दबंग पब्लिक प्रवक्ता

लोकसभा चुनाव में प्रयुक्त वाहनों का अब तक भुगतान नही, सीएम हेल्प लाइन शिकायत दर्ज 


शहडोल

संसदीय चुनाव संपन्न हुये भले दो वर्ष की अवधि पूरी होने को है, लेकिन इस चुनाव में प्रयुक्त वाहनों का भुगतान आज तक नहीं किया जा सका। वाहनों के भुगतान न होने के कारण निर्वाचन शाखा और उसके अधिकारियों की साख पर बट्टा लगता दिखाई दे रहा है। बताया जाता है कि लोकसभा चुनाव शहडोल संसदीय क्षेत्र में शहडोल निर्वाचन कार्यालय व्दारा वाहनों को किराये पर लगाया गया था, लेकिन किराये के इन वाहनों का भुगतान आज तक नहीं किया गया है जिससे वाहन मालिकों में खासा आक्रोश व्याप्त है। वाहनों के मालिकों के व्दारा किराये के लिए निर्वाचन कार्यालय का चक्कर लगाते लगाते थक हार कर सी एम हेल्पलाइन का सहारा ले रखा है, उसमें भी उनके भुगतान के प्रति प्रशासनिक अधिकारियों का रवैया ठीक नजर नहीं आ रहा है।

लोकसभा चुनाव में अपनी गाड़ी लगाने वाले रमेश त्रिपाठी ने बताया कि शहडोल निर्वाचन कार्यालय कलेक्टर शहडोल के व्दारा उनका वाहन किराये पर लगाया गया था जिसके किराया राशि 36000.00 का भुगतान आज तक नहीं होने के कारण सी एम हेल्पलाइन का सहारा लेना पडा है। रमेश त्रिपाठी ने बताया की मेरे व्दारा सी एम हेल्पलाइन नंबर 31020223 पर 08 अप्रैल 2025 से लंबित है, जिसे लगातार प्रशासन फोर्स क्लोज कराने में जुटा हुआ है, जबकि मामले का निराकरण नहीं किया जा रहा है। मामले में बजट अप्राप्त होने का जिक्र  किया जा रहा है, जबकि निर्वाचन जैसे गंभीर कार्यों के लिए पहले से राशि की व्यवस्था होनी चाहिए। रमेश त्रिपाठी ने बतलाया की हमारे जैसे अन्य वाहन मालिक भी भुगतान के लिए निर्वाचन कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। वाहनों के किराये का लंबी अवधि के बाद भुगतान न हो पाना जिला अधिकारियों की कार्यशैली की कलई खोलकर रख दी है। अपेक्षा है जिला प्रशासन निर्वाचन जैसे संवेदनशील कार्यों की साख बचाने के लिए अविलंब भुगतान कराने की पहल करेंगे।

मजदूरी घोटाले में न्यूनतम कैश भुगतान, फर्जी बिल बाउचर, 150 स्क्वायर फीट में ठेका, 6 सदस्यीय जांच समिति गठित

*शिकायत के बाद जागा वन मंडल शहडोल* 


शहडोल

दक्षिण वन मंडल शहडोल में लंबे समय से दबे पड़े मजदूरी घोटाले की परतें अब एक-एक कर खुलने लगी हैं। मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के विरुद्ध न्यूनतम कैश भुगतान, फर्जी बिल बाउचर, और नियमों को ताक पर रखकर 150 स्क्वायर फीट के हिसाब से ठेका दिए जाने के गंभीर आरोपों के बाद विभाग हरकत में आया है।

शिकायत के सामने आने के बाद वन विभाग ने स्वीकार किया कि मामले की विभागीय जांच आवश्यक है। इसी क्रम में आई एफ एस मीणा जी की अध्यक्षता में छः अधिकारियों की समिति गठित की गई है, जो पूरे प्रकरण की जांच कर रिपोर्ट सौंपेंगे।

वन विभाग के नियमों के अनुसार मजदूरी कार्य बिल वाउचर आधारित होता है, लेकिन शिकायत में खुलासा हुआ है कि कार्य को एरिया रेट 150 स्क्वायर फीट में बांटकर ठेकेदार को दे दिया गया। वह भी बिना टेंडर, बिना वर्क ऑर्डर और बिना प्रशासनिक स्वीकृति के।

विशेषज्ञों के अनुसार यह मामला केवल विभागीय लापरवाही नहीं, बल्कि संगठित वित्तीय अनियमितता और आपराधिक विश्वासघात की श्रेणी में आता है। अब दस्तावेज़ों की परीक्षा से तय होगा सच शिकायतकर्ता ने जांच समिति से लिखित रूप में मांग की है कि मजदूरी बिल वाउचर, भुगतान रजिस्टर, बैंक/PFMS विवरण, MB बुक, ठेकेदार से निर्माण कार्य स्वीकृति आदेश, निरीक्षण रिपोर्ट यदि ये दस्तावेज़ प्रस्तुत नहीं होते, तो घोटाले की पुष्टि स्वतः मानी जाएगी।*

शिकायतकर्ता ने स्पष्ट किया है कि यदि जांच में विभागीय अधिकारियों की भूमिका उजागर होती है और कार्रवाई केवल दिखावटी रहती है, तो ट्रेनिंग में आए नए आई एफ एस अधिकारियों को आवेदन देकर पुनः जनहित याचिका (पीआई एल) दायर की जाएगी। साथ ही ईओडब्लू लोकायुक्त और एसीबी जांच की भी मांग की जाएगी।

न्यूनतम मजदूरी भुगतान कैश में किसके आदेश से हुआ? निर्माण ठेका किसकी मौखिक/लिखित अनुमति से दिया गया? बिल बाउचर और भुगतान का सत्यापन किसने किया? क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी?अब नजरें छः सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट पर टिकी हैं।यह रिपोर्ट तय करेगी कि यह मामला केवल कागजी गड़बड़ी है—या फिर दक्षिण वन मंडल शहडोल का अब तक का सबसे बड़ा मजदूरी घोटाला।

*इनका कहना है*

डीएफओ शहडोल श्रद्धा पेंद्रो द्वारा दिया गया कथन कि डिवीजन स्तर पर मजदूरों को उनके निर्धारित नॉर्म्स के आधार पर ही भुगतान किया जाता है।उक्त जानकारी के संबंध में साक्ष्य प्रस्तुत किए जाएँ, क्योंकि आपकी शिकायत पर आई एफ एस मीणा जी की अध्यक्षता में छः अधिकारियों की समिति जांच हेतु गठित की गई है। जांच उपरांत तथ्यों एवं प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। अंतिम निर्णय जांच रिपोर्ट के आधार पर लिया जाएगा।

*श्रद्धा पेंद्रो डीएफओ शहडोल*

निजी अस्पताल में वार्ड बॉय के उपचार से मरीज की हुई मौत, परिजनों का हंगामा, थाने में हुई शिकायत


शहडोल

स्वास्थ्य मंत्री के प्रभार का जिला शहडोल होने के बावजूद यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। पाली रोड स्थित एक निजी अस्पताल में उपचार में भारी लापरवाही का मामला सामने आया। यहां डॉक्टर की अनुपस्थिति में कथित तौर पर वार्ड बॉय और स्टाफ द्वारा इलाज किए जाने के बाद एक मरीज की मौत हो गई। इस घटना के बाद आक्रोशित परिजनों ने कोतवाली पहुंचकर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई और कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

शिकायतकर्ता दिनेश कुमार जैन ने पुलिस को बताया कि उनके परिजन कमलेश जैन, निवासी गुरुनानक चौक, को 16 दिसंबर की रात करीब 11.30 बजे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मरीज को इमरजेंसी कक्ष में ले जाया गया, जहां मौजूद एक युवक ने स्वयं को चिकित्सक बताकर उपचार शुरू कर दिया। वहीं, अस्पताल की एक महिला स्टाफ द्वारा दवाइयां लिखी गईं। आरोप है कि उस समय अस्पताल में कोई योग्य डॉक्टर मौजूद नहीं था।

परिजनों का कहना है कि इलाज के दौरान मरीज की हालत बिगड़ने लगी और उसे घबराहट होने पर भी समय पर सीपीआर नहीं दिया गया। उचित और तत्काल चिकित्सा सहायता के अभाव में कुछ ही देर बाद कमलेश जैन की मौत हो गई। परिजनों ने आरोप लगाया कि मरीज का इलाज वार्ड बॉय द्वारा किया गया, जो सीधे तौर पर लापरवाही और नियमों का उल्लंघन है।

घटना के बाद अस्पताल परिसर में हंगामे की स्थिति बन गई। परिजन तत्काल कोतवाली पहुंचे और पूरे मामले की शिकायत दर्ज कराई। उपनिरीक्षक उपेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि शिकायत स्वीकार कर ली गई है और जांच शुरू कर दी है। जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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