दबंग पब्लिक प्रवक्ता

हरनाम सिंह, मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ की राज्य कार्यकारिणी के ऊर्जावान सदस्य, लेखक, समालोचक हैं। इन्होंने गिरीश पटेल की पुस्तक “तब मैं कविता लिखता हूँ” को पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, इसे आप भी पढ़िए।

                                             -आनंद पाण्डेय 

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*अविभाजित काव्य चेतना का सहज कवि गिरीश पटेल*

————————————————-पुस्तक- “तब में कविता लिखता हूं" पर पाठकीय टिप्पणी*

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              गिरीश पटेल उस शख्सियत का नाम है जिसने व्यक्तिगत अनुभव, अनुभूतियों के माध्यम से समाज में व्याप्त विसंगतियों को अपनी रचनाशीलता के माध्यम से उठाया है। इस काव्य संग्रह को पढ़ने की सिफारिश जिन साहित्यकारों, ने की उनमें गौहर रज़ा, कुमार अंबुज, उदय प्रकाश, सेवा राम त्रिपाठी के अलावा डॉक्टर सुखदेव सिंह सिरसा भी हैं। जिसके चलते पुस्तक पढ़ने की जिज्ञासा बढ़ गई।

             अपनी शुभकामनाओं में डॉक्टर सिरसा ने कहा बे- मकसद शायरी गुनाह की तरह होती है। सांप्रदायिक नफरत हजूमी हिंसा और बाजार के आतंक ने हमारी संवेदना को सुन्न कर दिया है। आज प्रश्न एक चीख और उत्तर मौन में तब्दील हो गए हैं। इसी मौन को मुखर करने का माध्यम गिरीश पटेल का काव्य संग्रह *तब मैं कविता लिखता हूं* के रूप में सामने आया। 200 प्रृष्ठों में सिमटी सौ कविताएं गांव के गलियारों से होती हुई अंतरराष्ट्रीय फलक को छूती है।

               पुस्तक पढ़ने का प्रारंभ गौहर रज़ा साहब की पसंद की कविता *कौन हैं वे लोग*  से की जिसमें कोविड काल में सैकड़ो मीलों के अंतहीन फांसले  नापते उन मेहनतकशों की पीड़ा है, जो रातों-रात खानाबदोशों की कतार में खड़े कर दिए गए थे। कवि पूछता है कि आखिर किस अपराध की सजा भुगती  उन्होंने ? लेकिन जिस कविता को मैंने पसंद किया वह गिरीश पटेल की पहली कविता है जो उन्होंने 19 वर्ष की आयु में लिखी थी,*ऐ मॉं तेरे बिन* बेहद भावपूर्ण कविता जिसने अंतर्मन को भिगो दिया।

               *तंन्द्रा* कविता में वर्तमान समय की चुप्पी को मुर्गे की बांग के माध्यम से तोड़ा गया है। मुर्गा बांग देता रहा लोग सोते रहे। कविता *बहुत बड़ी चादर* में कोविड काल के दौरान लाशों के ढेर ही नहीं व्यापम की काली करतूतें, बिकाऊ मीडिया, बाबाओं का अधःपतन, कलबुर्गी, गौरी लंकेश की हत्या, पुरस्कार लौटाते लेखकों का सम्मान, ईवीएम की बाजीगरी, पुलवामा के शहीद सैनिकों के लाशें सभी ढक दिए गए हैं। राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए ज़मीर बेचते जज की लोलुपता कवि की नजर से नहीं बच सकी। पाकिस्तान के कायदे आजम जिन्ना को संबोधित करते कवि कहता है "कभी तुमने जो नफरत के बीज बोए थे मुसलमानों में, अब हम उसे बो रहे हैं हिंदुओं के दिल में।

            *सौंदर्य की प्रतिमा* का बिंब फटी बिवाई से गुजर कर गृहणी की दिनचर्या में अनंतहीन थकावट के रूप में सामने आता है। धन कुबरों की मुनाफे की हवस पर *और में चुप रहूं* कविता में कवि कहता है कि "तुम्हारा बस चले तो हवाओं को रोक दो, सूर्य को कर दो स्विच ऑफ, तुम चाहो तो बेचो सवेरा, और जिसे चाहो दे दो रात। *नज़रिया* कविता में आत्म अवलोकन करते कवि मानता है "जिस दिन लेखनी आंसुओं के मूल्य को आंक सकेगी, उस दिन लेखन धन्य हो जाएगा। संग्रह में किसानों के पसीने के साथ बैलों की मेहनत को भी स्वीकारा गया है। *चाहत* कविता में कवि मरणोपरांत वृक्ष बनने की कामना करता है। 

              कुछ कविताएं व्यंग्य शैली में भी लिखी गई है। *बेरोजगारी*,*दायित्व निर्वाह* इसी श्रेणी की कविताएं हैं। शीर्षक कविता *...तब मैं कविता लिखता हूं* का प्रारंभ तो मन की उमंग से होता है, आगे चलकर किसानों के दर्द से होते हुए कवि बताता है जब गुंडे राज चलाते हैं तब मैं कविता लिखता हूं। करोना काल को गिरीश जी ने शिद्दत के साथ याद रखा है। कई कविताओं में उस काल के हर पहलू से टटोलना का प्रयास किया गया है। सामाजिक राजनीतिक विसंगतियों पर सचेत करते हुए कविता *पौ फटने से पहले* मैं कवि कहता है यदि पकड़ना हो साजिश के सूत्र तो, उठना होगा मुंह अंधेरे पौ फटने से पहले। संगठन की ताकत को कविता *थोथा चना* में रेखांकित किया गया है।

               गीत अध्याय में पहला ही गीत *जोड़ सको तो जोड़ो* में कवि झूठें डर अहम् और धार्मिक विद्वेष को तोड़ने का आह्वान करता है। अफ्रीकी देशों में से चीता आगमन को जिस तरह उत्सव और उपलब्धि प्रचारित किया गया गिरीश जी चुटकी लेते लिखते हैं "चीते के आने से देश संवर जाएगा... भूखा पेट भर जाएगा"।

              कुल मिलाकर अपने समय को आइना दिखाती कविताएं नए प्रतीक और बिंब की मांग करती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि भविष्य की कविताओं में कुछ और नए प्रयोग देखने को मिलेंगे।


 हरनाम सिंह

महिला की हत्या व दुष्कर्म का हुआ खुलासा, आरोपी को पुलिस ने किया गिरफ्तार


उमरिया

जिले के पाली थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम बंधवाबारा में महिला का शव संदिग्ध हालात में मिलने के मामले में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। जिस घर से शव बरामद हुआ था, उसी घर के मालिक राजकुमार गोड को पुलिस ने आरोपी के रूप में गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी के विरुद्ध हत्या एवं दुष्कर्म का प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है।

इस संबंध में एसडीओपी एस.सी. बोहित ने जानकारी देते हुए बताया कि 20 दिसंबर को आरोपी राजकुमार गोड मृतिका अमशिया बैगा (45 वर्ष), पति सोहन बैगा को अपने घर साफ-सफाई के बहाने लेकर गया था। इसी दौरान आरोपी द्वारा महिला के साथ यौन उत्पीड़न (दुष्कर्म) किया गया, जिसके बाद उसकी हत्या कर दी गई,एसडीओपी ने बताया कि पुलिस द्वारा आरोपी को हिरासत में लेकर गहन पूछताछ की गई, जिसमें उसने दुष्कर्म और हत्या की वारदात को कबूल कर लिया है। आरोपी के बयान और जुटाए गए साक्ष्यों के आधार पर उसके विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं में हत्या एवं दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया है।

गौरतलब है कि महिला का शव आरोपी के ही घर में मिलने से शुरू से ही मामला संदेह के घेरे में था। घटना के बाद गांव में भारी आक्रोश और सनसनी फैल गई थी। पुलिस ने मौके पर एफएसएल टीम को बुलाकर साक्ष्य संकलन कराया था, जिसके बाद जांच की कड़ियां जुड़ती चली गईं। फिलहाल आरोपी पुलिस हिरासत में है और आगे की कानूनी कार्रवाई जारी है। इस जघन्य वारदात के खुलासे के बाद गांव में दहशत का माहौल है, वहीं पुलिस पूरे मामले में सख्ती से कार्रवाई कर रही है।

जुआ फड़ में पुलिस ने मारा छापा, 36 लाख का मशरूका हुआ जप्त, 7 लोग हुए गिरफ्तार


शहडोल

सिंहपुर क्षेत्र से जुआ खेल रहे सात जुआरियों को पुलिस ने पकड़ा है। जुआरियों के कब्जे से हजारों रुपए नगद,तीन लग्जरी कारे एवं मोबाइल फोन जप्त हुआ है। कुल मशरूका 36 लाख से अधिक का है।केलमनिया डैम के पास यह जुआ फड़ संचालित हो रहा था। तभी मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने यह कार्यवाही की है।

पुलिस ने बताया कि सिंहपुर थाना क्षेत्र के केलमनिया डैम के पास जुआ फड़ संचालित हो रहा था।तभी पुलिस को मुखबिर की सूचना मिली। और पुलिस ने घेराबंदी कर जुआरियों को पकड़ लिया है। पकड़े गए जुआरियों में दिलीप सोनी, आशिफ अली, रज्जू पटेल, सिराज उल्ला खान, राजेश जेठानी, वीरेंद्र मिश्रा, अजीत दसवानी, शामिल है।

पुलिस के अनुसार जब टीम ने जुआ फड़ पर दबिश दी तो कुछ जुआरी मौके से अंधेरे का फायदा उठा कर भागने में सफल हुए,उन पर भी पुलिस ने मामला दर्ज किया है। पुलिस ने कहा फरार होने वाले जुआरियों में राम जी शर्मा निवाशी सिंहपुर, सुनील पटेल, संजय पटेल, निवाशी केरहा एवं फरीद खान, तरवेज खान खैरहा शामिल है।

थाना प्रभारी एम एल रहगडाले के अनुसार जुआरियों के कब्जे से नगद 27 हजार रुपए तीन फोर व्हीलर  वाहन जिसमें एम पी 18 जेड जी 8864 क्रेटा काले रंग की, एम पी 13 जेड टी 6472 आर्टिका सफेद रंग, एम पी 18 सी 7202 स्कार्पियों सफेद रंग की एवं 9 नग मोबाईल कुल मशरूका की कीमत छत्तीस लाख सतरह हजार रूपये है। पुलिस ने बताया कि सभी जुआरियों पर 13 जुआ एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। सात पकड़े गए है। फरार पांच की तलाश जारी है।

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