा कह दिया है ।
देखना दिलचस्प होगा कि उप सरपंच लालमन सिंह के त्याग पत्र पर जिला पंचायत क्या निर्णय लेता है , क्या अव्यवस्थाओ के शिकार पंचों को उनका अधिकार दिलाने आवश्यक कदम उठायेंगी की पंच पद का इस्तीफा मंजूर कर पंचायतों की मनमानी को एक हाथ और बढ़ा देंगी ।