दबंग पब्लिक प्रवक्ता

लाड़ली लक्ष्मी पार्क बना ‘नशे और गंदगी का अड्डा’, बच्चों की जगह शराबियों का कब्जा

*सुरक्षा से खिलवाड़, जिम्मेदार मौन*


अनूपपुर

जिला मुख्यालय का हृदय स्थल पर स्थित लाड़ली लक्ष्मी पार्क आज विकास नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और शर्मनाक अव्यवस्थाओं की जीती-जागती मिसाल बन चुका है। जिस पार्क को बच्चों की हंसी और परिवारों की सैर के लिए बनाया गया था, वहां आज गांजा, शराब, सिगरेट और गुटखा खुलेआम बिखरा पड़ा है।

*पार्क या नशाखोरी का अड्डा?*

पार्क परिसर में गोगो का पैकेट (गांजा पीने के लिए), देसी दारू और अंग्रेजी शराब की खाली बोतलें, सिगरेट के पैकेट, जली हुई सिगरेट, जला हुआ माचिस, और गुटखा-पान मसाला साफ-साफ बताते हैं कि यहां रात नहीं, दिन में भी नशे का खेल चल रहा है। सवाल यह है कि नगर पालिका और प्रशासन की नजरें आखिर कहां हैं?

*बच्चों की सुरक्षा से खुला खिलवाड़*

बच्चों के लिए लगे झूले टूटे पड़े हैं, बैठने की कुर्सियां जर्जर, और चारों ओर सूखा-गीला कचरा फैला हुआ है। कचरा दानियां खुद कचरे का ढेर बन चुकी हैं। यह हालात किसी बड़े हादसे को न्योता नहीं तो और क्या है?

*‘I Love Anuppur’ भी टूटा हुआ*

शहर की पहचान का प्रतीक “I Love Anuppur” आज खुद टूटी-फूटी लाइटों और जर्जर ढांचे के साथ प्रशासन की असफलता का पोस्टर बन गया है। जो चीज़ शहर की शान होनी चाहिए, वही आज शर्म का कारण बन चुकी है। न सुरक्षा, न सफाई, न जवाबदेही, न सुरक्षा गार्ड, न सीसीटीवी निगरानी, न नियमित सफाई, न मरम्मत कार्य बस ।शाम होते ही असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लग जाता है, जिससे महिलाएं और परिवार पार्क में कदम रखने से डरने लगे हैं।

*प्रशासन से तीखे सवाल*

क्या लाड़ली लक्ष्मी पार्क को जानबूझकर नशेड़ियों के हवाले छोड़ दिया गया है? किसी हादसे के बाद ही प्रशासन जागेगा क्या?क्या यह सब कुछ ऊपर तक मिलीभगत से चल रहा है? पार्क में तत्काल 24×7 सुरक्षा गार्ड और सीसीटीवी लगाए जाएं। नशाखोरी पर सख्त कार्रवाई और रोज़ाना पुलिस पेट्रोलिंग। टूटे झूले, कुर्सियां, लाइट तुरंत बदली जाएं। दैनिक सफाई व्यवस्था और कचरा प्रबंधन।

अनूपपुर के जिम्मेदार अफसरों के लिए यह खबर चेतावनी है। अगर अब भी आंखें बंद रहीं, तो यह पार्क बच्चों के लिए नहीं, नशे और अपराध का स्थायी ठिकाना बन जाएगा। अब सवाल सिर्फ अव्यवस्था का नहीं, प्रशासन की नीयत और जवाबदेही का है।

बच्चों की थाली के जूठन से बढ़ रही समूहों की चमक, कागजी साबित हो तो रहा मध्याह्न भोजन 


उमरिया/ बिरसिंहपुर पाली 

सरकार की महत्वपूर्ण मीड डे मील 15 अगस्त 1995 से लागू कर शासकीय विद्यालयों में अध्ययन रत छात्राओं की उपस्थिति बढाने और कुपोषण से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से लागू किया गया था, जिस पर सरकार आज भी करोड़ों रूपयों का व्यय कर योजना संचालित कर रखी है लेकिन योजना से शासकीय विद्यालयों में अध्ययन रत छात्र- छात्राओं को कितना लाभ  हुआ वह आज भी परदे के पीछे ही छिपा हुआ है। विद्यालयों में सुरूचि पूर्ण पोषक युक्त भोजन के लिए सरकार योजना में हर माह बेहिसाब धन व्यय कर रहा है परन्तु उन नौनिहालों कि सूरत जस की तस बनी हुई है जिनके लिए यह महती योजना को संचालित किया जा रहा है।  दशकों व्यतीत हो जाने के बाद भी इन छात्राओं के जीवन स्तर पर कोई सुधार दिखाई नहीं दे रहा है,अलबत्ता बच्चों को मंध्यांह भोजन देने वाले समूहों की सेहत में जरूर सुधार दिखाई दे रहा है, और उनकी चमक दिन दोगनी रात चौगुनी बढती जा रही है।विद्यालयों में भोजन की योजना लागू करने के पीछे सरकार की मंशा थी कि बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्तर पर सुधार दर्ज किया जायेगा। देश भर के शासकीय विद्यालयों में अध्ययन रत बच्चों के अध्ययन में पाया गया था कि बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित रहते हैं, जिससे उनका विकास आवश्यकता से कम हो रहा है, जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सकें जिससे विद्यालयों में भोजन प्रदान करने की योजना चलाई गयी थी। यह योजना 15 अगस्त 2025 को तीन दशक पूरे कर चौथे दशक में प्रवेश कर गया लेकिन जो लाभ मिलना था वह समूहों तक आकर लटक कर रह गया है।यद्यपि विद्यालयों में चलने वाले इस सु पोषित भोजन योजना का सभी जगह बुरा हाल है, विद्यालयों में कभी भी,कहीं भी मीनू के अनुरूप बच्चों को नहीं परोसा जा रहा है तथापि  उमरिया जिला तो इस मामले में ज्यादा ही फिसड्डी दिखाई दे रहा है  । पिछले दिनों जिले के विद्यालयों का भ्रमण कर विद्यालयों में बच्चों का अध्ययन करने पर पता चलता है की यह योजना वर्तमान में खानापूर्ति का रूप धारण कर कागजों में ही शत प्रतिशत संचालित हो रही है। आदिवासी   विकासखंड पाली के विद्यालयों में संचालित समूह संचालक राजनैतिक दलों के सहारे इस योजना को बट्टा लगा रहे हैं । वह विद्यालयों की बजाय भाजपा की बैठकों और विधायकों के पिछलग्गू बनकर इस योजना से ठाठ के साथ मौज उडाते देखे जा सकते हैं। माध्यमिक विद्यालय नया मंगठार विद्यालय  में भ्रमण करने पर पाया गया की पिछले तीन दिनों से विद्यालय में भोजन नहीं बन रहा। बनता भी है तो उसमें मीनू का पालन नहीं किया जाता। माध्यमिक विद्यालय नया  मंगठार जमीनी हकीकत को बया करने के लिए हांडी के दो दाने है, कमोवेश यह स्तिथि पूरे जिले की है जहाँ पर मंध्यांह भोजन के सहारे बच्चों का कम समूहों का विकास ज्यादा हुआ है। वर्तमान परिवेश में मंध्यांह भोजन की राशि सीधे राज्य सरकार द्वारा सीधे भोपाल से हस्तांतरित की जाती है , जिससे विकास खंड स्तरीय निगरानी समिति को समूह संचालक ठेंगे में रखते हैं। विद्यालय के शिक्षक और निगरानी करने वाले इसी बात के शुक्र गुजार है की कम से कम विद्यालय में चूल्हा तो जल रहा है जो खिलाना है खिलाये ।पाली विकास खंड के अमिलिहा विद्यालय में संचालित समूह तो जिला प्रशासन के नाक में दम करके रख दिया था।आज भी वहाँ के समूह संचालक कमिश्नर के यहाँ प्रकरण दायर कर मंध्यांह भोजन की बागडोर लेने की कोशिश में डाटा हुआ है।

सवाल यह भी है कि जिन बच्चों के समग्र विकास के लिए यह योजना क्रियांवित की गयी थी वह आज गौण होकर  नाम मात्र की रह गई है और उसके स्थान पर स्व सहायता समूहों का विकास जारी है। होना यह चाहिए की छात्राओं के समग्र विकास के साथ समूहों का विकास होता तो इस पर कदापि किसी को कोई आपत्ति नहीं होती लेकिन समूह तो इन नौनिहालों के थाली के जूठन पर मुंह मारकर अपनी चमक बढाने में तुले हुए हैं।

मालगाड़ी से कोयला चोरी करते युवक को लगा हाईटेंशन लाइन का करेंट हुई मौत


अनूपपुर

जिले के रामनगर थाना अंतर्गत कोयला चोरी कर रहे युवक की हाई टेंशन लाइन की चपेट में आने से मृत्यु हो गई। पंचनामा कार्यवाही कर शव को पोस्टमार्टम हेतु पीएचसी बिजुरी भेजा दिया।

थाना प्रभारी सुमित कौशिक ने बताया कि कोयला कालरी मालगाड़ी कोयले से भरी खड़ी थी इस दौरान 30 वर्षीय सूरज खैरवार पुत्र राजकुमार खैरवार निवासी बनगांव रेलवे वैगन के ऊपर कोयला उतारने के लिए चढ़ा था। तभी हाईटेंशन वायर के सम्पर्क में आने से करंट लगने से मृत्यु हो गई। बताया जाता हैं कि मृतक 12 बजे अपने घर से साइकिल लेकर कोयला लेने गया था। दोपहर 3 बजे के लगभग मालगाड़ी में शव देखा गया।

घटना की खबर मिलते ही महाप्रबंधक हसदेव मनोज विश्वनोई मौके में पहुंचे और मृतक निर्धन परिवार का था जिस पर मानवीय संवेदना प्रकट करते हुए मृतक के परिजनों को 50 हजार रुपये की आर्थिक मदद के साथ भाई को निजी ठेकेदार के पास काम दिलाये जाने की बात कहीं।

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