मां शारदा की ही नगरी में बसा है, मां सिंहवाहिनी का रैगवा धाम, धार्मिक कार्यक्रम हेतु निःशुल्क आश्रम
मां शारदा की ही नगरी में बसा है, मां सिंहवाहिनी का रैगवा धाम, धार्मिक कार्यक्रम हेतु निःशुल्क आश्रम
*श्री श्री 1008 श्री बलराम दास त्यागी महाराज की तपोस्थली में बना है मां सिंह वाहिनी का प्रसिद्ध मंदिर*
मैहर
मां शारदा के नाम से विख्यात पावन पवित्र स्थल धार्मिक नगरी मैहर संपूर्ण देश में लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। जहां पर हजारों श्रद्धालुओ का दर्शन हितार्थ हेतु आना-जाना बना हुआ है। मैहर जिला धार्मिक नगरी के नाम से इसलिए प्रसिद्ध है कि यहां मां शारदा मंदिर के साथ-साथ जिले के समीप अन्य छोटे-छोटे धार्मिक स्थल भी हैं जो श्रद्धालुओं के लिए दार्शनिक स्थल के नाम से प्रसिद्ध हैं। जैसा कि मां शेरावाली मंदिर, ओयलाधाम, बड़ी माई, गोलामठ, दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर, साईं मंदिर, राम मंदिर, के साथ अन्य धार्मिक स्थल हैं, लेकिन इनमें से ही एक ऐसा प्रसिद्ध स्थान है, जो नौ देवियों के स्वरूप में बसा एक मां शेरावाली का प्रसिद्ध मंदिर है। यह प्रसिद्ध मंदिर में मां शेरावाली के साथ अन्य सभी देवी देवताओं की प्रतिमा श्रद्धालुओं के लिए बहुत ही श्रद्धा व आस्था का केंद्र बनी हुई है। यह मंदिर में पहुंचने के लिए मैहर जबलपुर हाईवे मार्ग में मैहर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी में ही मां शेरावाली रैगवा धाम के नाम से प्रसिद्ध है। यहां पर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को धार्मिक कार्यक्रम व भोजन प्रसाद बनाने की संपूर्ण व्यवस्था निशुल्क है। मां शारदा के दर्शन कर लौटने वाले श्रद्धालु सदैव ही मां शेरावाली रैगवा धाम मैं अपनी अर्जी लगाने व दर्शन प्राप्त करने का सदैव ही सौभाग्य प्राप्त कर रहे हैं। लोगों का मानना है कि जो भी श्रद्धालु आस्था और विश्वास के साथ अपनी अर्जी लेकर मां के दरबार में पहुंचता है तो उसकी मनोकामना अति शीघ्र ही मां भगवती पूरा करती हैं।
श्री श्री 1008 बलराम दास त्यागी महाराज की तपोस्थली में बना यह प्रसिद्ध मां सिंह वाहिनी का मंदिर की स्थापना मद्जगद्गुरु रामानन्दाचार्य पद प्रतिष्ठित जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य महाराज श्री मठ पंचगंगा घाट कासी के करकमलों द्वारा सम्वत् 2064 सन् 25-06-2007 ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष दसमी (गंगादशहरा) को सम्पन्न हुआ।
आश्रम में ब्रम्ह लीन श्री श्री 1008 स्वामी बलरामदास, त्यागी महाराज तथा आश्रम के परम प्रिय शिष्य देवलोक गवन ब्रम्हलीन महामण्डलेश्वर केशव-दास के निर्मित समाधि स्थल में मैं भी लोग माथा टेक कर अपनी मन्नतें पूरी करते हैं।

