दबंग पब्लिक प्रवक्ता

प्रकरण का निराकरण नही करने पर मत्स्य विभाग पर कलेक्टर ने लगाया 5 हजार का जुर्माना


अनूपपुर

जिला स्तरीय जनसुनवाई कार्यक्रम मंगलवार को कलेक्ट्रेट स्थित नर्मदा सभागार में आयोजित किया गया। कलेक्टर हर्षल पंचोली ने 41 आवेदनों पर जनसुनवाई करते हुए संबंधित विभागों के अधिकारियों को निराकरण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी जनसुनवाई में प्राप्त शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए समस्याओं को प्राथमिकता में रखते हुए निराकरण समय-सीमा में करना सुनिश्चित करें। जनसुनवाई में अपर कलेक्टर एवं विभिन्न विभागों के जिला अधिकारीगणों ने भी आवेदकों की समस्याएं सुनी। 

जनसुनवाई में विकासखण्ड जैतहरी के ग्राम अचलपुर निवासी आवेदक गुलजारी लाल माझी शासकीय तालाब में मत्स्य पालन हेतु पट्टा दिलाए जाने के संबंध में शिकायत लेकर कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत हुए। कलेक्टर ने आवेदक की शिकायत को तत्काल संज्ञान में लेते हुए शासकीय कार्य में लापरवाही बरतने पर मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास विभाग पर 5 हजार रुपये की शास्ति अधिरोपित कर शास्ति की राशि प्रतिकर के रूप में संबंधित आवेदक को उपलब्ध कराया।      

जनसुनवाई में वार्ड नं. 08 कोतमा निवासी मुन्नी बाई केवट ने अनुकम्पा नियुक्ति दिलाए जाने, तहसील अनूपपुर के ग्राम पिपरिया निवासी गिरजा प्रसाद पटेल ने भूमि के नक्शे में सुधार कराए जाने तथा अन्य आवेदकों ने भूमि का सीमांकन एवं बटांकन कराए जाने, समग्र आईडी में सुधार कराए जाने, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना व प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलाए जाने आदि के संबंध में आवेदन दिए।

कृषि उपज मंडी में 7 वर्षों से चौकीदार-चपरासी के पद खाली, अव्यवस्था और असुरक्षा से किसान परेशान


अनूपपुर

कृषि प्रधान क्षेत्र की कृषि उपज मंडी में पिछले 7 वर्षों से चौकीदार एवं चपरासी के पद खाली पड़े होने के कारण मंडी परिसर में अव्यवस्था, गंदगी और सुरक्षा संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। किसानों का कहना है कि मंडी कार्यालय एवं प्रांगण की देखरेख के लिए आवश्यक कर्मचारी न होने से स्थिति दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है।

जानकारी के अनुसार, कृषि उपज मंडी कार्यालय में लंबे समय से चौकीदार और चपरासी नियुक्त न होने के कारण न तो परिसर की नियमित सफाई हो पा रही है और न ही कार्यालय में आवश्यक कार्य समय पर पूरे हो पा रहे हैं। मंडी के चारों ओर गंदगी का ढेर दिखाई देता है, जिससे आने-जाने वाले किसानों व व्यापारियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।

स्थानीय किसानों ने बताया कि कृषि उपज मंडी लगभग 5 एकड़ भूमि पर फैली हुई है, जिसमें करोड़ों रुपए की संपत्ति दर्ज है। इसके बावजूद इतने बड़े परिसर की सुरक्षा के लिए आज तक एक भी चौकीदार की नियुक्ति नहीं की गई है। किसानों का कहना है कि यह लापरवाही किसी बड़ी घटना को जन्म दे सकती है, परंतु प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

किसानों ने अधिकारियों को अवगत कराया कि 7 वर्षों से मंडी में न तो चपरासी का पद भरा गया और न ही चौकीदार का। इसके चलते मंडी प्रांगण में आने वाले किसानों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है। वहीं, सुरक्षा प्रबंध न होने के कारण किसान असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

किसान प्रतिनिधियों ने मांग की है कि शीघ्र ही कृषि उपज मंडी में चौकीदार एवं चपरासी के पदों पर नियुक्ति की जाए, ताकि मंडी व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित हो सके और किसानों को सुरक्षित व स्वच्छ वातावरण मिल सके।

स्टेशन में बोतल क्रेस मशीन में फंसा यात्री का हाथ, घायल युवक का डॉक्टर को काटना पड़ा हाथ का पंजा


शहडोल

शहडोल रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर देर रात उस समय हड़कंप मच गया, जब एक युवक का हाथ बोतल क्रेस मशीन में बुरी तरह फंस गया। उमरिया जिले के मानपुर का रहने वाला 25 वर्षीय सत्यम गुप्ता महेंद्रगढ़ जाने के लिए ट्रेन का इंतजार कर रहा था। इसी दौरान उसने हाथ में पकड़ी प्लास्टिक बोतल को मशीन में डालने का प्रयास किया, लेकिन संतुलन बिगड़ने से उसका हाथ सीधे मशीन के अंदर चला गया और क्षतिग्रस्त होकर फंस गया। युवक ने जोर से चीखना शुरू किया तो प्लेटफॉर्म पर मौजूद यात्री इकट्ठा हो गए और हाथ निकालने की कोशिश की, लेकिन कोई भी सफल नहीं हो पाया।

घटना की जानकारी तुरंत गश्त कर रही रेलवे पुलिस को दी गई, जिसके बाद आरपीएफ थाना प्रभारी मनीष तिवारी अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। इसी बीच जीआरपी और रेलवे का टेक्निकल स्टाफ भी बुलाया गया। प्रारंभिक प्रयास में मशीन को चाबी से खोलने की कोशिश की गई, लेकिन हाथ बुरी तरह चकनाचूर होकर अंदर फंसा था, जिससे उसे निकालना नामुमकिन हो गया। इसके बाद कटर मशीन मंगाई गई और लगभग तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद बोतल क्रेस मशीन को काटकर सत्यम का हाथ बाहर निकाला गया।

घायल को तुरंत मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसकी गंभीर हालत देखते हुए हाथ का पंजा काटने का निर्णय लिया। पूरी रेस्क्यू प्रक्रिया के दौरान रेलवे के डॉक्टर, आरपीएफ–जीआरपी का दल और टेक्निकल स्टाफ लगातार मौजूद रहा। घटना ने यात्रियों में दहशत के साथ-साथ स्टेशन परिसर में स्थापित मशीनों की सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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